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मर्णिकर्णिका घाट पर बने हवाघर में हो रहा ये काम, कैसे स्वच्छ होगी गंगा? - हिंदी न्यूज

मुख्य गंगा स्नान घाट मणिकर्णिका पर नमामि गंगे परियोजना के तहत घाटों और हवाघर का निर्माण किया गया. लेकिन, अब कैफे स्टाइल के नाम पर गंगा घाट पर प्लास्टिक में पैकेट का सामान बिक्री किया जा रहा है.

मर्णिकर्णिका घाट पर बने हवाघर में हो रहा ये काम.
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Published : Jul 21, 2019, 3:28 PM IST

उत्तरकाशी: नगर के मणिकर्णिका घाट पर नमामि गंगे परियोजना के तहत हवाघर बनाए गए हैं. प्रशासन ने स्थानीय उत्पादों के नाम पर हवाघर को दुकान में तब्दील कर दिया और अब कैफे स्टाइल के नाम पर गंगा घाट पर प्लास्टिक में पैकेट का सामान बिक्री किया जा रहा है. जिससे गंगा की सफाई अभियान पर सवाल उठने लगे हैं.

मर्णिकर्णिका घाट पर बने हवाघर में हो रहा ये काम.

जिले के मुख्य गंगा स्नान घाट मणिकर्णिका पर नमामि गंगे परियोजना के तहत घाटों और हवाघर का निर्माण किया गया. हवाघरों में यात्री गंगा जल भरने या आरती करने के लिए जाते हैं. लेकिन हवाघर को जिला प्रशासन द्वारा आजीविका स्वायत्त सहकारिता समूह को देकर बाजारीकरण किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: हैरानी! उत्तरकाशी के 133 गांवों में 216 बच्चों ने लिया जन्म, बेटी एक भी नहीं

जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि घाटों के निर्माण और हवाघरों के बनने पर निर्देशित किया गया कि वहां पर स्थानीय उत्पादों की बिक्री की जाए. देश-विदेश से आने वाले यात्री स्थानीय किसानों के उत्पादों और अन्य हस्तकला के सामान को खरीद सकें, जिससे पर्यटकों को उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान हो सके.

उत्तरकाशी: नगर के मणिकर्णिका घाट पर नमामि गंगे परियोजना के तहत हवाघर बनाए गए हैं. प्रशासन ने स्थानीय उत्पादों के नाम पर हवाघर को दुकान में तब्दील कर दिया और अब कैफे स्टाइल के नाम पर गंगा घाट पर प्लास्टिक में पैकेट का सामान बिक्री किया जा रहा है. जिससे गंगा की सफाई अभियान पर सवाल उठने लगे हैं.

मर्णिकर्णिका घाट पर बने हवाघर में हो रहा ये काम.

जिले के मुख्य गंगा स्नान घाट मणिकर्णिका पर नमामि गंगे परियोजना के तहत घाटों और हवाघर का निर्माण किया गया. हवाघरों में यात्री गंगा जल भरने या आरती करने के लिए जाते हैं. लेकिन हवाघर को जिला प्रशासन द्वारा आजीविका स्वायत्त सहकारिता समूह को देकर बाजारीकरण किया जा रहा है.

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जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि घाटों के निर्माण और हवाघरों के बनने पर निर्देशित किया गया कि वहां पर स्थानीय उत्पादों की बिक्री की जाए. देश-विदेश से आने वाले यात्री स्थानीय किसानों के उत्पादों और अन्य हस्तकला के सामान को खरीद सकें, जिससे पर्यटकों को उत्तराखंड की संस्कृति की पहचान हो सके.

Intro:नगर के मणिकर्णिका घाट पर नमामि गंगे परियोजना के तहत हवाघर बनाये गए। पहले तो प्रशासन ने स्थानीय उत्पादों के नाम पर हवाघर को दुकान में तब्दील कर दिया। तो अब कैफे स्टाइल के नाम पर गंगा घाट पर प्लास्टिक में पैकेड सामान बिक्री किया जा रहा है। प्रशासन उसे अपनी सफलता बता रहा है।। उत्तरकाशी। पहले यात्रियों के लिए बनाए हवाघर को स्थानीय उत्पादों को बेचने के नाम पर दुकान का रूप दे दिया गया। चलिए दुकान का रूप दिया। तो स्थानीय उत्पाद के नाम पर एक छोटी सी चीज दुकान में नहीं है। साथ ही स्वयं प्रशासन गंगा को पालीथिन मुक्त बनाने के दावे कर रहा है। तो अब प्रशासन की देखरेख में आजीविका स्वायत सहकारिता समूह मणिकर्णिका घाट पर प्लास्टिक में पैकेड और प्लास्टिक से बने सामान बेच रहा है। उसके बाद भी प्रशासन इसे अपनी सफलता बता रहा है। सवाल यह उठता है कि जब जिला प्रशासन स्वयं कह राह है कि नमामि गंगे के तहत बन रहे घाटों के बाद शासन का निर्देश था कि स्थानीय किसानों के उत्पाद बेचे जाएं, जिससे कि देश विदेश के पर्यटकों के सामने प्रदेश के स्थानीय संस्कृति की तस्वीर जाए। लेकिन उसके बाद भी यात्रियों की सुविधा के लिए बने हवाघर का बाजारीकरण किया जा रहा है।



Body:वीओ- 1, उत्तरकाशी नगर के मुख्य गंगा स्नान घाट मणिकर्णिका पर नमामि गंगे परियोजना के तहत घाटों और हवाघर का निर्माण किया गया। जिससे कि हवाघरों में विभिन्न त्यौहारों में गंगा स्नान और चारधाम यात्रा के यात्री गंगा जल भरने या आरती में पहुँचने वाले यात्री आराम कर सकें या वहाँ पर गंगा को निहार सकें। उस हवाघर को जिला प्रशासन ने आजीविका स्वायत्त सहकारिता समूह को देकर बाजारीकरण किया जा रहा है। स्वयं जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान का कहना है कि घाटों के निर्माण और हवाघरों के बनने पर निर्देशित किया गया था कि वहाँ पर स्थानीय उत्पादों की बिक्री की जाए। जिससे कि देश विदेश से आने वाले यात्री स्थानीय किसानों के उत्पादों और अन्य हस्तकला के सामान को खरीद सकें और पर्यटकों को उत्तराखण्ड की संस्कृति की पहचान हो सके। लेकिन स्थानीय उत्पादों के नाम पर गंगा घाट पर प्लास्टिक बिक रहा है। तो उस प्लास्टिक के लिए किसी प्रकार के डस्टबीन की व्यवस्था नहीं है।


Conclusion:वीओ-2, सवाल यह उठता है कि मणिकर्णिका घाट पर स्थानीय उत्पादों के नाम पर जो दुकान बनी है। वह हवाघर से अन्य भी बन सकती थी क्यों न हवाघर को यात्रियों की सविधा के लिए छोड़ दिया जाता। लेकिन स्थानीय उत्पादों के नाम पर स्वयं प्रशासन एक बड़ा खिलवाड़ कर रहा है। दुकान पर गंगाघाट पर प्लास्टिक बीक रहा है। जिससे कि नमामि गंगे परियोजना के साथ पॉलीथिन मुक्त अभियान पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। लेकिन धरातल हकीकत की बानगी कुछ और ही बयां कर रही है। बाईट- डॉ आशीष चौहान,डीएम उत्तरकाशी।
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