गुवाहाटी: ऐतिहासिक वार्षिक महा अंबुबाची मेला 2024 शुरू होने के साथ ही गुवाहाटी की नीलाचल पहाड़ी आकर्षण का केंद्र बन गई है. मेले की तैयारियां और इसे सफल बनाने के लिए पहले से ही तैयारियां कर ली गई हैं. यह मेला देवी के मासिक धर्म चक्र के दौरान मनाया जाता है. लाखों श्रद्धालु इस मेले में आते हैं और पूजा शुरू होने का इंतजार करते हैं.
मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि अंबुबाची का महापर्व शनिवार सुबह 8.43 बजे 'प्रभृति' के साथ शुरू हुआ. इस दौरान कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार बंद कर दिए गए, 25 जून को 'नृभृति' के बाद रात 9.07 बजे पूजा फिर से शुरू होगी. 26 जून की सुबह देवी की नित्य पूजा के बाद मंदिर के मुख्य द्वार भक्तों के लिए फिर से खोल दिए जाएंगे. माना जाता है कि इस दौरान हर साल चार दिनों तक मंदिर में पूजा बंद रहती है और कपाट बंद रहते हैं. इस दौरान मंदिर परिसर में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले में देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं.
मुख्यमंत्री सरमा ने किया पोस्ट
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में श्रद्धालुओं का मेले में स्वागत किया. उन्होंने लिखा कि, 'आज मां कामाख्या शक्तिपीठ में अंबुबाची मेला का प्रथम दिन है. यह तीन दिवसीय पर्व नारायणी शक्ति का महोत्सव है. इस अवसर पर देश के विभिन्न कोने से आए साधुओं, श्रद्धालुओं और भक्तों को मेरा हार्दिक अभिनंदन'. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि मेले के सुचारू संचालन के लिए कामरूप महानगर जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों द्वारा व्यवस्था की गई है.
'अंबुबाची' शब्द का वास्तव में क्या अर्थ है?
अंबुबाची का क्या महत्व है? इस समय ध्यान करने से क्या लाभ होता है? कामाख्या देवालय के मुख्य पुजारी कविंद्र प्रसाद शर्मा ने सारी बातें बताईं. 'अंबुबाची' शब्द का भी एक अलग अर्थ है. 'अंबु' का अर्थ है पानी और 'बची' का अर्थ है शुरुआत. जेठ (असमिया कैलेंडर का दूसरा महीना) महीने के आखिरी तीन दिनों से लेकर आहार-जेठ और 'सांथ' का संक्रांति काल तक आहार (असमिया कैलेंडर का तीसरा महीना) महीने की तीसरी तारीख तक माना जाता है.
यह अवधि फसल कटाई के लिए उपयुक्त समय माना जाता है. साथ ही इस अवधि के दौरान परंपरा के अनुसार, कृषि भूमि पर हल नहीं चलाया जाता है. इस अवधि के दौरान कई लोग उपवास भी रखते हैं. ऐसी मान्यता है कि देवी मां कामाख्या आहार महीने की 7 तारीख को ‘आद्या’ नक्षत्र और मिथुन राशि के संयोग से ‘सांथ’ काल के बाद अपने मासिक धर्म में प्रवेश करती हैं. परंपरा के अनुसार इस अवधि के दौरान मंदिर के अंदर किसी भी तरह की पूजा करने से मना किया जाता है. इसलिए कामाख्या मंदिर का मुख्य द्वार अंबुबाची के शुरू होने से तीन दिनों तक बंद रहता है और चौथे दिन नित्य पूजा के बाद मंदिर का मुख्य द्वार भक्तों के लिए खोल दिया जाता है.