नई दिल्ली: संसद में विपक्षी पार्टियां लामबंज होकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं और लगातार विरोध प्रदर्शन भी जारी है. हालांकि बुधवार से संसद में विधायी कामकाज की शुरुआत भी हो चुकी है. मगर विपक्ष की सहभागिता बहुत ज्यादा देखने को नहीं मिल रही. विपक्षी पार्टियों ने जहां मंगलवार और बुधवार को संभल पर सरकार को घेरा, वहीं संसद परिसर में गुरुवार को अडाणी मामले में विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना से विशेष बातचीत में कहा कि सरकार आखिर संभल, मणिपुर या अडाणी मामले में चुप क्यों है. चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं हो रही. वहीं भाजपा का आरोप है कि विपक्ष के नेता संसद में नहीं सड़क पर मुद्दे उठा रहे हैं.
विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (इंडिया) यानी इंडिया गठबंधन के कई घटक दलों के सांसदों ने गुरुवार को अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे को लेकर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए, उनके साथ उनकी बहन और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी भी मौजूद थीं. विपक्षी सांसदों ने मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग दोहराई.
कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कुछ अन्य दलों के सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारे लगाए और संसद में इस मुद्दे पर उनके जवाब देने की मांग की. विपक्ष लगातार अलग-अलग मुद्दे उठाकर सरकार को घेरने की कोशिश में है.
हालांकि सत्ताधारी पार्टी भाजपा का आरोप है कि इंडिया गठबंधन की पार्टियां एकसाथ नहीं हैं, जहां अडाणी मुद्दे पर समाजवादी पार्टी और टीएमसी, कांग्रेस का साथ नहीं दे रही हैं. वहीं संभल हिंसा के मुद्दे पर राहुल गांधी के संभल जाने के प्रयास पर समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा था कि ये मात्र औपचारिकता है.