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EXCLUSIVE: गंगोत्री ग्लेशियर का ऐसा ही रहा हाल तो 25 साल बाद गंगा बन जाएगी नाला

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Published : Jun 17, 2019, 7:33 PM IST

Updated : Jun 17, 2019, 7:56 PM IST

हिमालय को करीब से जानने वाले स्वामी सुंदरानंद ने चौंकाने वाली बात कही है. उन्होंने कहा कि गंगोत्री ग्लेशियर के साथ ऐसे ही खिलवाड़ चलता रहा तो आने वाले 25 सालों में गंगा नाला बन जाएगी.

खतरे में गंगा नदी

उत्तरकाशी: गंगा संरक्षण के लिये वर्ष 1948 से अपना पूरा जीवन लगाने वाले 94 वर्षीय स्वामी सुंदरानंद गंगोत्री ग्लेशियर की वर्तमान स्थिति से बेहद चिंतित हैं. गंगोत्री ग्लेशियर और बदरीनाथ घाटी के साथ ही पूरे हिमालयी क्षेत्र को करीब से जानने वाले स्वामी सुंदरानंद ने इस ज्वलंत मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. स्वामी सुंदरानंद गंगोत्री, हिमालय और ग्लेशियर को वामक कहते हैं. उनके गिरते स्तर पर उन्होंने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि आज गौमुख पुष्पबासा से 5 किमी पीछे खिसक चुका है. अगर ऐसी ही स्थिति बनी रहती है और गंगोत्री ग्लेशियर से छेड़छाड़ बन्द नहीं हुई तो आने वाले 25 साल बाद गंगा गंगोत्री में ही नाले के रूप में बहने लगेगी.

पढ़ेंः 2019 के पहले ट्रैकिंग दल ने सतोपंथ झील पर फहराया तिरंगा, यहीं से स्वर्ग गए थे पांडव


स्वामी सुंदरानंद ने गंगोत्री धाम में ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जब 1948 में वह पहली बार गंगोत्री धाम पहुंचे और उसके बाद हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों का विचरण किया तो यह स्वर्ग था, आज स्वर्ग में धरती निकल आई है. गौमुख जो कि कभी पुष्पबासा के समीप हुआ करता था आज 5 किमी पीछे खिसक गया है.

स्वामी सुंदरानंद ने चेताया: गंगा बन सकती है नाला


स्वामी सुंदरानंद आगे कहते हैं कि पहले गंगा को पोषित करने के लिए गंगोत्री हिमालय में रक्तवन, रुद्रगेरा सहित अनेकों ग्लेशियर (वामक) हुआ करते थे. आज सब विलुप्ति की कगार पर हैं. स्वामी सुंदरानंद चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि अगर इसी प्रकार हिमालय पर अतिक्रमण होता रहा तो आने वाले 25 साल बाद गंगा गंगोत्री धाम में ही एक नाले के रूप में बहने लगेगी और भविष्य की पीढ़ी गंगा की पवित्रता को किताबों या कहानियों में ही सुन पाएगी.

पढ़ेंः बदरीनाथ आरती विवाद: बदरुद्दीन के पोते ने की जांच की मांग, कहा- बर्थवाल ने नहीं की रचना, पांडुलिपि में भी जिक्र नहीं

स्वामी सुंदरानंद ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बदरीनाथ घाटी में सेना की हिलामयी ग्लेशियर के बीच रास्ता ढूंढ़ने में मदद की थी. सुंदरानंद ने बताया कि उस वक्त चीन ने धमकी दी थी कि बदरीनाथ के कपाट उनकी सेना खोलेगी. फोटोग्राफी के शौकीन स्वामी सुंदरानंद बदरीनाथ पहुंचे थे, जहां सेना को मालूम हुआ कि स्वामी हिमालयी रास्तों को अच्छी तरह जानते हैं. ऐसे में स्वामी सुंदरानंद सेना के गाइड बने और 30 सैनिकों को लेकर चीन सीमा को छूने वाले ग्लेशियर की तलाश की.

उत्तरकाशी: गंगा संरक्षण के लिये वर्ष 1948 से अपना पूरा जीवन लगाने वाले 94 वर्षीय स्वामी सुंदरानंद गंगोत्री ग्लेशियर की वर्तमान स्थिति से बेहद चिंतित हैं. गंगोत्री ग्लेशियर और बदरीनाथ घाटी के साथ ही पूरे हिमालयी क्षेत्र को करीब से जानने वाले स्वामी सुंदरानंद ने इस ज्वलंत मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. स्वामी सुंदरानंद गंगोत्री, हिमालय और ग्लेशियर को वामक कहते हैं. उनके गिरते स्तर पर उन्होंने चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि आज गौमुख पुष्पबासा से 5 किमी पीछे खिसक चुका है. अगर ऐसी ही स्थिति बनी रहती है और गंगोत्री ग्लेशियर से छेड़छाड़ बन्द नहीं हुई तो आने वाले 25 साल बाद गंगा गंगोत्री में ही नाले के रूप में बहने लगेगी.

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स्वामी सुंदरानंद ने गंगोत्री धाम में ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जब 1948 में वह पहली बार गंगोत्री धाम पहुंचे और उसके बाद हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों का विचरण किया तो यह स्वर्ग था, आज स्वर्ग में धरती निकल आई है. गौमुख जो कि कभी पुष्पबासा के समीप हुआ करता था आज 5 किमी पीछे खिसक गया है.

स्वामी सुंदरानंद ने चेताया: गंगा बन सकती है नाला


स्वामी सुंदरानंद आगे कहते हैं कि पहले गंगा को पोषित करने के लिए गंगोत्री हिमालय में रक्तवन, रुद्रगेरा सहित अनेकों ग्लेशियर (वामक) हुआ करते थे. आज सब विलुप्ति की कगार पर हैं. स्वामी सुंदरानंद चिंता जाहिर करते हुए कहते हैं कि अगर इसी प्रकार हिमालय पर अतिक्रमण होता रहा तो आने वाले 25 साल बाद गंगा गंगोत्री धाम में ही एक नाले के रूप में बहने लगेगी और भविष्य की पीढ़ी गंगा की पवित्रता को किताबों या कहानियों में ही सुन पाएगी.

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स्वामी सुंदरानंद ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बदरीनाथ घाटी में सेना की हिलामयी ग्लेशियर के बीच रास्ता ढूंढ़ने में मदद की थी. सुंदरानंद ने बताया कि उस वक्त चीन ने धमकी दी थी कि बदरीनाथ के कपाट उनकी सेना खोलेगी. फोटोग्राफी के शौकीन स्वामी सुंदरानंद बदरीनाथ पहुंचे थे, जहां सेना को मालूम हुआ कि स्वामी हिमालयी रास्तों को अच्छी तरह जानते हैं. ऐसे में स्वामी सुंदरानंद सेना के गाइड बने और 30 सैनिकों को लेकर चीन सीमा को छूने वाले ग्लेशियर की तलाश की.

Intro:हेडलाइन- गंगोत्री ग्लेशियर पर खतरा,नाले में तब्दील गंगा। (exclusive)। उत्तरकाशी। आध्यात्मिक, पर्वतारोहण और गंगा सरक्षंण का मिश्रण गंगोत्री धाम के 94 वर्षीय स्वामी सुंदरानंद। जिन्होंने वर्ष 1948 से अपना पूरा जीवन गंगा और हिमालय के नाम कर दिया। गंगोत्री ग्लेशियर और बद्रीनाथ घाटी के पूरे हिमालय को करीबी से जानने वाले स्वामी सुंदरानंद ने etv bharat से खास मुलाकात में गंगोत्री हिमालय और ग्लेशियर, जिन्हें स्वामी सुंदरानंद वामक कहते हैं,पर चिंता जाहिर करते हुए exclusive बातचीत में कहा कि आज गौमुख पुष्पबासा से 5 किमी पीछे खिसक चुका है। साथ ही अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है और गंगोत्री ग्लेशियर से छेड़छाड़ बन्द नहीं हुई,तो आने वाले 25 वर्ष बाद गंगा गंगोत्री में ही नाले के रूप में बहेगी।


Body:वीओ-1, स्वामी सुंदरानंद ने गंगोत्री धाम में etv bharat से खास बातचीत में बताया कि जब 1948 में वह पहली बार गंगोत्री धाम पहुंचे और उसके बाद हिमालय की ऊंची- ऊंची चोटियों का विचरण किया। तो यह स्वर्ग था,आज स्वर्ग में धरती निकल आई है। गौमुख जो कि कभी पुष्पबासा के समीप हुआ करता था। आज 5 किमी जहां पर गौमुख है। वहाँ तक खिसक गया है। स्वामी सुंदरानंद ने कहा कि पहले गंगा को पोषित करने के लिए गंगोत्री हिमालय में रक्तवन,रुद्रगेरा,सहित अनेकों ग्लेशियर(वामक) हुआ करते थे। आज वह सब विलुप्ति की कगार पर हैं। स्वामी सुंदरानंद ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर इसी प्रकार हिमालय पर अतिक्रमण होता रहा। तो आने वाले 25 वर्षों बाद गंगा गंगोत्री धाम में एक नाले के रूप में बहेगी और आने वाली पीढ़ी गंगा की पवित्रता को किताबों या कहानियों में ही सुन पाएंगे।


Conclusion:वीओ-2, स्वामी सुंदरानंद जी ने 1962 के भारत- चीन युद्ध के दौरान बद्रीनाथ घाटी में सेना की हिलामयी ग्लेशियर के बीच रास्ता ढूढने में मदद की थी। स्वामी जी ने etv bharat को बताया कि चीन ने धमकी दी थी कि बद्रीनाथ के कपाट उनकी सेना खोलेगी। फोटोग्राफी के शौकीन स्वामी सुंदरानंद बद्रीनाथ पहुंचे। जहां पर सेना को मालूम हुआ कि स्वामी हिमालयी रास्तों को अच्छी तरह जानते हैं। तो सेना के वह गाइड बने और 30 सैनिकों को लेकर चीन सीमा को छूने वाले ग्लेशियर की ढूंढ की। जहां पर स्वामी सुंदरानंद और सेना के जवानों की मदद उस समय दैवीय शक्तियों ने भी की थी और वह लोग ग्लेशियरों में मार्ग ढूंढ सकुशल लौट आये थे। वन टू वन विथ स्वामी सुंदरानंद गंगोत्री धाम।
Last Updated : Jun 17, 2019, 7:56 PM IST
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