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तमिलनाडु के शिवगंगा में वेनाडु चेरा राजाओं के काल का 400 साल पुराना सिक्का मिला! - COIN DISCOVERED

तमिलनाडु में प्राचीन काल की सभ्यताओं के अवशेष मिलते रहते हैं. इसी क्रम में शिवगंगा में 400 साल पुराने सिक्के मिलने का दावा किया गया.

COIN DISCOVERED IN SIVAGANGAI
तमिलनाडु में 400 साल पुराने सिक्का मिलने का दावा (ETV Bharat TAMIL NADU Desk)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 2, 2025, 9:59 AM IST

शिवगंगा: वेनाडु चेरा राजाओं के काल का एक 400 वर्ष पुराने तांबे का सिक्का शिवगंगा के निकट मिला है. इस पर तमिल अक्षर 'ச' और एक बैठी हुई मानव आकृति तथा नीचे दस बिंदु अंकित हैं.

इस संबंध में शिवगंगा पुरातत्व सोसायटी के संस्थापक कवि का. कलिराज ने कहा, 'यह सिक्का मन्नार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय और शिवगंगा में चेट्टी जल बांड के तट के बीच के क्षेत्र में जमीन की सतह पर पाया गया. चेरा शासन संगम काल से 16वीं शताब्दी तक वर्तमान तमिलनाडु क्षेत्रों में था. चेरों ने वर्तमान करूर को अपनी राजधानी बनाकर शासन किया. करूर को करुवुर कहा जाता था.

वेनाडु 12वीं शताब्दी से 16वीं शताब्दी तक कन्याकुमारी के साथ था. वेणाड पर शासन करने वाले राजाओं ने विभिन्न सिक्के जारी किये. वीर केरलन, कोथाई रवि और उदय मार्तंडन जैसे राजाओं ने नागरी लिपि में उकेरे गए सिक्के जारी किए. तमिल लिपि में भूतला वीररामनन, भूतला चेराकुलरामनन और रामराजा जैसे शिलालेखों वाले सिक्के भी पाए गए.

वेनाडु चेरा सिक्का

शिवगंगई में 31 जनवरी को मिले सिक्के के दोनों तरफ एक मानव आकृति दिखाई देती है. एक तरफ, आकृति खड़ी अवस्था में दिखाई देती है. इसके पास दीपक (कुथुविलक्कु) का शुभ प्रतीक दिखाई देता है, और दाईं ओर छह बिंदु और बाईं ओर कुछ बिंदु दिखाई देते हैं.

सिक्के के दूसरी तरफ, एक मानव आकृति बैठी हुई अवस्था में दिखाई देती है. आकृति के बाईं ओर तमिल अक्षर 'ச' दिखाई देता है, और नीचे दस बिंदु दिखाई देते हैं. यह सिक्का तांबे से बना है. इसका वजन 2.5 ग्राम है.

सिक्के का काल

सोसायटी के संस्थापक कलिराज ने कहा कि वेनाडु चेरों ने 12वीं से 16वीं शताब्दी तक शासन किया. उस अवधि के दौरान उन्होंने विभिन्न सिक्के जारी किए. राजा के नाम वाले सिक्कों को छोड़कर, अन्य सिक्कों पर राजा का नाम और अवधि ज्ञात नहीं है. इन्हें केवल वेनाडु चेरा सिक्कों के रूप में पहचाना जाता है. इस प्रकार के सिक्के नागरकोइल और तिरुनेलवेली क्षेत्रों में पाए गए. इस प्रकार का सिक्का शिवगंगई जिले के मनामदुरई में भी पाया गया है.

इसके अलावा इस सिक्के की समीक्षा में मुद्राशास्त्री विद्वान अरुमुगम सीतारामन ने कहा, 'इस प्रकार के सिक्कों की पहचान अंग्रेजों द्वारा पांड्या सिक्कों के रूप में की गई थी. बाद में पर्याप्त शिलालेखीय साक्ष्य के साथ, उन्हें वेनाडु चेरा सिक्कों के रूप में पहचाना गया. ये सिक्के कई शताब्दियों पहले व्यापारिक संबंधों के माध्यम से चेरा क्षेत्र से इस क्षेत्र में आए होंगे.'

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