असम सरकार सीएए के तहत बांग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को जल्द ही नागरिकता दे देने वाली है. इसे लेकर सरकार के द्वारा विशेष पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखा.
असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (फोटो - ANI Photo)
गुवाहाटी: असम सरकार राज्य के बहुसंख्यक लोगों द्वारा किए जा रहे तमाम तरह के विरोध के बीच सीएए को लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार है. पिछले कुछ वर्षों में जनता द्वारा व्यापक विरोध देखे जाने वाले इस विवादास्पद अधिनियम की वकालत केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा की गई है.
अब राज्य सरकार द्वारा उठाए गए हालिया कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि 31 दिसंबर, 2014 से पहले असम राज्य में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के गैर मुस्लिम विदेशियों का स्वागत करने के लिए सरकार तैयार है.
असम सरकार के गृह और राजनीतिक विभाग ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया है कि वह 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय के लोगों के खिलाफ विदेशी न्यायाधिकरणों में मामले दर्ज न करें, क्योंकि वे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के अनुसार भारतीय नागरिकता देने के पात्र हैं.
असम सरकार द्वारा विशेष पुलिस महानिदेशक को लिखा पत्र (फोटो - ETV Bharat Assam)
असम सरकार के गृह एवं राजनीतिक विभाग के सचिव पार्थ प्रतिम मजूमदार द्वारा हस्ताक्षरित विशेष पुलिस महानिदेशक (सीमा), असम को 5 जुलाई को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कानून के प्रावधानों के मद्देनजर, सीमा पुलिस को 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदाय के लोगों के मामलों को सीधे विदेशी न्यायाधिकरणों को नहीं भेजना चाहिए.
पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों को नागरिकता आवेदन पोर्टल https://indiancitizenshiponline.nic.in के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करने की सलाह दी जा सकती है. इसके बाद मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के आधार पर भारत सरकार द्वारा निर्णय लिया जाएगा. पत्र में कहा गया है कि निर्दिष्ट श्रेणी में आने वाले लोगों के लिए एक अलग रजिस्टर बनाए रखा जा सकता है.
पत्र में कहा गया कि हालांकि, यह नियम 31 दिसंबर, 2014 के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से असम में प्रवेश करने वाले लोगों पर लागू नहीं होगा, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. एक बार पता चलने पर, उन्हें आगे की कार्रवाई के लिए सीधे क्षेत्राधिकार वाले विदेशी न्यायाधिकरण के पास भेज दिया जाना चाहिए.
उपर्युक्त कदम से यह लगभग स्पष्ट है कि राज्य सरकार गैर-मुस्लिम समुदायों के लोगों को गले लगाने के लिए तैयार है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से भारत में प्रवेश कर गए हैं. असम पुलिस को मिले राज्य के राजनीतिक विभाग के पत्र ने अब सरकार के लिए इन धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का स्वागत करने का रास्ता साफ कर दिया है.
गृह विभाग के अनुसार, अब तक केवल आठ बांग्लादेशी नागरिकों ने सीएए के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है. गौरतलब है कि सीएए के आधार पर नागरिकता देने की प्रक्रिया पूरे देश के साथ-साथ असम में भी जारी है. असम के मामले में, सीएए का मुद्दा सामने आने के तुरंत बाद बांग्लादेशी हिंदू शरणार्थी मुद्दे ने बड़े पैमाने पर बहस छेड़ दी थी.
लेकिन असम सरकार के इस आदेश के बाद, भले ही आवश्यक दस्तावेजों की कमी ने नागरिकता प्राप्त करने में जटिलताएं पैदा की हों, लेकिन अब से असम में शरण लेने वाले हिंदू बांग्लादेशियों को पुलिस के साथ-साथ विदेशी न्यायाधिकरणों से भी किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ही सीएए के आधार पर हिंदू बांग्लादेशियों के लिए नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया था.
ध्यान देने वाली बात यह है कि असम में शरण लेने वाले अधिकांश अवैध विदेशी आवश्यक दस्तावेज मानदंडों को पूरा न करने के कारण आवेदन नहीं कर पाए हैं. असम सरकार के गृह विभाग द्वारा राज्य की सीमा पुलिस को यह निर्देश जारी करने के बाद, ऐसी धारणा बन रही है कि असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले विदेशियों की संख्या में वृद्धि होगी.