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गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में बर्फबारी शुरू, ग्रामीणों की निचले इलाकों में रवानगी शुरू

गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी शुरू हो गई है. ऐसे में हिमालयी इलाके में रहने वाले ग्रामीणों का निचले इलाके में रवानगी शुरू हो गई है.

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Published : Nov 10, 2019, 11:05 PM IST

Updated : Nov 10, 2019, 11:18 PM IST

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में बर्फबारी शुरू

उत्तरकाशी: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी शुरू हो गई है.तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने के कारण अब भेड़ पालक और बकरी चुगाने वाले ग्रामीणों ने निचले इलाकों में आना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के दौरान ग्रामीण 6 माह के प्रवास के लिए जनपद मुख्यालय के निचले इलाकों में आ जाते हैं.

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में बर्फबारी शुरू


जिले के हिमालयी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है. दोनों धामों के कपाट बंद होते ही ऊंचाई के क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू होते ही उपला टकनौर के ग्रामीण निचले इलाकों की ओर रवाना हो गए हैं. गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव सहित धराली, हर्षिल और बगोरी के ग्रामीण 6 माह के प्रवास के लिए गंगोरी, बड़ेथी और डुंडा गांव में आ जाते हैं. साथ ही कई ग्रामीण अपने जानवरों को भी साथ ही ले आते हैं.

पढ़ेंः बैकुंठ चतुर्दशी पर पूजा का जानिए शुभ मुहूर्त, इस मंत्र के जाप से पूरी होगी मनोकामना

जिले के उपला, टकनौर सहित मोरी गांव के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के ग्रामीण बर्फबारी के दौरान अपने गांव में ही रहते हैं. आने वाली सर्दियों के लिए ये ग्रामीण सभी से 6 माह का राशन और जानवरों के लिए चारा और घास भी एकत्रित करते हैं ताकि बर्फबारी में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके.

उत्तरकाशी: गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी शुरू हो गई है.तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रही है. ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने के कारण अब भेड़ पालक और बकरी चुगाने वाले ग्रामीणों ने निचले इलाकों में आना शुरू कर दिया है. बर्फबारी के दौरान ग्रामीण 6 माह के प्रवास के लिए जनपद मुख्यालय के निचले इलाकों में आ जाते हैं.

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में बर्फबारी शुरू


जिले के हिमालयी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो गई है. दोनों धामों के कपाट बंद होते ही ऊंचाई के क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू होते ही उपला टकनौर के ग्रामीण निचले इलाकों की ओर रवाना हो गए हैं. गंगोत्री के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव सहित धराली, हर्षिल और बगोरी के ग्रामीण 6 माह के प्रवास के लिए गंगोरी, बड़ेथी और डुंडा गांव में आ जाते हैं. साथ ही कई ग्रामीण अपने जानवरों को भी साथ ही ले आते हैं.

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जिले के उपला, टकनौर सहित मोरी गांव के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के ग्रामीण बर्फबारी के दौरान अपने गांव में ही रहते हैं. आने वाली सर्दियों के लिए ये ग्रामीण सभी से 6 माह का राशन और जानवरों के लिए चारा और घास भी एकत्रित करते हैं ताकि बर्फबारी में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके.

Intro:उत्तरकाशी। जनपद के ऊंचाई वाले इलाकों में अब बर्फबारी शुरू हो गई है। जिससे कि तापमान में भारी गिरावट देखने को मिल रहा है। ऊंचाई वाले इलाकों में अधिक बर्फबारी होने क्व कारण अब भेड़ पालक और बकरी चुगाने वाले ग्रामीणों ने निचले इलाकों में आना शुरू कर दिया है। साथ ही जनपद के भी कुछ गांव से बर्फबारी के दौरान 6 माह के प्रवास के लिए जनपद मुख्यालय के निचले इलाकों में आ जाते हैं।Body:वीओ-1, जनपद के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में सीजन की पहली बर्फबारी शुरू हो गई है। तो धामों के कपाट बंद होते ही ऊंचाई के क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू होते ही उपला टकनौर के गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव सहित धराली,हर्षिल,बगोरी गांव से ग्रामीण 6 माह के प्रवास के लिए गंगोरी,बड़ेथी,डुंडा गांव में आ जाते हैं। साथ ही कई ग्रामीण अपने जानवरो को भी साथ ही ले आते हैं।Conclusion:वीओ-2, जनपद के उपला टकनौर सहित मोरी के ऊंचाई वाले पर्वत और सरनौल क्षेत्र के कई ग्रामीण बर्फबारी के दौरान अपने गांव में रहते हैं। आने वाली सर्दियों के लिए यह ग्रामीण सभी से 6 माह का राशन और रशस सहित गांव के सभी परिवार अपने जानवरों के लिए 6 माह तक चारा और घास भी एकत्रित कर देते हैं। जिससे कि बर्फबारी में होने वाली परेशानियों से बचा जा सके। बाईट-ग्रामीण।
Last Updated : Nov 10, 2019, 11:18 PM IST
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