आयुर्वेद में महाऔषधि तथा संजीवनी के नाम से संबोधित किये जाने वाले रुद्राक्ष का उपयोग आदिकाल से ही विभिन्न प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों के निवारण के लिए किया जाता रहा है। रुद्राक्ष को उत्तम औषधी की श्रेणी में रखा जाता है, जिसे सिर्फ धारण करने भर से ही कई समस्याओं में फायदा मिलता है। हिंदू धर्म में प्रार्थना माला के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले रुद्राक्ष के फायदों तथा आयुर्वेदिक औषधियों में उसके उपयोग बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए आयुर्वेदाचार्य डॉ. पी. वी. रंगनायकुलु ने ETV भारत सुखीभवा को बताया की अलग-अलग प्रकार के रुद्राक्षों के उपयोग से कई जटिल समस्याओं को भी जड़ से दूर किया जा सकता है।
रुद्राक्ष
भारत में भूतनाथ व शिवांश सहित विभिन्न नामों से प्रचलित रुद्राक्ष का वानस्पतिक नाम इलियोकार्पस गेनिट्रस है। डार्क बेरी के नाम से भी प्रसिद्ध रुद्राक्ष को दुनिया भर में इलियोकार्पस जीनस, इलियोकार्पस गेनिट्रस तथा ई. स्पेरोकोरपस के नाम से जाना जाता है।
रुद्राक्ष गंगा के डेल्टा, सब हिमालयन टरेन यानी हिमालय की निचली कंदराओं तथा दक्षिण पूर्व एशिया में विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है। चिकित्सीय गुणों की बात करें तो रुद्राक्ष में कैल्शियम ऑक्सलेट, गैलिक अम्ल, टैनिन्स, फ्लेवोनॉयड्स जैसे गुण पाए जाते हैं, जो शरीर में मुक्त कणों को संतुलित रखते हैं तथा जीन उत्परिवर्तन पर नियंत्रण रखते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर जीन की मरम्मत भी करते हैं।
डॉक्टर रंगनायकुलु बताते हैं कि आयुर्वेद में रुद्राक्ष को गर्म तासीर वाली औषधि माना गया है, जो कि तंत्रिका ऊत्तको के निर्माण के साथ ही शरीर के संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। रुद्राक्ष को गोरोछानाड़ी वटी, धनवंतरी गुटका तथा मृथासंजिवनी गुटिका सहित विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल किया जाता है। स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए आयुर्वेद में रुद्राक्ष से जुड़े कुछ नुस्खे तथा उसका चिकित्सीय उपयोग इस प्रकार है।
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रुद्राक्ष का औषधीय उपयोग
- रुद्राक्ष के पाउडर और ब्रह्मी को मिलाकर उसका सेवन करने से मिर्गी के रोग में फायदा होता है।
- रुद्राक्ष को दूध में उबालकर प्रतिदिन, दिन में एक बार इसका सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
- रुद्राक्ष को रात भर गुलाब जल में भिगोकर रखें। इस जल का उपयोग आंखों के संक्रमण को दूर करने के लिए आई ड्रॉप्स की तरह से किया जा सकता है।
- हाथ में ब्रेसलेट जा गले में रुद्राक्ष पहनने से बेचैनी तथा घबराहट दूर होती है।
- रुद्राक्ष को रात भर तांबे के बर्तन में पानी में भिगो कर रखें और सुबह इस पानी का सेवन करें। इस जल के सेवन से मधुमेह के लक्षणों में कमी आती है।
- रुद्राक्ष के पाउडर को मंजिष्ठा में मिलाकर फेस पैक लगाने से त्वचा रोग दूर होते हैं तथा त्वचा कांतिमय होती है।
- रुद्राक्ष का एक हिस्सा तथा शतावरी गुरुथा यानी शतावरी घी के तीन हिस्से मिलाकर उसका सेवन करने से महिलाओं के हार्मोन में संतुलन बना रहता है तथा उनकी प्रजनन क्षमता बेहतर होती है।
- रुद्राक्ष तथा चंदन के पाउडर को मिलाकर लगाने से गर्मी में राहत मिलती है।
- किसी भी माध्यम में रुद्राक्ष का सेवन तथा उसको पहनने से स्वास्थ्य तथा शरीर दोनों पर बढ़ती उम्र का प्रभाव कम होता है।
- रुद्राक्ष के तेल से एग्जिमा, दाद तथा मुहांसों से राहत मिलती है।
- रुद्राक्ष के उपयोग को लेकर जानवरों पर किए गए प्रयोगों से पता चलता है कि इससे उच्च रक्तचाप तथा ब्रोंकल अस्थमा में राहत मिलती है।
डॉ. पी. बी. रंगनायकुलु बताते हैं औषधि के रूप में रुद्राक्ष के सेवन से पूर्व चिकित्सक से जांच तथा सलाह बहुत जरूरी है।