उत्तरकाशीः उत्तरकाशी जनपद का नाट्य दल संवेदना समूह वर्षों से जनपद की लोकगाथाओं पर कार्य और शोध कर रहा है. इसी क्रम में इस वर्ष भी 20 दिवसीय थिएटर कार्यशाला के बाद लोकगाथा नरु बिजू पर लेखक अजय नौटियाल के लिखे नाटक का मंचन भी हुआ. इस नाटक के लेखक अजय नौटियाल और निर्देशन डॉ अजीत पंवार ने किया.
इस नाटक में जनपद मुख्यालय के नजदीक तिलोथ गांव के 350 वर्ष पूर्व हुए दो वीर भड़ो भाई नरु और बिजू के जीवन को दर्शाने की कोशिश की गई है. वहीं इस कार्यशाला के दौरान कॉलेज के छात्र छात्राओं और युवाओं को थिएटर की बारीकियों की जानकारी दी गई. साथ ही बताया गया कि किस प्रकार से थियेटर व्यक्ति के व्यक्तित्व को सहायक साबित होता है.
उत्तरकाशी का नाट्य दल संवेदना समूह की ओर से इस वर्ष भी जनपद के एक निजी विद्यालय में 20 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जहां पर युवाओं को थिएटर की बारीकियों की जानकारी दी गई. साथ ही थिएटर की विभिन्न विधाओं का प्रशिक्षण भी दिया गया.
गढ़वाल विश्वविद्यालय के थिएटर प्रोफेसर डॉ अजीत पंवार ने युवाओं को थिएटर की बारीकियों के साथ जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार से थिएटर हमारे जीवन के व्यक्तित्व के विकास में सहयोग करता है. साथ ही इस दौरान नाटक मंचन की रिहर्सल की गई. जिस नाटक का मंचन कलक्ट्रेट परिसर में स्थित ऑडोटोरियम में किया गया.
तिलोथ गांव के 350 वर्ष पूर्व में रहे दो वीर भाई भड़ो नरु बिजू के जीवन पर शिक्षक अजय नौटियाल ने करीब 1 घंटे का नाटक का लिखा है. अजय नौटियाल ने लेखन के साथ नाटक में गीत और संगीत भी दिया है.
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वहीं नाटक में नरु बिजू के उस जीवन को दर्शाया गया है. जब वह टिहरी राज्य के बसने से पहले उत्तरकाशी के एरासुगढ़ जिसे आज बाड़ागड़ी का क्षेत्र कहा जाता है. अपने मालगुजारी क्षेत्र का विस्तार करते हैं.
साथ ही टिहरी रियासत के बसने के बाद राजा सुदर्शन शाह भी दोनों भाइयों को एरासुगढ़ में अपनी मालगुजारी चलाने की अनुमति देते हैं. साथ ही दोनों भाइयों को स्थानीय लोग तिलोथ के राजा का दर्जा दिया जाता है.