नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दीपक बिजल्वाण को जिला पंचायत अध्यक्ष उत्तरकाशी के पद से हटाए जाने के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायाधीश सजंय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने सरकार के बर्खास्तगी के आदेश पर लगी रोक को आगे बढ़ाते हुए याचिकाकर्ता से एसआईटी की रिपोर्ट पर 7 मार्च तक आपत्ति पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी.
सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता सीएस रावत ने कोर्ट को अवगत कराया कि इनके खिलाफ वित्त अधिकारी एवं एमएनए के विरुद्ध भी 19 लाख से अधिक गबन के साक्ष्य एसआईटी को मिले हैं. इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो चुका है. इसलिए पूर्व में मिले स्टे आदेश को निरस्त किया जाए.
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मामले के अनुसार अध्यक्ष ने याचिका दायर कर कहा गया है कि कुछ सदस्यों ने उनके खिलाफ मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर शिकायत की थी. उस शिकयती पत्र में सरकारी धन का दुरुप्रयोग एवं करोड़ों रुपये की अनियमितता का आरोप लगाया था, जिस पर मुख्यमंत्री ने इस प्रकरण की जांच के आदेश सचिव पंचायती राज को दिए. सचिव पंचायतीराज ने इसकी जांच जिलाधिकारी उत्तरकाशी से कराई. जिलाधिकारी ने भी अपनी जांच रिपोर्ट ने अनियमितता बरतने की पुष्टि की है.
जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर सरकार ने 21 जून 2021 को मामले की जांच कमिश्नर गढ़वाल से कराई. सरकार ने पंचायती राज एक्ट की धारा 138(1)(घ)(iv) के तहत अध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस जारी किया. 1 अक्टूबर 2021 को अध्यक्ष ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने कोई वित्तीय अनियमितता नहीं की है. यह शिकायत उनके खिलाफ राजनीतिक दुर्भावना से की गई है.
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याचिकाकर्ता में यह भी कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने एक शिकायती पत्र पर जांच के आदेश दे दिए हैं, जबकि विभाग ने ऐसा कुछ नहीं किया. जांच एजेंसी ने किसी भी तरह की नियमावली का पालन नहीं किया. शिकायतकर्ता का कहना है कि इन्होंने सरकारी धन का दुरुपयोग किया है. इन्होंने निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया है. करोड़ों रूपये फर्जी निर्माण कार्य दिखाया गया है और मजदूरों के फर्जी मस्टरोल भरे गए हैं. इस शिकायत को आधार मानकर उन्हें 7 जनवरी 2022 को सरकार ने जिला पंचायत अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. जिस पर रोक लगाई जाए और उन्हें बहाल किया जाए. क्योंकि वे जनप्रतिनिधि हैं, उन्हें सेवा के लिए जनता ने चुना है.