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ग्राउंड रिपोर्ट: विकासखंड पुरोला के सरकारी स्कूलों में लगातार घट रही छात्र संख्या

राज्य में गिरती छात्र संख्या को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नई पहल की जररुत है. वहीं,  छात्र संख्या बढ़ाने के लिए स्कूल चलो अभियान के  तहत मिड-डे मील, नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और मेडिकल सुविधा धरातल पर उतारने की जरुरत है.

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Published : Sep 6, 2019, 6:20 PM IST

सरकारी स्कूली बच्चें


पुरोला: केंद्र व राज्य सरकार स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने और छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर लाख दावे किया जा रहे हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो सरकारी विद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. इसकी बानगी उत्तरकाशी के पुरोला में भी देखी जा सकती है. वहीं, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं.

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बता दें कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार स्कूल चले अभियान के तहत मिड-डे मील, नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और मेडिकल सुविधा दी जा रही है. बावजूद इसके इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

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वहीं, पुरोला विकासखंड में 119 प्राथमिक स्कूल और 63 जूनियर स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिनमें कुल 2,696 बच्चे अध्ययनरत है. इन बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार ने 182 अध्यापक नियुक्त किये है. जिनका एक माह का वेतन 1 करोड़ 21 लाख 83 हजार 330 रुपये सरकार वहन करती है. इस हिसाब से हर बच्चे पर प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपये खर्च हो रहे हैं.

सरकारी स्कूलों में लगातार घट रही छात्र संख्या.

गौरतलब है कि प्राइमरी स्तर पर साल 2016 में कुल छात्रों की संख्या 3400, साल 2017 में 3169, साल 2018 में 2919 और 2019-20 में यह संख्या घटकर महज 2669 रह गई है. इतना ही नहीं माध्यमिक स्तर पर भी छात्र संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. पूरे ब्लॉक में कुल 5 इंटर कॉलेज तथा 2 हाई स्कूल संचालित हो रहे है. वहीं, माध्यमिक स्तर पर साल 2016 में 2549 छात्र, साल 2017 में 2560, साल 2018 में 2478, साल 2019 में 2426 छात्र ही रह गये हैं.

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बहरहाल, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र संख्या बढ़ाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं. वह तमाम योजनाओं के संचालन के बावजूद नाकाफी साबित हो रहे हैं. ऐसे में उन कारणों का पता लगाना भी आवश्यक है, जिसके कारण साल दर साल सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटती जा रही है.


पुरोला: केंद्र व राज्य सरकार स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने और छात्र संख्या बढ़ाने को लेकर लाख दावे किया जा रहे हो लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ ओर ही है. आंकड़ों पर नजर दौड़ाए तो सरकारी विद्यालय में दाखिला लेने वाले छात्रों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. इसकी बानगी उत्तरकाशी के पुरोला में भी देखी जा सकती है. वहीं, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं.

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बता दें कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार स्कूल चले अभियान के तहत मिड-डे मील, नि:शुल्क पुस्तकें, ड्रेस और मेडिकल सुविधा दी जा रही है. बावजूद इसके इन विद्यालयों में छात्रों की संख्या लगातार घट रही है.

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वहीं, पुरोला विकासखंड में 119 प्राथमिक स्कूल और 63 जूनियर स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिनमें कुल 2,696 बच्चे अध्ययनरत है. इन बच्चों को पढ़ने के लिए सरकार ने 182 अध्यापक नियुक्त किये है. जिनका एक माह का वेतन 1 करोड़ 21 लाख 83 हजार 330 रुपये सरकार वहन करती है. इस हिसाब से हर बच्चे पर प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपये खर्च हो रहे हैं.

सरकारी स्कूलों में लगातार घट रही छात्र संख्या.

गौरतलब है कि प्राइमरी स्तर पर साल 2016 में कुल छात्रों की संख्या 3400, साल 2017 में 3169, साल 2018 में 2919 और 2019-20 में यह संख्या घटकर महज 2669 रह गई है. इतना ही नहीं माध्यमिक स्तर पर भी छात्र संख्या में लगातार गिरावट हो रही है. पूरे ब्लॉक में कुल 5 इंटर कॉलेज तथा 2 हाई स्कूल संचालित हो रहे है. वहीं, माध्यमिक स्तर पर साल 2016 में 2549 छात्र, साल 2017 में 2560, साल 2018 में 2478, साल 2019 में 2426 छात्र ही रह गये हैं.

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बहरहाल, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र संख्या बढ़ाने के जो प्रयास किये जा रहे हैं. वह तमाम योजनाओं के संचालन के बावजूद नाकाफी साबित हो रहे हैं. ऐसे में उन कारणों का पता लगाना भी आवश्यक है, जिसके कारण साल दर साल सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटती जा रही है.

Intro:स्थान- पुरोला 06/09/2019एक्सकलुसिव
एंकर- केंद्र तथा राज्य सरकारें सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने व छात्र संख्या बढ़ाने के लाख दावे करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है सरकारी आंकड़ों में दाखिला लेने वाले छात्रों में लगातार हो रही गिरावट इसकी हकीकत बयां कर रही है वही सरकारें नित नए प्रयोग करने में लगी है फिर भी लोगो का मोह निजी स्कूलों की तरफ ज्यादा हो रहा है। यदि यही हालत रहे तो स्कूलों में छात्र कम और शिकछक ज्यादा रहने वाले हैं, पेश है एक रिपोर्ट,,,,,,


Body:वीओ1- सरकार सरकारी स्कूलोँ में छात्र संख्या बढ़ाने के लिऐ स्कूल चलो अभियान के तहत,मिड डे मील,निःषुल्क पुस्तकें, निःषुल्क ड्रेस,निःषुल्क मेडिकल सुविधा,आदि योजनाएं संचालित कर रही है बावजूद इसके स्कूलों से लगातार छात्र संख्या घट रही है पुरोला विकाशखंड में प्रथमिक विद्यालयों की संख्या 119 तथा जूनियर के 63 स्कूल संचालित हो रहे है जिनमे वर्तमान में कुल 2696 बच्चे अध्ययनरत है इन बचों को पढ़ने के लिऐ सरकार ने 182 अधयापक नियुक्त किये है जिनका एक माह का वेतन 1 करोड़ 21 लाख 83 हजार 330 रुपये सरकार वहन कर रही है इस हिसाब से प्रतेक बच्चे पर साढ़े चार हजार रुपये खर्च हो रहे है
वही वर्ष 2016 में कुल छात्रों की संख्या 3400 तो 2017 में 3169 तो 2018 में 2919 औऱ 2019-20 में यह संख्या घाट कर महज 2669 राह गए है इतना ही नही माद्यमिक स्तर पर भी छात्र संख्या में लगातार गिरावट हो रही है पूरे ब्लॉक में कुल 5 इंटर कॉलेज तथा 2 हाइस्कूल संचालित हो रहे है वर्ष 2016 में 2549 छात्र तो वर्ष 2017 में 2560,वर्ष 2018 में 2478 वर्ष 2019में 2426 छात्र ही रह गये हैं
bite_ 1-गजेंद्र चौहान( संयोजक नाव क्रांति)
2- चतर सिंह (बीईओ पुरोला)


Conclusion:वीओ2-स्कूलों में छात्रों का ये गिरता स्तर कहीं न कहीं सरकार की स्कूल चलो योजना पर भी सवाल खड़ा करता है तो कमीशन फाइट करके आये शिक्षकों की योग्यता भी सवालों के घेरे में है । सरकार को चाहिए कि सरकारी पगार पाने वालों के बचे सरकारी स्कूलों का रुख करें ताकि आम जन का विस्वास सरकारी स्कूलों में बना रहे।
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