छत्तीसगढ़ से दिल्ली पहुंचा हसदेव का सियासी मुद्दा, आप ने बताया आदिवासियों को उजाड़ने की साजिश - हसदेव का सियासी मुद्दा
Hasdev political issue लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान फरवरी के अंत तक हो सकता है. विधानसभा चुनाव में सियासी पटखनी खा चुकी आप एक बार फिर छत्तीसगढ़ में हसदेव के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की तैयारियों में जुट गई है.
दिल्ली/बिलासपुर:हसदेव जंगल काटे जाने के विरोध में आम आदमी पार्टी का रायपुर से लेकर दिल्ली तक प्रदर्शन जारी है. हसदेव के मुद्दे पर दिल्ली में छत्तीसगढ़ की आप की प्रदेश प्रवक्ता और प्रदेश सचिव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. आप ने बीजेपी को निशाने पर लेते हुए कहा कि आदिवासियों के साथ छत्तीसगढ़ में छल हो रहा है. हसदेव के जंगल की कटाई की जा रही है. गरीब आदिवासियों के साथ छत्तीसगढ़ में अन्याया किया जा रहा है. आप ने हसदेव जंगल की कटाई का जिम्मेदार बीजेपी सरकार को ठहराया.
आदिवासियों और किसानों पर हो रहा अत्याचार: आप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कहा कि किसानों और आदिवासियों पर अत्याचार किया जा रहा है. सरकार कोयला खदान को शुरु करने के लिए दमन चक्र चला रही है. जंगल की कटाई को लेकर आप वहां के स्थानीय लोगों के साथ आंदोलन कर रही है. आप ने आरोप लगाया कि सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है. आप प्रवक्ता और प्रदेश सचिव ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों जनता को हसदेव के मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं.
मीडिया के सवालों पर फंसी आप: प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडिया ने आप से पूछा कि कांग्रेस सरकार ने ही खदान की खुदाई का आदेश दिया था. कांग्रेस सरकार के आदेश मिलने के बाद ही हसदेव में जंगल की कटाई शुरु हुई. कांग्रेस सरकार से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद ही खदान का काम आगे बढ़ा. मीडिया के इन सवालों पर आप के प्रवक्ता बगले झांकने लगे. आप प्रवक्ता ने कहा कि जिस वक्त कांग्रेस की सरकार छत्तीसगढ़ में थी उसी वक्त विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया था. प्रस्ताव पारित कर हसदेव जंगल में कटाई रोक दी गई थी. आप ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने केंद्र से अनुरोध भी किया था कि वो हसदेव को कटने से बचाए.
हसदेव पर क्यों रहा है सियासी हाहाकार:हसदेव जंगल जिस जगह पर है वो पूरा इलाका ग्रीन बेल्ट का है. मिनीमाता बांगों बांध के पास होने के चलते करीब 4 लाख हेक्टेयर जमीन पर यहां खेती होती है. खदान बनने से बांध और नदी दोनों खतरे में पड़ जाएंगे. हंसदेव कटने से यहां का पारिस्थिक संतुलन भी बिगड़ जाएगा और मौसम का चक्र भी बदल सकता है. हंसदेव जंगल पर हजारों वनवासी और आदिवासी आश्रित हैं. जंगल कटने से उनका रोजगार छिन जाएगा. हंसदेव जंगल का इलाका हाथियों के कारिडोर से भी जुड़ा है. जंगल कटने के बाद हाथियों और इंसानों के बीच टकराव भी बढ़ेगा.