चेन्नई: एक सप्ताह पहले बागमती एक्सप्रेस और मालगाड़ी के बीच हुई दुर्घटना की जांच में नया मोड़ सामने आया है. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह दुर्घटना जानबूझ कर की गई तोड़फोड़ का परिणाम हो सकती है, न कि किसी तकनीकी खराबी की वजह. इस प्रकार, मौजूदा मामले में एक नई धारा जोड़ दी गई है, जिसमें "ट्रेन को पटरी से उतारने के लिए तोड़फोड़" के लिए जिम्मेदार लोगों पर आरोप लगाया गया है.
बता दें कि यह दुर्घटना 11 अक्टूबर को तिरुवल्लूर जिले के कवराईपेट्टई रेलवे स्टेशन के पास हुई थी. इसमें 19 यात्री घायल हो गए, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. इसके बाद कवराईपेट्टई रेलवे पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) द्वारा जांच शुरू की गई.
घटना के संबंध में लोको पायलट, तकनीकी, सिग्नल और ट्रैक रखरखाव विभाग सहित विभिन्न विभागों के 40 से अधिक रेलवे कर्मचारियों से पूछताछ की गई है. प्रारंभिक जांच से पता चला है कि बागमती एक्सप्रेस को मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन पर मोड़ दिया गया था, जिसके कारण खड़ी मालगाड़ी से उसकी टक्कर हो गई थी. प्रारंभ में, बीएनएस की चार धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें जीवन को खतरे में डालना और गंभीर चोट पहुंचाना शामिल था.
हालांकि, जिस स्थान पर ट्रेन का मार्ग बदला गया था, वहां पर जानबूझकर ढीले किए गए बोल्ट और नट पाए जाने से अधिकारियों को विश्वास हो गया है कि यह दुर्घटना तोड़फोड़ की एक सुनियोजित कार्रवाई थी. इसके परिणामस्वरूप ट्रेन को नुकसान पहुंचाने या पटरी से उतारने के प्रयास से भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 150 को आरपीएफ द्वारा मामले में जोड़ा गया है. इस नए घटनाक्रम से दुर्घटना के पीछे संभावित आपराधिक षडयंत्र का पता चलता है, जिससे स्थिति की गंभीरता काफी बढ़ जाती है.
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