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उत्तराखंडः गंगोत्री में क्या है थोक ब्रहमणों का रहस्य, जानें

गंगोत्री धाम में 6 माह तक मां गंगा की पूजा की जिम्मेदारी मुखबा गांव के पांच थोकों में बंटे सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. साथ ही शीतकाल में भी मुखबा (मुखीमठ) में सेमवाल जाति के ब्राह्मण ही मां गंगा की पूजा करते हैं.

गंगोत्री में क्या है थोक ब्रहमणों का रहस्य.
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Published : Jul 10, 2019, 7:30 PM IST

उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम में गंगा मैय्या की पूजा और भोग सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. हर साल ये पूजा पांच थोक के ब्राह्मण करते हैं. जिसमें पुराने समय में मां गंगा को स्थानीय उत्पादों का भोग लगाया जाता था. गंगोत्री धाम में हर साल लाखों लोग मां गंगा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. तीर्थयात्री यहां से आशीर्वाद लेकर तीर्थ पुरोहितों से सुख-शांति के लिए हवन पूजा करवाते हैं. यहां मुखबा गांव के सेमवाल जाति के लोग ब्राह्मण का काम करते हैं. जो बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाते आ रहे हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर एक से लेकर नम्बर पांच तक पांच थोक हैं. जो कि बारी-बारी से मां गंगा की पूजा करते हैं. देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

गंगोत्री में क्या है थोक ब्रहमणों का रहस्य.

गंगोत्री धाम में 6 माह तक मां गंगा की पूजा की जिम्मेदारी मुखबा गांव के पांच थोकों में बंटे सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. साथ ही शीतकाल में भी मुखबा (मुखीमठ) में सेमवाल जाति के ब्राह्मण ही मां गंगा की पूजा करते हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के पांच थोक के ब्राह्मण हैं जो कि बारी-बारी से अक्षया तृतीया से लेकर अनुकूट पर्व तक मां गंगा की पूजा करते हैं. ये लोग सुबह मां गंगा के श्रृंगार से लेकर गंगा लहरी, गंगा आरती और विधि विधान से पूजा और भोग लगाते हैं.

गंगोत्री मंदिर धाम के सह सचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के थोक उनके पूर्वजों से बने हैं. पहले कभी सेमवाल जाति के ब्राह्मणों के पूर्वज पांच भाई थे. जिन्होंने मां गंगा की पूजा के लिए थोकों का निर्माण किया था. आज सभी परिवारों की संख्या बढ़ने के बाद भी ये थोक पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं. सेमवाल ने बताया कि कपाट खुलते ही पहले नम्बर के थोक पुजारी मां गंगा को भोग लगाते हैं. उसके बाद 2 नम्बर थोक के पुजारी पहले दिन सहायक के रूप में रहते हैं. दूसरे दिन वह पहला स्थान ले लेते हैं. इसी प्रकार से यह क्रम चलता रहता है.

उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम में गंगा मैय्या की पूजा और भोग सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. हर साल ये पूजा पांच थोक के ब्राह्मण करते हैं. जिसमें पुराने समय में मां गंगा को स्थानीय उत्पादों का भोग लगाया जाता था. गंगोत्री धाम में हर साल लाखों लोग मां गंगा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. तीर्थयात्री यहां से आशीर्वाद लेकर तीर्थ पुरोहितों से सुख-शांति के लिए हवन पूजा करवाते हैं. यहां मुखबा गांव के सेमवाल जाति के लोग ब्राह्मण का काम करते हैं. जो बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाते आ रहे हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर एक से लेकर नम्बर पांच तक पांच थोक हैं. जो कि बारी-बारी से मां गंगा की पूजा करते हैं. देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

गंगोत्री में क्या है थोक ब्रहमणों का रहस्य.

गंगोत्री धाम में 6 माह तक मां गंगा की पूजा की जिम्मेदारी मुखबा गांव के पांच थोकों में बंटे सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. साथ ही शीतकाल में भी मुखबा (मुखीमठ) में सेमवाल जाति के ब्राह्मण ही मां गंगा की पूजा करते हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के पांच थोक के ब्राह्मण हैं जो कि बारी-बारी से अक्षया तृतीया से लेकर अनुकूट पर्व तक मां गंगा की पूजा करते हैं. ये लोग सुबह मां गंगा के श्रृंगार से लेकर गंगा लहरी, गंगा आरती और विधि विधान से पूजा और भोग लगाते हैं.

गंगोत्री मंदिर धाम के सह सचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के थोक उनके पूर्वजों से बने हैं. पहले कभी सेमवाल जाति के ब्राह्मणों के पूर्वज पांच भाई थे. जिन्होंने मां गंगा की पूजा के लिए थोकों का निर्माण किया था. आज सभी परिवारों की संख्या बढ़ने के बाद भी ये थोक पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं. सेमवाल ने बताया कि कपाट खुलते ही पहले नम्बर के थोक पुजारी मां गंगा को भोग लगाते हैं. उसके बाद 2 नम्बर थोक के पुजारी पहले दिन सहायक के रूप में रहते हैं. दूसरे दिन वह पहला स्थान ले लेते हैं. इसी प्रकार से यह क्रम चलता रहता है.

Intro:गंगोत्री धाम में गंगा मैया की पूजा और भोग सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं। हर वर्ष गंगा मैया की पूजा पांच थोक के ब्राह्मण करते हैं और माँ गंगा को पुराने समय मे स्थानीय उत्पाद चिना का भोग लगाया जाता था। उत्तरकाशी। गंगोत्री धाम में हर वर्ष लाखों लोग माँ गंगा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। माँ गंगा का आशीर्वाद लेकर तीर्थ पुरोहितों से अपने सुख शांति के लिए आशीर्वाद लेते हैं। माँ गंगा की पूजा मुखबा गांव के सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं। यह ब्राह्मण पीढ़ी दर पीढ़ी पुरानी चली आ रही परम्परा को निभाते रहे हैं। गंगोत्री धाम के पुजारियों का कहना है कि उनके पूर्वज पहले गंगा मैया को मात्र चिना जो कि एक मात्र स्थानीय उत्पाद का भोग लगाते थे। अब बदलते समय के साथ स्थानीय उत्पाद की जगह बाजारी भोगों ने ले ली है। मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर एक से लेकर नम्बर पांच तक पांच थोक हैं। जो कि माँ गंगा की बारी-बारी से पूजा करते हैं। etv bharat की स्पेशल रिपोर्ट।


Body:वीओ-1, माँ गंगा की पूजा 6 माह तक गंगोत्री धाम में मुखबा गांव के पांच थोको में बंटे सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं। साथ ही 6 माह तक उसके बाद शीतकाल में भी मुखबा(मुखीमठ) में सेमवाल जाति के ब्राह्मण ही माँ गंगा की पूजा करते हैं। मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के पांच थोक के ब्राह्मण हैं। जो कि बारी बारी से अक्षया तृतिया से लेकर अनुकूट पर्व तक माँ गंगा की पूजा गंगोत्री में करते हैं और उसके बाद यथावत शीतकाल में मुखबा गांव में करते हैं। यह लोग सुबह माँ गंगा के सृंघार से लेकर गंगा लहरी,गंगा आरती और विधि विधान से पूजा और भोग लगाते हैं।


Conclusion:वीओ-2, गंगोत्री मंदिर धाम के सह सचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के थोक उनके पूर्वजों से बने हैं। पहले कभी सेमवाल जाति के ब्राहम्णो के पूर्वज पांच भाई थी। जिन्होंने माँ गंगा की पूजा के लिए इसलिए थोको का निर्माण किया था कि माँ गंगा की पूजा सभी भाई बारी-बारी से कर सकें और आज सभी लोग परिवारो की संख्या बढ़ने के बाद भी थोक पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं। सेमवाल ने बताया कि कपाट खुलते ही पहले नम्बर 1 थोक के पुजारी माँ गंगा की पूजा और भोग लगाते हैं। उसके बाद 2 नम्बर थोक के पुजारी पहले दिन सहायक के रूप में रहते हैं। दूसरे दिन वह पहला स्थान ले लेते हैं। इसी प्रकार से यह क्रम चलता रहता है और इससे समानता भी बनी रहती है । बाईट- राजेश सेमवाल, सह सचिव गंगोत्री मन्दिर धाम समिति।
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