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ग्राउंड रिपोर्ट: वरुणावत पर्वत ट्रीटमेंट की सच्चाई, बरसात में रहना होगा सावधान

वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट को लेकर Etv Bharat की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर मौके का जायजा लिया. जिसमें इन दिनों दूसरे फेज में लोक निर्माण विभाग 6.62 करोड़ की लागत से पहाड़ी पर ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है. जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया है. ऐसे में बरसात के दौरान मुश्किलें बढ़ सकती है.

varunavat
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Published : Jul 19, 2019, 11:14 PM IST

उत्तरकाशीः वरुणावत पर्वत ने साल 2003 में नगर के ऊपर काफी कहर बरपाया था. आज भी स्थानीय लोग इस त्रासदी को यादकर सिहर उठते हैं. इस घटना के बाद से ही वरुणावत पर्वत पर ट्रीटमेंट का किया जा रहा है. जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक स्लाइडिंग जोन का ट्रीटमेंट कार्य पूरा नहीं हो पाया है. वहीं, लोनिवि दूसरे फेज का ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है. जो 26 जून तक पूरा करना था. जो अभी भी जारी है. ऐसे में बरसात के दौरान नगरवासियों को डर के साये में जीना पड़ रहा है.

बरसात के दौरान वरुणावत पर्वत से बढ़ेगी मुश्किलें.

बता दें कि वरुणावत पर्वत ने साल 2003 में उत्तरकाशी नगर में भारी तबाही मचाई थी. वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार में 282 करोड़ की धनराशि दी थी. उसके बाद वरुणावत पर्वत पर ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया गया, लेकिन अभी तक समस्याएं कम नहीं हुई है. ये पर्वत आए दिन शहरवासियों की नींद उड़ा देता है. बरसात के दौरान तो इसके तलहटी पर बसे उत्तरकाशी नगर क्षेत्र के लिए लगातार खतरा बना रहता है.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल पहुंचे वन मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा- जल्द शुरू होगी 1200 फोरेस्ट गार्डों की भर्ती

कई बार के ट्रीटमेंट के बाद भी वरुणावत की स्थिति नहीं सुधर रही है. जो शासन और प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. हर साल इसके ट्रीटमेंट के लिए प्रस्ताव बनते हैं और धनराशि स्वीकृत होती है. इतना ही नहीं ट्रीटमेंट का कार्य भी कर लिया जाता है, लेकिन पहाड़ी से भूस्खलन होकर ट्रीटमेंट कार्य पर पानी फिर जाता है.

इसी कड़ी में वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट को लेकर Etv Bharat की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर मौके का जायजा लिया. जिसमें इन दिनों दूसरे फेज में लोक निर्माण विभाग 6.62 करोड़ की लागत से पहाड़ी पर ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है. इसके तहत पहाड़ी पर ट्रीटमेंट के दौरान बनाई गई नालियों से आ रहे पानी से हो रहे कटाव को सुरक्षित करना है.

ये भी पढ़ेंः जौनसार-बावर की लाइफ लाइन दे रही 'मौत' को दावत, डेंजर जोन पर नहीं किए गए सुरक्षात्मक कार्य

वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पुंडीर का कहना है कि वरुणावत की पहाड़ी वर्टिकल होने के कारण नीचे ट्रीटमेंट के कार्यों में समस्या आ रही है. साथ ही मजदूरों के लिए भी खतरा बना हुआ है. साथ ही कहा कि ऊपर से ही ट्रीटमेंट कार्य स्टेज के साथ हो सकता है.

साथ ही कहा कि पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति के कारण देरी हो रही है. पुंडीर का दावा है कि दिसंबर महीने तक ट्रीटमेंट का कार्य पूरा हो सकता है. उधर, डीएम डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि 26 जून तक इसके ट्रीटमेंट कार्य पूरा किया जाना चाहिए था, लेकिन धरातल पर कार्य नहीं हो पाया है. संबंधित अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्र से मलबा हटाने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि ना हो.

उत्तरकाशीः वरुणावत पर्वत ने साल 2003 में नगर के ऊपर काफी कहर बरपाया था. आज भी स्थानीय लोग इस त्रासदी को यादकर सिहर उठते हैं. इस घटना के बाद से ही वरुणावत पर्वत पर ट्रीटमेंट का किया जा रहा है. जिस पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक स्लाइडिंग जोन का ट्रीटमेंट कार्य पूरा नहीं हो पाया है. वहीं, लोनिवि दूसरे फेज का ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है. जो 26 जून तक पूरा करना था. जो अभी भी जारी है. ऐसे में बरसात के दौरान नगरवासियों को डर के साये में जीना पड़ रहा है.

बरसात के दौरान वरुणावत पर्वत से बढ़ेगी मुश्किलें.

बता दें कि वरुणावत पर्वत ने साल 2003 में उत्तरकाशी नगर में भारी तबाही मचाई थी. वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार में 282 करोड़ की धनराशि दी थी. उसके बाद वरुणावत पर्वत पर ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया गया, लेकिन अभी तक समस्याएं कम नहीं हुई है. ये पर्वत आए दिन शहरवासियों की नींद उड़ा देता है. बरसात के दौरान तो इसके तलहटी पर बसे उत्तरकाशी नगर क्षेत्र के लिए लगातार खतरा बना रहता है.

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कई बार के ट्रीटमेंट के बाद भी वरुणावत की स्थिति नहीं सुधर रही है. जो शासन और प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है. हर साल इसके ट्रीटमेंट के लिए प्रस्ताव बनते हैं और धनराशि स्वीकृत होती है. इतना ही नहीं ट्रीटमेंट का कार्य भी कर लिया जाता है, लेकिन पहाड़ी से भूस्खलन होकर ट्रीटमेंट कार्य पर पानी फिर जाता है.

इसी कड़ी में वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट को लेकर Etv Bharat की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर मौके का जायजा लिया. जिसमें इन दिनों दूसरे फेज में लोक निर्माण विभाग 6.62 करोड़ की लागत से पहाड़ी पर ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है. इसके तहत पहाड़ी पर ट्रीटमेंट के दौरान बनाई गई नालियों से आ रहे पानी से हो रहे कटाव को सुरक्षित करना है.

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वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पुंडीर का कहना है कि वरुणावत की पहाड़ी वर्टिकल होने के कारण नीचे ट्रीटमेंट के कार्यों में समस्या आ रही है. साथ ही मजदूरों के लिए भी खतरा बना हुआ है. साथ ही कहा कि ऊपर से ही ट्रीटमेंट कार्य स्टेज के साथ हो सकता है.

साथ ही कहा कि पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति के कारण देरी हो रही है. पुंडीर का दावा है कि दिसंबर महीने तक ट्रीटमेंट का कार्य पूरा हो सकता है. उधर, डीएम डॉ. आशीष चौहान ने कहा कि 26 जून तक इसके ट्रीटमेंट कार्य पूरा किया जाना चाहिए था, लेकिन धरातल पर कार्य नहीं हो पाया है. संबंधित अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्र से मलबा हटाने के निर्देश दिए गए हैं. जिससे किसी भी प्रकार की जनहानि ना हो.

Intro:वर्ष 2003 में वरुणावत ने उत्तरकाशी शहर में भारी तबाही मचाई थी। उसके बाद भी करोड़ो और अरबों खर्च होने के बाद भी वरुणावत के स्लाइडिंग जोन का पूर्ण ट्रेटमेंट नहीं हो पाया है। इसलिए इस बरसात नगरवासियों को फिर सजग रहना होगा। उत्तरकाशी। वर्ष 2003 में उत्तरकाशी नगर के ऊपर वरुणावत पर्वत इस कदर कहर बरपाया,कि आज भी लोग उस त्रासदी को सोच सिहर उठते हैं। उसके बाद वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट पर करोड़ो अरबो खर्च किया गया। लेकिन आज भी स्थिति अनुकूल नहीं है। वरुणावत पर्वत पर लोक निर्माण विभाग की और से दूसरे फेज का ट्रीटमेंट वर्क किया जा रहा है। लेकिन कार्य की गति धीमी होने के कारण नगरवासियों को बरसात डर के साये में बितानी होगी। क्योंकि लोनिवि के अशिकारियों का कहना है कि ट्रीटमेंट का कार्य दिसम्बर माह में पूरा हो पायेगा। जबकि डीएम के अनुसार इस कार्य ने 26 जून को पूरा होना था। वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट को लेकर etv bharat की टीम मौके पर पहुंची। etv bharat की exclusive ग्राउंड रिपोर्ट।


Body:वीओ-1, वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के दूसरे फेज में लोक निर्माण विभाग 6.62 करोड़ की लागत से पहाड़ी पर ट्रीटमेंट कार्य कर रहा है। जिसके तहत पहाड़ी पर हुए पूर्व ट्रीटमेंट की बनी नालियों से आ रहे पानी से हो रहे कटाव को सुरक्षित करना है। डीएम डॉ आशीष चौहान की माने तो 26 जून तक इस ट्रीटमेंट कार्य पूरा हो जाना चाहिए था। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही हकीकत बया कर रही है। लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र पुंडीर का कहना है कि वरुणावत की पहाड़ी वर्टीकल होने के कारण नीचे ट्रीटमेंट के कार्यों में समस्या आ रही है। साथ ही मजदूरों के लिए भी खतरा बन रहा है। साथ ही ऊपर से ही ट्रीटमेंट कार्य स्टेज के साथ हो सकता है। वहीं पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति के कारण देरी हो रही है। पुंडीर ने दावा किया है कि दिसम्बर माह तक ट्रीटमेंट कार्य पूरा हो सकता है।


Conclusion:वीओ-2, वरुणावत पर्वत ने वर्ष 2003 में उत्तरकाशी नगर में भारी तबाही मचाई थी। वरुणावत पर्वत के ट्रीटमेंट के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार में 282 करोड़ की धनराशि दी थी। उसके बाद वरुणावत पर्वत का उपचार किया गया। लेकिन फिर भी समस्याएं कम नहीं हुई और आज तक वरुणावत पर्वत कभी न कभी शहरवासियों की नींद उड़ा देता है। तो बरसात में वरुणावत पर्वत की तलहटी पर बसे उत्तरकाशी नगर क्षेत्र के लिए लगातार खतरा बना रहता है। वहीं कई बार के ट्रेटमेंट के बाद भी वरुणावत की स्थिति नहीं सुधर रही है। यह शांसन और प्रशासन के लिए एक दुधारू गाय बनकर रह गई है। हर वर्ष इसके ट्रीटमेंट के लिए प्रस्ताव बनते हैं और धनराशियाँ स्वीकृत होती है। ट्रीटमेंट होता है और फिर पहाड़ी से एक पत्थर गिरता है और फिर.........। बाईट- वीरेंद्र पुंडीर,अधिशासी अभियंता,लोनिवि। बाईट- डॉ आशीष चौहान,डीएम उत्तरकाशी।
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