उत्तरकाशी: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की टीम गंगोत्री से गंगा स्वच्छता का सर्वेक्षण कार्य कर रही है. इस दौरान टीम लॉकडाउन के दौरान गंगा में आए बदलाव और स्वच्छता के साथ-साथ जल प्रवाह की शुद्धता की जांच करेगी. इस अभियान के प्रथम चरण में गौमुख से लेकर देवप्रयाग तक टीम सर्वे कर रही है. जिला प्रशासन के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की टीम गंगोत्री से हर्षिल तक सर्वे कर चुकी है. साथ ही गौमुख से गंगोत्री तक गंगा का सर्वे कर रही है. इस दौरान टीम ड्रोन के जरिए गंगोत्री धाम में नमामि गंगे के कार्यों पर एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार करेगी.
डीएम डॉ. आशीष चौहान के मुताबिक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के चार लोगों की टीम गंगोत्री धाम से गंगा का सर्वेक्षण शुरू कर चुकी है. इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से टीम को सर्वे के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं है. साथ ही पर्यटन विभाग भी टीम सदस्यों की मदद कर रही है. यह टीम गंगोत्री धाम और उत्तरकाशी में नमामि गंगे के तहत हुए एसटीपी प्लांट सहित अन्य कार्यों पर डॉक्यूमेंट्री तैयार करेगी. इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए नमामि गंगे के तहत गंगा स्वच्छता और गंगा के आसपास हुए कार्यों की समीक्षा की जाएगी.
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कितनी शुद्ध हुई गंगा
तीन-चार महीने पहले ही उत्तर भारत के जो शहर दमघोंटू हवा में जकड़े थे, वे लॉकडाउन के चलते अब शुद्ध हवा में सांस ले रहे हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के कारण गंगा नदी का जल भी फिर से निर्मल होने लगा है. लॉकडाउन की वजह से गंगा का प्रदूषण कम हो रहा है. नदी में औद्योगिक कचरे की डंपिंग में कमी आई है. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की टीम गौमुख में गंगा की परिस्थितिक तंत्र सहित जलीय जीवों पर पड़े असर का सर्वे करेगी.
नमामि गंगे परियोजना
गंगा की सफाई को लेकर पीएम ने नमामि गंगे परियोजना का शुभारंभ किया था. सही मायने में गंगा नदी देश के आर्थिक विकास का केंद्र भी है. तकरीबन 40 फीसदी से अधिक की आबादी इसके दायरे में प्रत्यक्ष रूप से आती है. केंद्र का दावा है कि दिसंबर 2020 तक गंगा की सफाई 70 से 80 फीसदी पूरी हो चुकी होगी. गंगा किनारे 28 रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स, 182 घाटों और 118 श्मशान के निर्माण, आधुनिकीकरण और नवीनीकरण के लिए 33 एंट्री लेवल प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं.
नमामि गंगे के प्रमुख कार्यक्रम के तहत कुल 299 परियोजनाएं चल रहीं हैं. उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में कार्यान्वयन के तहत 63 सीवरेज प्रबंधन परियोजनाएं शुरू की गईं हैं. हरिद्वार और वाराणसी के लिए 1187.33 MLD सीवरेज क्षमता की एसटीपी परियोजनाएं शुरू की गईं हैं.
13 मई 2015 को एक व्यापक कार्यक्रम के तहत गंगा नदी और इसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिये नमामि गंगे परियोजना को मंजूरी दी थी. इस परियोजना को अगले पांच वर्ष में पूरा करने के लिये कुल 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं.