Dhubri Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में असम की चार सीटों- बारपेटा, गुवाहाटी, कोकराझार और धुबरी पर 7 मई को मतदान होगा. हम बात करेंगे अल्पसंख्यक बहुल धुबरी लोकसभा सीट की. यह असम की ऐसी संसदीय सीट है जहां देश की आजादी के बाद से सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस सीट पर अब तक कोई हिंदू उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है.
धुबरी लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था और वह 1971 से 2004 तक लगातार यह सीट जीतती रही. 2004 के आम चुनाव में अनवर हुसैन ने जीत दर्ज की थी. हालांकि, 2009 के लोकसभा चुनाव में हवा बदली और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिट फ्रंट (AIUDF) के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल ने पहली बार जीत दर्ज की. वह लगातार तीन बार धुबरी से सांसद निर्वाचित हो चुके हैं. 2014 और 2019 में मोदी लहर के बावजूद अजमल ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी.
धुबरी में चुनावी सभा को संबोधित करते एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल (फोटो- ANI) बदरुद्दीन अजमल चौथी बार धुबरी से चुनाव मैदान में हैं. इस बार कांग्रेस ने उनके खिलाफ रकीबुल हुसैन और असम गण परिषद ने जावेद इस्लाम को उतारा है. रकीबुल हुसैन असम में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं. वह असम विधानसभा में विपक्ष के उपनेता भी हैं. रकीबुल हुसैन 2001 से समागुड़ी सीट से विधायक निर्वाचित हो रहे हैं.
धुबरी के समीकरण
आंकड़ों के अनुसार, धुबरी निर्वाचन क्षेत्र में कुल 15,50,166 मतदाता हैं. इस सीट पर मुसलमानों की आबादी 70 प्रतिशत से अधिक है. इसके अलावा यहां 3.54 प्रतिशत एससी और 5.78 प्रतिशत एसटी हैं. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार अमजद अली विजयी हुए थे. 1957 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और दोबार सांसद चुने गए थे. 1962 के आम चुनाव में कांग्रेस के गयासुद्दीन अहमद धुबरी के सांसद चुने गए थे. 2004 के आम चुनाव में अनवर हुसैन ने जीत दर्ज की थी.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी धुबरी में रोड शो करतीं (फोटो- ANI) गुवाहाटी में दिलचस्प मुकाबला
उधर, गुवाहाटी लोकसभा सीट पर दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. इस सीट पर कुल आठ उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला दो महिला उम्मीदवारों के बीच है. कांग्रेस ने मीरा बोरठाकुर गोस्वामी को और बीजेपी ने बिजुली कलिता मेधी को मैदान में उतारा है. बीजेपी 2009 से यह सीट जीतती आ रही है. अब यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में पहचानी जाती है.
मीरा गोस्वामी ने चुनाव में सीएए का मुद्दा उठा रही हैं. वह नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में 2019 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थीं. भाजपा ने निवर्तमान सांसद क्वीन ओजा का टिकट काटकर इस बार कलिता मेधी को उम्मीदवार बनाया है. वह असम भाजपा की उपाध्यक्ष के साथ गुवाहाटी नगर निगम की उप-महापौर हैं.
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