देहरादून: उत्तराखंड में इस समय मानसून सीजन चल रहा है. इस बीच लैंडस्लाइड, सड़क, पुल टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. बीते रोज उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में प्रदेश का पहला सिग्नेचर ब्रिज टूट गया. जिसके बाद एक बार फिर से पुलों के निर्माणकार्य, गुणवत्ता के साथ ही इस तरह की घटनाओं की चर्चा होने लगी है. अभी तक के ऑडिट में पाए गए 91 पुलों में 51 पुलों की हालत सुधर चुकी है. उत्तराखंड में 11 मोटर ब्रिज आज भी हाई रिस्क पर हैं. जिसके बाद भी इन ब्रिजेज पर ट्रैफिक दौड़ रहा है.
उत्तराखंड में बेहद डेंजर मोटर पुल: उत्तराखंड में अगर जर्जर पुलों की बात करें तो यह 11 पुल थराली, टिहरी, नरेंद्रनगर, देहरादून में 2, रुड़की, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग, पोखरी, पिथौरागढ़ और चकराता में मौजूद हैं.
इन डेंजर पुल पर चल रहा काम: वर्ल्ड बैंक के तहत गोपेश्वर के तीन पुलों के अलावा, घनसाली, पौड़ी, श्रीनगर, पिथौरागढ़ और रुद्रपुर मैं मौजूद जर्जर पुलों को वर्ल्ड बैंक के माध्यम से ठीक करने का काम चल रहा है. लोकनिर्माण विभाग खुद लोहाघाट में 2 पुल , खटीमा में 2 पुल, नैनीताल, ऊखीमठ, थात्युड़, दुगड्डा, बैजरों, देहरादून में 3 पुल, ऋषिकेश में 4 पुल, हरिद्वार, रुड़की, लक्सर और हल्द्वानी में जर्जर पुलों की मरम्मत करने का काम कर रहा है.
ये पुल हुए खतरे की श्रेणी से बाहर: पिछले एक साल में लोक निर्माण विभाग ने 91 जर्जर पुलों पर काम करना शुरू किया. इसके बाद 51 पुलों को असुरक्षित श्रेणी से बाहर लाया गया है. ये पुल कर्णप्रयाग, गोपेश्वर, थराली, पोखरी, गुप्तकाशी, घनसाली, कीर्तिनगर, नरेंद्र नगर, पौड़ी, दुगड्डा, लैंसडाउन, पौबौ, श्रीनगर, बड़कोट, खटीमा, रानीखेत, कपटकोट, डोईवाला, देहरादून, हरिद्वार और रुड़की में हैं.