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उत्तरकाशी में महसूस किए गए भूकंप के तेज झटके, घरों से बाहर निकले लोग

उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी में जनपद मुख्यालय में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए.

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Published : Oct 2, 2022, 11:36 AM IST

उत्तरकाशी: उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी में जनपद मुख्यालय में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटकों के बाद लोग घरों के बाहर आ गए. बताया गया कि रविवार सुबह 10.43 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए.

लोगों ने कुछ सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि भूकंप का केंद्र बाड़ाहाट रेंज ग्राम उत्तरों के जंगलों के मुकता टॉप में हैं.

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भूकंप का केंद्र

पढ़ें- पिथौरागढ़ में भूकंप के झटके महसूस किए गए, रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.1

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड करीब 2400 किमी लंबी इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट पर बना हुआ है. उन्होंने बताया कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है. इंडियन प्लेट हर साल यूरेशियन प्लेट के नीचे 40 से 50 मिलीमीटर तक धंस रही है, जिस कारण कंपन हो रहा है और यह होता रहेगा. उन्होंने कहा कि भूकंप के इन झटकों की हमें आदत डालनी पड़ेगी.

डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि आने वाले दिनों में कितना बड़ा भूकंप आएगा, यह कहना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन इससे बचने के लिए हमें और हमारी सरकार को योजनाबद्ध तरीके से निर्माण कार्य करना पड़ेगा. पहाड़ों और मैदान में लोगों को अपने घरों को भूकंप रोधी बनाने पर जोर देना होगा. सरकार को चाहिए कि पहाड़ों पर जिन भी सड़कों का निर्माण हो रहा है, वह भूकंप को ध्यान में रख कर किया जाए. इसके लिए सरकार को एक कमेटी बनानी चाहिए, जो मॉनिटिंग करें कि जो भी निर्माण हो रहे हैं, वह भूकंप रोधी है या नहीं.

उत्तरकाशी: उत्तराखंड स्थित उत्तरकाशी में जनपद मुख्यालय में रविवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटकों के बाद लोग घरों के बाहर आ गए. बताया गया कि रविवार सुबह 10.43 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए.

लोगों ने कुछ सेकेंड तक भूकंप के झटके महसूस किए. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि भूकंप का केंद्र बाड़ाहाट रेंज ग्राम उत्तरों के जंगलों के मुकता टॉप में हैं.

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भूकंप का केंद्र

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वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि उत्तराखंड करीब 2400 किमी लंबी इंडियन प्लेट और यूरेशियन प्लेट पर बना हुआ है. उन्होंने बताया कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है. इंडियन प्लेट हर साल यूरेशियन प्लेट के नीचे 40 से 50 मिलीमीटर तक धंस रही है, जिस कारण कंपन हो रहा है और यह होता रहेगा. उन्होंने कहा कि भूकंप के इन झटकों की हमें आदत डालनी पड़ेगी.

डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि आने वाले दिनों में कितना बड़ा भूकंप आएगा, यह कहना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन इससे बचने के लिए हमें और हमारी सरकार को योजनाबद्ध तरीके से निर्माण कार्य करना पड़ेगा. पहाड़ों और मैदान में लोगों को अपने घरों को भूकंप रोधी बनाने पर जोर देना होगा. सरकार को चाहिए कि पहाड़ों पर जिन भी सड़कों का निर्माण हो रहा है, वह भूकंप को ध्यान में रख कर किया जाए. इसके लिए सरकार को एक कमेटी बनानी चाहिए, जो मॉनिटिंग करें कि जो भी निर्माण हो रहे हैं, वह भूकंप रोधी है या नहीं.

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