नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग के बीच मुस्लिम आरक्षण को लेकर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बयान पर विवाद खड़ा हो गया है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का कहना है कि देश के मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए.
लालू यादव के इस बयान को लेकर निशाना साधा है. पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी ने जो आशंकाएं व्यक्त की थीं वो अब पूरी तरह सच साबित हो रही हैं. मुस्लिम आरक्षण का जिन्न 'इंडी' गठबंधन के चिराग से बाहर आ गया है. दक्षिण से लेकर निकलकर अब यह गंगा के मैदानी तक पहुंचकर पूरे विकराल रूप में भारत के आकाश में दिख रहा है.
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि लालू प्रसाद यादव के बयान में गौर करने वाली बात यह है कि जब उनसे मुस्लिम समुदाय के बारे में सबसे गंभीर बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि हां मुसलमानों को 'पूरा का पूरा' आरक्षण मिलना चाहिए. इससे साफ हो गया कि वे एससी, एसटी और ओबीसी का हिस्सा छीनकर मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देना चाहते हैं.
एससी-एसटी और ओबीसी का अधिकार छीनना चाहता है इंडी गठबंधन...
उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के धार में मंगलवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए लालू प्रसाद यादव के बयान पर तीखा हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि इंडी गठबंधन एसटी, एससी और ओबीसी समुदाय के आरक्षण अधिकारों को छीनना चाहता है. पीएम मोदी ने लालू यादव पर तंज कटाक्ष करते हुए कहा कि जमानत पर जेल से बाहर 'चारा घोटाले का आरोपी' नेता मुसलमानों के लिए आरक्षण की वकालत कर रहा है. कांग्रेस चुप है लेकिन आज उसके एक सहयोगी ने इंडी गठबंधन के इरादों पर मुहर लगा दी है.
आरक्षण का आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक पिछड़ापन...
इससे पहले, राजद प्रमुख लालू ने मंगलवार को एक्स पर वीडियो साझा करते हुए लिखा, आरक्षण का आधार धर्म नहीं बल्कि सामाजिक पिछड़ापन होता है. पीएम को इतनी सी भी समझ नहीं है. मंडल कमीशन हमने लागू करवाया है. क्या नरेंद्र मोदी ने कभी मंडल कमीशन और उसकी सिफारिशें पढ़ी हैं? मंडल कमीशन में 3,500 से अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण मिलता है जिसमें अन्य धर्मों की भी सैकड़ों जातियों को आरक्षण मिलता है. उन्होंने आगे लिखा, बाबा साहेब के संविधान और जननायक कर्पूरी ठाकुर द्वारा दिए गए आरक्षण को खत्म करने की संघियों और भाजपाइयों की पुरानी ख्वाहिश और साजिश रही है. साल 2000 में एनडीए की भाजपाई सरकार ने तो 'संविधान समीक्षा आयोग' ही गठित कर दिया था.
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