उत्तरकाशी: शांत और शुद्ध वातावरण और हवा के लिए जाना जाने वाला प्रदेश का सीमांत जिले में भी अब नशे का जहर हवा में घुल गया है. जिले की पुलिस के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे है. जिसमें पिछले तीन वर्षों में करीब ढाई करोड़ से तीन करोड़ की लागत की नशे की खेप पुलिस ने पकड़ी है. हालांकि पुलिस लगातार नशे के विरोध में सघन अभियान चला रही है. लेकिन उसके बाद भी कहीं न कहीं आंकड़े सवाल खड़े कर रही है कि आखिर क्या कारण है कि पुलिस नशे कारोबार को रोक नहीं पा रही है.
आंकड़ों की बात करें तो जिले में साल 2018 में 24 केस दर्ज हुए, जिसमें 26 केस नशे के तस्कर पकड़े गए. तो वहीं उनके पास 1 करोड़ 76 लाख 5 हजार 390 रुपए की नशे की खेप पकड़ी गई, साथ ही वर्ष 2019 में 25 केस दर्ज हुए. जिसमें 91 तस्कर पकड़े गए. इसमें 1 करोड़ 54 लाख 8 हजार 3 सौ रुपए की खेप पकड़ी गई. हालांकि इस साल कोरोना काल में कमी आई. लेकिन उसके बावजूद भी अभी तक 10 लाख 35 हजार 530 रुपए की नशे की खेप पकड़ी गई. इसमें स्मैक, चरस, गांजा शामिल है. यह आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि कितनी तेजी के साथ नशे का जहर उत्तरकाशी की फिजा में घुलता जा रहा है. तो वहीं पुलिस का जन जागरूक अभियान और संघन चेकिंग अभियान नशे के बढ़ते प्रचलन को रोकने में अभी कारगर साबित नहीं हो पाया है.
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एसपी पंकज भट्ट का कहना है कि इस साल स्मैक की मात्रा कम पकड़ी गई है, लेकिन इसके बावजूद चरस और डोडा की मात्रा में इजाफा हुआ है. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के चलते तस्करी में कमी देखने को मिली है, लेकिन अनलॉक में एक बार फिर तस्कर सक्रिय हो गया है.