पुरोला: प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं का लगातार आभाव बना हुआ है. बात करें अगर उत्तरकाशी के सीमांत क्षेत्र मोरी की तो यहां स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा चुकी हैं. आलम ये है कि अस्पतालों में ना तो डॉक्टर हैं और ना ही दवाइयां. ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की स्थिति पिछले 6 सालों से बनी हुई है. ऐसे में उन्हें तबीयत खराब होने पर इलाज के लिए दूर-दराज के चक्कर काटने पड़ते हैं.
90 के दशक में जब राज्य का गठन नहीं हुआ था तब पुरोला के मोरी विकासखंड के सीमांत पंचगाई क्षेत्र के लीवाडी गांव में एक एलोपैथिक चिकित्सालय खोला गया था. लेकिन राज्य का गठन होने के बाद इस अस्पताल की सूरत आज तक नहीं बदली और अस्पताल बदहाली की भेंट चढ़ता गया. जानकारी के मुताबिक इससे पहले अस्पताल में डॉक्टर और कर्मचारी पूरे समय अपनी सेवाएं देते थे, लेकिन पिछले 6 सालों से इस अस्पताल में ताला लटका हुआ है.
ये भी पढ़ें: थराली पहुँची छड़ी यात्रा, महंत रजनीशानंद गिरी महाराज ने किया स्वागत
जिन डॉक्टरों और कर्मचारियों की तैनाती यहां थी, वो अपनी सुविधानुसार सुगम क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं और उच्चाधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. ऐसे में अब सवाल ये उठता है कि अस्पताल के स्टॉक में जो दवाइयां आ रही हैं वो आखिर कहां जा रही हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2014 से इस अस्पताल में डॉक्टर और कर्मचारी नदारद हैं. ऐसे में यहां के लोग तबीयत खराब होने पर आज भी इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं.
ये भी पढ़ें: खटीमा: अज्ञात वाहन की टक्कर से दो की मौके पर मौत
वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि विधायक से इसके लिए कई बार गुहार लगाई गई, लेकिन विधायक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं. लोगों ने बताया कि स्थानीय विधायक ने अपना आशियाना देहरादून बना रखा है और तबीयत खराब होने पर यहां की स्थानीय जनता को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान में बढ़ती कोरोना महामारी के दौर में भी स्वास्थ्य महकमा यहां के लिए कितना सजग है.