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सड़क किनारे महिला ने बच्चे को दिया जन्म, पहाड़ में कब सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं?

उत्तरकाशी में सड़क किनारे महिला ने बच्चे को जन्म दिया. प्रसव पीड़ा के बाद ग्रामीण पैदल ही महिला को अस्पताल ले जा रहे थे, इसी दौरान रास्ते में उसने बच्चे को जन्म दिया.

Roadside Pregnancy delivery
सड़क किनारे महिला ने बच्चे को दिया जन्म
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Published : Jul 14, 2020, 3:28 PM IST

उत्तरकाशी: राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकी है. डॉक्टर पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं और मरीज को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खस्ता है.

ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी से आया है. जहां नौगांव विकासखण्ड के हिमरोल गांव की एक महिला को मजबूरन सड़क किनारे बच्चे को जन्म देना पड़ा. हिमरोल गांव की प्रधान मधुबाला बडोनी के मुताबिक प्रसव पीड़ा होने के बाद लक्ष्मण नौटियाल अपनी पत्नी रामप्यारी को लेकर अस्पताल की तरफ चल दिए. पैदल चलने और दर्द की वजह से ग्रामीणों को सड़क किनारे ही महिला की डिलीवरी करनी पड़ी. प्रसव के बाद ग्रामीण जच्चा और बच्चा को वापस गांव ले आए, जहां दोनों स्वस्थ बताए जा रहे हैं.

उत्तराखंड में कब सुधरेंगी स्वास्थ्य सेवाएं?

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स्थानीय लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग गांव तक 3 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने का सर्वे किया था. लेकिन सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट गया. इन सबके बीच ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के सामने 1 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा, वो भी परवान नहीं चढ़ सका. ऐसे में ग्रामीणों को बेहद मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा है.

एसडीएम बड़कोट सोहन सिंह सैनी के मुताबिक सड़क किनारे प्रसव की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में ग्रामीणों और संबंधित विभाग से जानकारी लेकर समस्या के समाधान का प्रयास किया जाएगा.

उत्तरकाशी: राज्य गठन के बाद से उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ सकी है. डॉक्टर पहाड़ चढ़ने को तैयार नहीं और मरीज को उचित स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण पहाड़ी जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत खस्ता है.

ऐसा ही एक मामला उत्तरकाशी से आया है. जहां नौगांव विकासखण्ड के हिमरोल गांव की एक महिला को मजबूरन सड़क किनारे बच्चे को जन्म देना पड़ा. हिमरोल गांव की प्रधान मधुबाला बडोनी के मुताबिक प्रसव पीड़ा होने के बाद लक्ष्मण नौटियाल अपनी पत्नी रामप्यारी को लेकर अस्पताल की तरफ चल दिए. पैदल चलने और दर्द की वजह से ग्रामीणों को सड़क किनारे ही महिला की डिलीवरी करनी पड़ी. प्रसव के बाद ग्रामीण जच्चा और बच्चा को वापस गांव ले आए, जहां दोनों स्वस्थ बताए जा रहे हैं.

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स्थानीय लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग गांव तक 3 किलोमीटर लंबी सड़क बनाने का सर्वे किया था. लेकिन सर्वे सिर्फ कागजों तक ही सिमट गया. इन सबके बीच ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के सामने 1 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा, वो भी परवान नहीं चढ़ सका. ऐसे में ग्रामीणों को बेहद मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ रहा है.

एसडीएम बड़कोट सोहन सिंह सैनी के मुताबिक सड़क किनारे प्रसव की उन्हें कोई जानकारी नहीं है. इस संबंध में ग्रामीणों और संबंधित विभाग से जानकारी लेकर समस्या के समाधान का प्रयास किया जाएगा.

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