उत्तरकाशीः विश्व प्रसिद्ध चारधाम में शुमार यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया के मौके पर यानी कल खोल दिए जाएंगे. शुक्रवार को शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा यानी मुखीमठ में विधिवत पूजा अर्चना और आर्मी के पाइप बैंड की धुन के साथ मां गंगा की डोली गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुई. डोली विदाई वक्त उपला टकनौर क्षेत्र के आठ गांवों के रहवासियों की आंखें नम हो गई.
बता दें कि आज यानी शुक्रवार को मुखबा स्थित गंगा मंदिर में सुबह से ही पूजा अर्चना शुरू हो गई थी. तीर्थ पुरोहितों के साथ सुक्की, झाला, पुराली, हर्षिल, बगोरी, धराली आदि गांवों के ग्रामीण डोली को विदा करने के लिए मुखबा गांव में जुट गए थे. दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर तीर्थ पुरोहित के पांच थोकों के लोगों की ओर से भोग लगाने के बाद तहखाने में रखे चढ़ावे से प्राप्त धन दौलत को देव कंडे में रखा गया. इसके बाद गंगा जी की भोग मूर्ति की डोली समेश्वर देवता और सरस्वती देवी की डोली के साथ गंगोत्री के लिए रवाना हुई.
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वहीं, मार्कंडेय मंदिर पहुंचने के बाद यहां से अन्नपूर्णा देवी की डोली भी यात्रा में शामिल हुई. कुछ घंटे डोली को मार्कंडेय स्थित देवी मंदिर में दूर दराज के गांवों से आने वाले श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ रखी गई. शाम चार बजे जांगला, कोपांग, लंका होते हुए डोली देर शाम 6 किमी की पैदल दूरी तय कर डोली रात्रि विश्राम के लिए भैरव घाटी स्थित भैरव मंदिर पहुंची. शनिवार की सुबह डोली यात्रा यहां से गंगोत्री के लिए रवाना होगी.
कल खुलेंगे गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाटः इसके बाद दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर मां गंगा की डोली की मौजूदगी में गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुलेंगे. उधर, मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरसाली में भी डोली विदाई की तैयारी चल रही है. यमुना डोली शनिवार सुबह 8 बजे खरसाली (खुशीमठ) से यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी. इसी दिन यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे.