उत्तरकाशी: गंगोत्री धाम में गंगा मैय्या की पूजा और भोग सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. हर साल ये पूजा पांच थोक के ब्राह्मण करते हैं. जिसमें पुराने समय में मां गंगा को स्थानीय उत्पादों का भोग लगाया जाता था. गंगोत्री धाम में हर साल लाखों लोग मां गंगा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. तीर्थयात्री यहां से आशीर्वाद लेकर तीर्थ पुरोहितों से सुख-शांति के लिए हवन पूजा करवाते हैं. यहां मुखबा गांव के सेमवाल जाति के लोग ब्राह्मण का काम करते हैं. जो बरसों से चली आ रही परंपरा को निभाते आ रहे हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर एक से लेकर नम्बर पांच तक पांच थोक हैं. जो कि बारी-बारी से मां गंगा की पूजा करते हैं. देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
गंगोत्री धाम में 6 माह तक मां गंगा की पूजा की जिम्मेदारी मुखबा गांव के पांच थोकों में बंटे सेमवाल जाति के ब्राह्मण करते हैं. साथ ही शीतकाल में भी मुखबा (मुखीमठ) में सेमवाल जाति के ब्राह्मण ही मां गंगा की पूजा करते हैं. मुखबा गांव में सेमवाल जाति के नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के पांच थोक के ब्राह्मण हैं जो कि बारी-बारी से अक्षया तृतीया से लेकर अनुकूट पर्व तक मां गंगा की पूजा करते हैं. ये लोग सुबह मां गंगा के श्रृंगार से लेकर गंगा लहरी, गंगा आरती और विधि विधान से पूजा और भोग लगाते हैं.
गंगोत्री मंदिर धाम के सह सचिव राजेश सेमवाल ने बताया कि नम्बर 1 से लेकर नम्बर 5 तक के थोक उनके पूर्वजों से बने हैं. पहले कभी सेमवाल जाति के ब्राह्मणों के पूर्वज पांच भाई थे. जिन्होंने मां गंगा की पूजा के लिए थोकों का निर्माण किया था. आज सभी परिवारों की संख्या बढ़ने के बाद भी ये थोक पूजा की परंपरा को निभा रहे हैं. सेमवाल ने बताया कि कपाट खुलते ही पहले नम्बर के थोक पुजारी मां गंगा को भोग लगाते हैं. उसके बाद 2 नम्बर थोक के पुजारी पहले दिन सहायक के रूप में रहते हैं. दूसरे दिन वह पहला स्थान ले लेते हैं. इसी प्रकार से यह क्रम चलता रहता है.