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देश में विदेशी महिलाएं भी सुरक्षित नहीं, पूरे भारत में 2022 में दर्ज हुए बलात्कार के इतने केस - Gang rape case of Spanish woman

Gang Rape Case of Spanish Woman, झारखंड में एक स्पेनिश महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में जाने-माने सुरक्षा विशेषज्ञ और उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व डीजी प्रकाश सिंह ने कहा कि इस तरह की घटना से हमारे देश की छवि खराब होती है. इस घटना का न केवल स्पेन में बल्कि अन्य यूरोपीय समाचार पत्रों में भी व्यापक प्रचार हो चुका था. दोषियों से गहन पूछताछ की जरूरत है. दरअसल, इस बात पर गहन पूछताछ होनी चाहिए कि किस बात ने उन्हें इस तरह के अपराध में शामिल होने के लिए प्रेरित किया और उनकी आदतें क्या हैं. वे इंटरनेट पर क्या देख रहे थे. क्या उनका इरादा अश्लीलता फैलाने का है? पढ़ें इस मुद्दे पर ईटीवी भारत के गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 5, 2024, 7:08 PM IST

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब झारखंड के दुमका जिले में एक स्पेनिश ट्रैवल ब्लॉगर के साथ कथित बलात्कार ने बड़े पैमाने पर हंगामा मचा दिया है, नवीनतम सरकारी आंकड़ों से पता चला कि 2022 में देशभर में विदेशियों के खिलाफ विभिन्न प्रकृति के 147 अपराध हुए. कुल अपराध में से, एक ही वर्ष में विदेशी पर्यटकों और अन्य विदेशी नागरिकों सहित विदेशी नागरिकों के खिलाफ कम से कम 25 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए.

नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, पुलिस ने अब तक कुल 11 मामलों का निपटारा कर दिया है, जबकि 14 मामलों की जांच अभी भी करीब 56 प्रतिशत तक लंबित है. 2022 में कम से कम 10 नेपाली महिलाएं, इसके बाद पांच रूसी, अन्य एशियाई देशों, अमेरिका, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की चार महिलाएं बलात्कार के मामलों की शिकार बनीं.

विभिन्न राज्यों में विदेशी नागरिकों के खिलाफ हुए कुल 147 अपराध मामलों में से, कर्नाटक 28 मामलों के साथ शीर्ष पर है, इसके बाद हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र में 21-21 मामले और गोवा और हरियाणा में 16-16 मामले हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक और प्रसिद्ध सुरक्षा विशेषज्ञ प्रकाश सिंह ने कहा कि इस तरह की घटनाएं निश्चित रूप से भारत की छवि खराब करती हैं.

सिंह ने कहा कि 'हां बिल्कुल, इस तरह की घटना हमारे देश के लिए खराब छवि लाती है. इस घटना का न केवल स्पेन में बल्कि अन्य यूरोपीय अखबारों में भी व्यापक प्रचार हो चुका था.' सिंह ने इस तरह की घटना को बिल्कुल शर्मनाक बताते हुए कहा कि 'दोषियों से गहन पूछताछ की जरूरत है.' सिंह के मुताबिक, इस बात पर गहन पूछताछ की जानी चाहिए कि किस वजह से वे इस तरह के अपराध में शामिल हुए और उनकी आदतें क्या हैं.

वे इंटरनेट पर क्या देख रहे थे. क्या उनका इरादा अश्लीलता फैलाने का है? ऐसे मामलों में जांच की धीमी प्रगति के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि 'जांच प्रक्रिया धीमी हो सकती है, लेकिन मैं यह नहीं कहूंगा कि स्थिति हर जगह एक जैसी है. कई मामलों में जांच तत्परता से की जाती है. हालांकि, इसमें सुधार की भी गुंजाइश है.'

सिंह ने कहा कि 'हमें यह जानने की ज़रूरत है कि उन्हें क्या प्रेरित कर रहा है. उनके मन में ऐसे विचार क्यों आते हैं कि औरत तो बस एक मांस का टुकड़ा है और तुम्हें उसे भोगना है. हमें यह जानने की जरूरत है कि मूल्य प्रणाली में गिरावट का कारण क्या है. इन चीजों की गहनता से जांच करने की जरूरत है.'

जब सिंह से इस तरह के खतरे से लड़ने के लिए निर्भया योजना जैसी सरकार की पहल के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने इस कदम की सराहना की, लेकिन कहा कि इन दिनों बहुत अधिक अश्लील साहित्य उपलब्ध है. सिंह ने कहा कि 'एक बार जब कोई इन (अश्लील साहित्य) चीजों को देखता है, तो यह सोचने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है. और तो और अब तो ओटीटी प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जिसमें बहुत ज्यादा अश्लीलता है.'

सिंह ने कहा कि 'अगर सरकार इन चीजों पर नियंत्रण नहीं रखती है, तो हमें इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है, जो होती रहती हैं.' इसी विचार को दोहराते हुए प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. प्रियंका श्रीवास्तव ने कहा कि मनोविज्ञान इस दिशा में एक बड़ी भूमिका निभाता है. श्रीवास्तव ने कहा कि 'हमें उनकी (आरोपी) परवरिश को समझने की जरूरत है. हमें उन्हें उचित यौन शिक्षा देने की जरूरत है.'

श्रीवास्तव ने कहा कि 'शिक्षा वास्तव में एक प्रमुख मुद्दा है. वहीं सोशल मीडिया और फोन इस तरह की घटना को बढ़ावा दे रहे हैं. दरअसल, आरोपियों को पता ही नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं. कई मामलों में, एक बार जब वे बलात्कार जैसा अपराध कर लेते हैं, तो वे पछताते हैं.'

यह कहते हुए कि शैक्षणिक संस्थानों में यौन शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, श्रीवास्तव ने कहा कि 'दिल्ली और एनसीआर में कई स्कूल यौन शिक्षा दे रहे हैं, हालांकि, परिवार को भी अपने बच्चे को उचित जागरूकता और शिक्षा के साथ पालने की जरूरत है.' उन्होंने निर्भया योजना की सराहना की, लेकिन कहा कि हर नागरिक तक इसकी पहुंच भी बहुत जरूरी है.

श्रीवास्तव ने कहा कि 'सरकार निर्भया योजना के तहत विभिन्न योजनाएं लागू कर रही है, लेकिन जब तक हम उचित यौन शिक्षा प्रदान नहीं करेंगे, तब तक इस प्रकार की घटनाओं को रोकना संभव नहीं होगा.' सरकार ने हाल ही में संसद में जानकारी दी है कि निर्भया फंड के तहत वित्त वर्ष 2023-24 तक कुल 7212.85 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है.

मंत्रालयों और विभागों द्वारा जारी की गई कुल राशि में से 5118.91 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग शुरुआत से ही किया जा चुका है, जो कुल आवंटन का लगभग 70 प्रतिशत है. दिसंबर 2012 की घटना, जिसे निर्भया मामले के रूप में जाना जाता है, उसने पूरे भारत में महिलाओं के लिए बेहतर सुरक्षा उपायों के लिए विरोध प्रदर्शन और मांग की. इसके बाद, केंद्र सरकार ने 2013 में निर्भया फंड के नाम से एक गैर-व्यपगत निधि बनाई.

गृह मंत्रालय, रेल मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, न्याय विभाग, पर्यटन मंत्रालय, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय सहित भारत सरकार के कई मंत्रालय, महिला सुरक्षा से संबंधित कई परियोजनाओं को लागू करने के लिए निर्भया योजना के तहत केंद्रीय धन का उपयोग जारी रखे हुए हैं.

निर्भया फंड को एकजुट करके विभिन्न राज्यों में लागू की गई कुछ प्रमुख परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई सहित आठ शहरों के लिए सुरक्षित शहर परियोजना (1434.58 करोड़ रुपये), आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS) (364.03 करोड़ रुपये), एकीकृत आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रबंधन प्रणाली (IERSS) (313.72 करोड़ रुपये), राज्यवार वाहन ट्रैकिंग प्लेटफार्म (VTP) का प्रस्ताव (213.88 करोड़ रुपये) आदि शामिल हैं.

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