हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को विश्व हिंदू परिषद (VHP) की बैठक में भाग लेने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की कड़ी आलोचना की और कार्यक्रम में जज की कथित टिप्पणियों पर आपत्ति जताई.
ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, "वीएचपी को कई मौकों पर प्रतिबंधित किया गया था. यह आरएसएस से जुड़ा हुआ है, एक ऐसा संगठन जिसे वल्लभभाई पटेल ने 'घृणा और हिंसा की ताकत' होने के कारण बैन किया था. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने ऐसे संगठन के सम्मेलन में भाग लिया. इस स्पीच का आसानी से खंडन किया जा सकता है, लेकिन आपको यह याद दिलाना अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत का संविधान न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की अपेक्षा करता है."
'भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं'
हैदराबाद के सांसद ने कहा, "भारत का संविधान बहुसंख्यकवादी नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक है. लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की जाती है." ओवैसी ने कहा कि जस्टिस यादव की कथित टिप्पणी न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल है और यह न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाती है. उन्होंने कहा, "एक अल्पसंख्यक पार्टी वीएचपी के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले व्यक्ति से न्याय की उम्मीद कैसे कर सकती है?"