उत्तरकाशी/चमोलीः उत्तरकाशी में दोपहर बाद मौसम खुलने के स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली है, लेकिन अभी भी दुश्वारियां कम नहीं हुई है. धराली में खीर गंगा का जलस्तर अभी भी बढ़ा हुआ है. जिससे गंगोत्री हाईवे पर आवाजाही करना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कांवड़िए और यात्री बीआरओ के जेसीबी व ट्रकों पर सवार होकर नदी पार कर रहे हैं. उधर, चमोली में भी लोग जेसीबी के जरिए ही धौली गंगा नदी पार कर रहे हैं. अभी तक भारत चीन सीमा पर सेना के वाहनों की आवाजाही ठप है.
उत्तरकाशी जिले में जहां दोपहर तक बारिश जारी रही तो दोपहर बाद मौसम खुल गया था. जिससे चार दिन की बारिश से स्थानीय लोगों ने राहत मिली है, लेकिन अभी भी ग्रामीणों और यात्रियों की मुसीबतें कम नहीं हुई है. गंगोत्री हाईवे हेलगुगाड़ में करीब 16 घंटे बाद खुला. जिससे वहां फंसे कांवड़ियों ने राहत की सांस ली. वहीं, यमुनोत्री हाईवे पालीगाड़ में तीन घंटे बंद रहा. गंगोत्री हाईवे भी ज्ञानसू ओपन टनल के पास करीब डेढ़ घंटे बंद रहा.
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वहीं, मनेरा दिलसौड़ मोटर मार्ग के क्षतिग्रस्त हिस्से पर ग्रामीणों ने खुद पैदल मार्ग बनाकर आवाजाही कर रहे हैं, लेकिन वहां पर भी ग्रामीण खतरे के बीच आवाजाही कर रहे हैं. भारी बारिश के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे पर कई नए भूस्खलन जोन बन गए हैं. जिला मुख्यालय उत्तरकाशी में गंगोत्री हाईवे पर चुंगी बढ़ेथी सुरंग के पास नया भूस्खलन जोन बन गया है. गुरुवार को यहां भारी भूस्खलन के कारण करीब डेढ़ घंटे तक यातायात बाधित रहा.
गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे पर भूस्खलन के लिहाज से 16 अति संवेदनशील स्थान हैं. मॉनसून सीजन में यह सभी भूस्खलन जोन सक्रिय हो जाते हैं. भारी भूस्खलन के कारण यहां हर पल जानमाल के नुकसान का भी खतरा बना रहता है. बीते पांच दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश से अब नए भूस्खलन जोन भी पैदा हो गए हैं. चुंगी बड़ेथी पुल से पहले भी गंगोत्री हाईवे पर बोल्डरों के गिरने का खतरा बना हुआ है.
उधर, यमुनोत्री हाईवे पर रानाचट्टी और झर्झर गाड़ के बीच छटांगाधार से पहले नर्सरी के पास व छटांगाधार से आगे जसाकोटी मंदिर के पास भूस्खलन जोन बन गए हैं. जिससे आने वाले समय में ये भूस्खलन जोन भी यातायात सुचारु बनाए रखने में बीआरओ और एनएच की कड़ी परीक्षा लेंगे.
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27 संवेदशनशील क्षेत्र चिन्हितः गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे पर नए व दोबारा सक्रिय संवेदनशील क्षेत्र भी चिन्हित हैं. इनमें गंगोत्री हाईवे पर धरासू से गंगोत्री तक 17 संवेदनशील स्थल हैं. वहीं, यमुनोत्री हाईवे पर धरासू से यमुनोत्री तक 10 संवेदनशील क्षेत्र चिन्हित हैं. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे पर नए बने भूस्खलन जोन को चिन्हित किया जाएगा. ताकि, वहां पर सुचारू यातायात के लिए बीआरओ और एनएच अपनी टीम तैनात रखें.
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सोमवार को जोशीमठ-मलारी हाईवे पर पुल को क्षति हुई थी जिससे सीमावर्ती गांवों के लोगों और सेना की आवाजाही बंद हो गई थी। @BROindia के प्रोजेक्ट शिवालिक ने पैदल आवाजाही के लिए अस्थाई रास्ता बनाकर 20 सीमावर्ती गावों को जोड़ दिया व अब वाहन आवागमन आरंभ करने के लिए कार्यरत है। pic.twitter.com/RPGcck3n3y
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">सोमवार को जोशीमठ-मलारी हाईवे पर पुल को क्षति हुई थी जिससे सीमावर्ती गांवों के लोगों और सेना की आवाजाही बंद हो गई थी। @BROindia के प्रोजेक्ट शिवालिक ने पैदल आवाजाही के लिए अस्थाई रास्ता बनाकर 20 सीमावर्ती गावों को जोड़ दिया व अब वाहन आवागमन आरंभ करने के लिए कार्यरत है। pic.twitter.com/RPGcck3n3y
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भारत चीन सीमा पर सेना के वाहनों की आवाजाही ठपः बीते दिनों चमोली के जोशीमठ क्षेत्र में बारिश के बाद जुमा में धौली गंगा पर बना भारत चीन सीमा को जोड़ने वाला पुल बह गया था. यह पुल ग्लेशियर टूटने के बाद पानी के तेज बहाव में धराशायी हो गया था. बीआरओ की ओर से अभी तक पुल निर्माण का कार्य शुरू नहीं किया गया है. जिस कारण भारत चीन सीमा पर सेना के वाहनों की आवाजाही ठप पड़ी हुई है. साथ ही सीमावर्ती गांवों के लोग जान जोखिम में डालकर पोकलैंड मशीन के जरिए नदी पार कर अपने गंतव्यों की ओर रहे हैं.