बोलपुर: पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित विश्व-भारती विश्वविद्यालय के 'बांग्लादेश भवन' में आयोजित एक कार्यक्रम में बांग्लादेश के कवि और लेखक शामिल नहीं हो सके. बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों के कारण भारत से तनाव के बीच बांग्लादेशी नागरिकों को वीजा नहीं मिल पा रहा है. इसलिए विश्व-भारती के बांग्लादेश भवन में खोवाई साहित्य समिति द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय साहित्य महोत्सव में बांग्लादेश के 18 कवि और लेखक शामिल नहीं हो पाए.
इस महोत्सव में अमेरिका, जर्मनी और दुबई के अलावा भारत के विभिन्न हिस्सों से कवि और लेखक शामिल हुए. हालांकि, बांग्लादेश के कवि और लेखक इस बात से दुखी हैं कि बांग्लादेश महोत्सव में शामिल नहीं हो सका. वहीं, साहित्य महोत्सव के आयोजकों का कहना है कि स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश के कवियों और लेखकों को भी यात्रा करने से रोक दिया गया है.
खोवाई साहित्य पत्रिका के सचिव और इस अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के आयोजकों में से एक किशोर भट्टाचार्य ने कहा, "हमने बांग्लादेश भवन और खोवाई साहित्य संस्कृति की संयुक्त पहल पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया है. देश के विभिन्न हिस्सों से कवि, लेखक और साहित्यकार आए हैं. हालांकि, बांग्लादेश से 17 से 18 सदस्य नहीं आ पाए. उन्हें वीजा नहीं मिला. हमने उन्हें उस देश की स्थिति के कारण आने से मना भी किया है. हालांकि, मुझे बुरा लग रहा है कि वे नहीं आ पाए. उम्मीद है कि भविष्य में सब ठीक हो जाएगा."
बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर देशव्यापी छात्र आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को 6 अगस्त को देश छोड़ना पड़ा था. इसके बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन किया गया. लेकिन शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं. लेकिन यूनुस की अंतरिम सरकार इसे रोकने में लाचार दिख रही है.