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सड़क को लेकर ढोल-दमाऊं के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

सड़क निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में जमकर हंगामा किया. ढोल-दमाऊ के साथ पहुंचे. ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है.

villagers protested.
कलेक्ट्रेट में हंगामा.
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Published : Dec 17, 2019, 5:53 PM IST

उत्तरकाशी: चिन्यालीसौड़ तहसील के गमरी पट्टी ग्रामीण सड़क निर्माण न होने के कारण ग्रामीण आक्रोशित हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि वो क्षेत्र की सड़क के लिए प्रशासन से लगातार शिकायत करके थक चुके हैं. लेकिन अभी तक कोई भी उनकी मांग को सुनने को तैयार नहीं है. जिससे आक्रोशित ग्रामीण अब आर-पार की लड़ाई का मन बना रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी परेशानी किसी को नहीं दिख रहा है, जिस कारण वे उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे.

कलेक्ट्रेट में हंगामा.

मंगलवार को गमरी पट्टी के ग्रामीण धरासू उल्लंन मोटर मार्ग और क्षेत्र की अन्य समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर ढोल-दमाऊ के साथ कलक्ट्रेट परिसर पहुंचे. जहां उन्होंने प्रदेश सरकार और प्रशासन की उदासीनता पर जमकर नारेबाजी की. साथ ही उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अभी भी पेयजल, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए लंबे समय से ग्रामीण क्रमिक अनशन पर हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस कारण ग्रामीणों को मजबूरन ढोल- दमाऊ के साथ आना पड़ा.

ये भी पढ़ें: हाईकोर्ट से स्वामी चिदानंद को लगा झटका, भवन निर्माण पर लगाई रोक

गमरी पट्टी के शिव शंकर पैन्यूली ने बताया कि साल 1989 में गमरी पट्टी की धरासू उल्लंन मोटर मार्ग स्वीकृत हो गया था, लेकिन आज तक सड़क नहीं बन पाई है. साथ ही क्षेत्र में कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका निराकरण अभी तक नहीं हो पाया है. वहीं, स्थानीय देवकी राणा ने बताया कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे इलाज के लिए मीलों का सफर तय कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है.

उत्तरकाशी: चिन्यालीसौड़ तहसील के गमरी पट्टी ग्रामीण सड़क निर्माण न होने के कारण ग्रामीण आक्रोशित हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि वो क्षेत्र की सड़क के लिए प्रशासन से लगातार शिकायत करके थक चुके हैं. लेकिन अभी तक कोई भी उनकी मांग को सुनने को तैयार नहीं है. जिससे आक्रोशित ग्रामीण अब आर-पार की लड़ाई का मन बना रहे हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी परेशानी किसी को नहीं दिख रहा है, जिस कारण वे उग्र आंदोलन करने को विवश होंगे.

कलेक्ट्रेट में हंगामा.

मंगलवार को गमरी पट्टी के ग्रामीण धरासू उल्लंन मोटर मार्ग और क्षेत्र की अन्य समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर ढोल-दमाऊ के साथ कलक्ट्रेट परिसर पहुंचे. जहां उन्होंने प्रदेश सरकार और प्रशासन की उदासीनता पर जमकर नारेबाजी की. साथ ही उन्होंने बताया कि क्षेत्र में अभी भी पेयजल, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए लंबे समय से ग्रामीण क्रमिक अनशन पर हैं. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इस कारण ग्रामीणों को मजबूरन ढोल- दमाऊ के साथ आना पड़ा.

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गमरी पट्टी के शिव शंकर पैन्यूली ने बताया कि साल 1989 में गमरी पट्टी की धरासू उल्लंन मोटर मार्ग स्वीकृत हो गया था, लेकिन आज तक सड़क नहीं बन पाई है. साथ ही क्षेत्र में कई ऐसी समस्याएं हैं, जिनका निराकरण अभी तक नहीं हो पाया है. वहीं, स्थानीय देवकी राणा ने बताया कि अगर गांव में कोई बीमार हो जाए तो उसे इलाज के लिए मीलों का सफर तय कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है.

Intro:उत्तरकाशी। चिन्यालीसौड़ तहसील के गमरी पट्टी के ग्रामीणों का कहना है कि वह क्षेत्र की सड़क के लिए लड़ाई लड़- लड़ कर अब थक चुके हैं। हर स्तर पर अपनी आवाज के पहुंचा चुके ग्रामीणों की आवाज कोई नहीं सुन रहा है। इसलिए ग्रामीण अब अंतिम चेतावनी के बाद आर-पार की लड़ाई लड़ने का विचार बना चुके हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनका दर्द किसी को नहीं दिख रहा है। इसलिए अब वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। Body:वीओ-1, मंगलवार को गमरी पट्टी के ग्रामीण धरासू उल्लंन मोटर मार्ग और क्षेत्र की अन्य समस्याओं के निराकारण की मांग को लेकर ढोल दमाऊ के साथ कलक्ट्रेट परिसर में पहुंचे। जहां पर उन्होंने प्रदेश सरकार और प्रशासन की उदासीनता पर जमकर नारेबाजी की। साथ ही कहा कि क्षेत्र में अभी भी पेयजल सहित स्वास्थ सम्बन्धी समस्याओं के लिए लंबे समय से ग्रामीण क्रमिक अनशन पर हैं। लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हुई। तो ग्रामीणों को मजबूरन ढोल दमाऊ के साथ आना पड़ा। कि क्या पता शासन प्रशासन की कानों तक कोई आवाज पहुंच सके। Conclusion:वीओ-2, गमरी पट्टी के शिव शंकर पैन्यूली ने कहा कि 1989 में गमरी पट्टी की धरासू उल्लंन मोटर मार्ग स्वीकृत हो गया था। लेकिन आज तक सड़क नहीं बन पाई है। साथ ही क्षेत्र में कई ऐसी समस्याएं हैं। जिनका निराकारण अभी तक नहीं हो पाया है। वहीं क्षेत्र की देवकी राणा ने कहा कि आज अगर गांव में बीमार हो जाये। तो उसे समय पर अस्पताल नहीं पहुँचाया जा सकता।
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