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नदी के साथ पैदल मार्ग बहा, पगडंडी पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे ग्रामीण

भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने से जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित स्यूणा गांव का पैदल मार्ग डूब चुका है. जिससे ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पखडंडी से सफर करने को मजबूर है.

जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर ग्रामीण
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Published : Aug 10, 2019, 2:14 PM IST

उत्तरकाशीः भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने से जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित स्यूणा गांव का पैदल मार्ग डूब चुका है. जिसे लेकर ग्रामीण परेशान है. ऐसे में ग्रामीणों ने सड़क और पैदल मार्ग न होने के चलते इस स्थान पर झूला पुल बनाए जाने की मांग की, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी इस मांग को अनसुना करता आ रहा है. लिहाजा, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पखडंडी से सफर करने को मजबूर हैं.

बता दें कि जिला मुख्यालय से स्यूणा गांव को जोड़ने वाला एक अदद पैदल मार्ग भी नदी की भेंट चढ़ गया है. आलम ये है कि ग्रामीण पहाड़ से बनी पगडंडी पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. शासन-प्रशासन से ग्रामीण लंबे समय से यहां झूला पुल बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही. गांव की महिलाओं का कहना है कि पशुओं की तरह ही उन्हें पगडंडियों के जरिए सफर करना पड़ रहा है. जबकि, कई बार इस रास्ते पर ग्रामीण चोटिल हो चुके हैं.

जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर ग्रामीण

ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन से उन्हें मार्ग और झूलापुल के नाम महज आश्वासन ही मिला है. ऐसे में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि अब उन्होंने ये उम्मीद छोड़ भी दी है कि कभी उनके गांव में झूला पुल या सड़क का निर्माण होगा.

उत्तरकाशीः भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ने से जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित स्यूणा गांव का पैदल मार्ग डूब चुका है. जिसे लेकर ग्रामीण परेशान है. ऐसे में ग्रामीणों ने सड़क और पैदल मार्ग न होने के चलते इस स्थान पर झूला पुल बनाए जाने की मांग की, लेकिन शासन-प्रशासन उनकी इस मांग को अनसुना करता आ रहा है. लिहाजा, ग्रामीण जान जोखिम में डालकर पखडंडी से सफर करने को मजबूर हैं.

बता दें कि जिला मुख्यालय से स्यूणा गांव को जोड़ने वाला एक अदद पैदल मार्ग भी नदी की भेंट चढ़ गया है. आलम ये है कि ग्रामीण पहाड़ से बनी पगडंडी पर जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. शासन-प्रशासन से ग्रामीण लंबे समय से यहां झूला पुल बनाए जाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही. गांव की महिलाओं का कहना है कि पशुओं की तरह ही उन्हें पगडंडियों के जरिए सफर करना पड़ रहा है. जबकि, कई बार इस रास्ते पर ग्रामीण चोटिल हो चुके हैं.

जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर ग्रामीण

ग्रामीणों का आरोप है कि शासन-प्रशासन से उन्हें मार्ग और झूलापुल के नाम महज आश्वासन ही मिला है. ऐसे में लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. उनका कहना है कि अब उन्होंने ये उम्मीद छोड़ भी दी है कि कभी उनके गांव में झूला पुल या सड़क का निर्माण होगा.

Intro:जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित स्युणा गांव का पैदल मार्ग भागीरथी नदी में डूब चुका है। अब ग्रामीण पहाड़ी से बनी पगडंडी से जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं। यह ग्रामीण किसी काले पानी की सजा से कम नहीं भुगत रहे। उत्तरकाशी। जब कभी डीएम अर विधायक मंग जाणी, त बोलदा की जब पाणी कम ह्वे जालू। तब बनी जालू बाटू। न आज तक बाटू बणी। पशुओं की तरह ही इन पहाड़ी की पगडंडियों में मर जायेंगे हम। यह हम नहीं बल्कि स्युणा गांव की बिंद्रा देवी और उर्मिला देवी कह रही है। जिनके गांव के एक मात्र पैदल रास्ता उफान पर बह रही भागीरथी नदी में डूब गया है। अब यह करीब 8 किमी की दूरी जो कि पहाड़ी की पगडंडियों से होकर गुजर रहा है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि अभी दो दिन पूर्व गांव के एक किशोर पगडंडियों के रास्ते पर गिरकर चोटिल हो गया था।


Body:वीओ-1, जिला मुख्यालय से महज 5 किमी की दूरी पर स्थित स्युणा गांव,जो सालों से गांव के एक अदद सड़क,और अगर वो भी नहीं, तो एक झूला पुल बनाने की मांग शांसन प्रशासन से कर रहे हैं। लेकिन सैकड़ो आश्वासनों के बावजूद भी आज तक गांव के पुल तो छोड़िए,एक अदद पैदल सुरक्षित मार्ग भी नहीं बन पाया है। जो एक पैदल मार्ग था। तो वह भी भागीरथी नदी के उफान में बह गया है। अब सब वीकल्प बन्द हो गए हैं। एक बचा,तो वह भी जानलेवा। पगडंडी का रास्ता और उसमें भी बरसात के दौरान कब पहाड़ी का कौन सा हिस्सा टूट पड़े। तो उसका कोई नहीं जानता। अब स्युणा गांव के लोगों ने उम्मीद ही छोड़ दी है कि कभी उनके गांव के लिए झूला पुल या सड़क का निर्माण करेगा।


Conclusion:वीओ-2, पगडंडियों को पार कर रही स्युणा गांव की उर्मिला और बिंद्रा देवी बताती हैं,कि अब उनके लिए सभी रास्ते बंद हो चुके हैं। जिस पगडंडी को वह पार कर रहे हैं। वहाँ पर पेड़ पौधों को पकड़-पकड़ कर पार करना पड़ता है। साथ ही दो दिन पूर्व उर्मिला देवी का पुत्र भी पगडंडी से फिसलने के कारण चोटिल हो गया था। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि बरसात के दौरान उन्हें बेजुबान जानवरों की तरह मरने का डर लगा रहता है। अब तो सबसे उम्मीद ही छोड़ दी है कि कभी कोई आएगा और उनके गांव के लिए रास्ता बनाएगा। बाईट- बिंद्रा देवी,ग्रामीण स्युणा। बाईट- उर्मिला देवी,ग्रामीण स्युणा।
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