रांची:झारखंड की सभी 14 लोकसभा सीटों पर फतह के लिए भाजपा नई स्ट्रेटजी के साथ सामने आई है. इसबार पार्टी ने जातीय समीकरण पर फोकस किया है. लालाजी और बाबू साहेब की भागीदारी साफ कर दी गई है. दो अगड़ी जातियों की तीन सिटिंग सीटें काटकर भूमिहार जाति से आने वाले कालीचरण सिंह को चतरा का प्रत्याशी बनाया है.
इसके अलावा पार्टी ने झारखंड़ में दबदबा रखने वाली कुड़मी, बनिया और यादव जाति के वोट बैंक को साधने के लिए कई उलटफेर किए हैं. इस फॉर्मूला को समझने के लिए सबसे पहले यह जान लें कि 14 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें एसटी और एक सीट एससी के लिए रिजर्व है. अनारक्षित शेष 8 सीटों में से भाजपा ने सहयोगी आजसू के लिए इसबार भी गिरिडीह सीट छोड़ रखा है.
भाजपा ने भूमिहार और ओबीसी पर बरसाई कृपा
शेष सात सीटों के जरिए भाजपा ने जातीय समीकरण को साधने की कोशिश की है. इनमें से दो सीट पर कुड़मी, दो पर बनिया, एक पर यादव, एक पर भूमिहार और एक सीट ब्राह्मण को दी है. यही नहीं पार्टी ने अपने पांच सीटिंग (हजारीबाग, धनबाद, चतरा, दुमका और लोहरदगा) सांसदों का टिकट काट दिया है. जबकि हजारीबाग के विधायक मनीष जयसवाल को हजारीबाग, बाघमारा के विधायक ढुल्लू महतो को धनबाद, जामा से झामुमो विधायक रहीं शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन को दुमका और पूर्व राज्यसभा सांसद समीर उरांव को लोहरदगा का प्रत्याशी बनाया है.
इस लिस्ट में सबसे चौंकाने वाला नाम कालीचरण सिंह का है. कालीचरण सिंह ऐसे पहले प्रत्याशी होंगे जो चतरा के ही मूल निवासी हैं. वह प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. पेशे से शिक्षक रहे हैं. वह भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं. इस सीट पर अलग-अलग पार्टियां बाहरी प्रत्याशियों को उम्मीदवार बनाती रही है. इस फैसले से भाजपा ने संदेश देने की कोशिश की है कि वह स्थानीयों को भी तरजीह देती है.
2019 में अगड़ी जातियों का था दबदबा
2019 के लोकसभा चुनाव में आठ अनारक्षित सीटों में से सात सीट पर लड़ने वाली भाजपा ने हजारीबाग में कायस्थ समाज के जयंत सिन्हा, धनबाद में राजपूत समाज के पीएन सिंह. चतरा में राजपूत समाज के सुनील कुमार सिंह, कोडरमा में यादव समाज की अन्नापूर्णा देवी, जमशदेपुर में कुड़मी समाज के विद्युत वरण महतो, गोड्डा में ब्राह्मण समाज के निशिकांत दूबे और रांची में बनिया समाज के संजय सेठ को टिकट दिया था और सभी ने जीत भी दर्ज की थी.
अनुमानित प्रतिशत के हिसाब से हिस्सेदारी
2019 में भाजपा कोटे की सात अनारक्षित लोकसभा सीटों में से चार (हजारीबाग, धनबाद, चतरा और गोड्डा) पर अगड़ी जाति के उम्मीदवार जीते थे. इस लिहाज से भाजपा ने करीब 53 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जातियों को दी थी. लेकिन आजसू के गिरिडीह सीट को जोड़कर देखें तो एनडीए के लिहाज से आधी भागीदारी अगड़ी जाति को मिली थी. लेकिन इस बार एनडीए की कुल आठ सीटों में सिर्फ दो सीटें अगड़ी जाति के खाते में गई हैं. प्रतिशत के लिहाज से 25 प्रतिशत भागीदारी अगड़ी जाति को और पिछड़ी जाति को 75 प्रतिशत भागीदारी दी गई है.