उत्तरकाशीः जिले के ऊंचाई वाले इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी से जहां गर्मी से राहत मिली है, तो वहीं सेब काश्तकारों को अप्रैल महीने में मौसम ने दोहरी मार पड़ी है. इससे जिले के हर्षिल सहित आराकोट बंगाण के सेब काश्तकार मायूस नजर आ रहे हैं. हर्षिल में जहां पहले बर्फबारी ने तो वहीं आराकोट बंगाण क्षेत्र में दो बार की ओलावृष्टि ने सेब की फसल को नुकसान पहुंचाया है. हर्षिल में बीते दिन भी ओलावृष्टि और फिर बर्फबारी ने सेब की पैदावार को बुरी तरह प्रभावित किया है. अब सेब काश्तकारों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि बर्फबारी और ओलावृष्टि को आपदा घोषित कर नुकसान की भरपाई की जाए.
उत्तरकाशी जिला प्रदेश में सेब के उत्पादन का सिरमौर है. जनपद में हर वर्ष 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है. इसे 2022 तक 22 हजार मीट्रिक टन करने का लक्ष्य था. आराकोट बंगाण क्षेत्र और हर्षिल घाटी को मिलाकर कुल 14,000 हजार मीट्रिक टन सेब की पैदावार होती है. सेब काश्तकारों का कहना है कि पहले आपदा, फिर कोरोनाकाल और अब बर्फबारी और ओलावृष्टि बड़ा नुकसान कर चुकी है.
आराकोट के सेब काश्तकार मनमोहन चौहान ने बताया कि बंगाण क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि और उसके बाद बुधवार को दोबारा हुई ओलावृष्टि ने सेब की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. उन्होंने सीएम और कृषि मंत्री को ज्ञापन देकर नुकसान का आकलन करवाने की मांग की है.
हर्षिल घाटी के सेब काश्तकार मनोज नेगी, संजीव सिंह ने कहा कि दो बार की बर्फबारी और एक बार की ओलावृष्टि से सेब के पेड़ों से सब फूल झड़ गए हैं. कई स्थानों पर पेड़ों की टहनियां पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं.
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जिला उद्यान अधिकारी डॉ. रजनीश सिंह का कहना है कि जनपद में अभी तक के आकलन के अनुसार 25 प्रतिशत सेब की बागवानी को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि जिन किसानों का इंश्योरेंस था उसका आकलन पोर्टल पर डाल दिया गया है. उन्होंने कहा कि पूरे नुकसान का आकलन कर शासन को भेज दिया गया है.