नई दिल्ली: विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) चुपचाप अपना भारत पोर्टफोलियो तैयार कर रहा है. जबकि भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक संबंध अशांत बने हुए हैं.
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) की विभिन्न फाइलिंग से मनीकंट्रोल द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार पीबीओसी के पास वित्त वर्ष 24 के अंत में कम से कम 35 भारतीय कंपनियों के शेयर थे, जिनका पोर्टफोलियो मूल्य लगभग 40,000 करोड़ रुपये था.
बाजार मूल्य के लिहाज से आईसीआईसीआई बैंक पीबीओसी का भारत में सबसे बड़ा दांव है क्योंकि केंद्रीय बैंक के पास इस निजी लेंडर में 6,139 करोड़ रुपये के शेयर हैं. आंकड़ों के अनुसार पीबीओसी के पास एचडीएफसी बैंक में 5,344 करोड़ रुपये के शेयर हैं, जबकि इंफोसिस में 5,303 करोड़ रुपये के शेयर हैं. पीबीओसी के पास भारत सरकार द्वारा प्रवर्तित पावर ग्रिड कॉरपोरेशन में 1,414 करोड़ रुपये के शेयर भी हैं.
यह घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि PBOC का नाम पहली बार 2020 में महामारी के चरम पर तत्कालीन HDFC (अब HDFC बैंक में विलय हो चुका है) के शेयरहोल्डिंग पैटर्न में शामिल किया गया था. इससे भारत में चीनी निवेश को लेकर चिंताएं पैदा हुईं. इसके कारण केंद्र सरकार ने 'प्रेस नोट 3' जारी किया. इस नोट में उन सभी चीनी निवेशकों के लिए भारत सरकार की मंजूरी अनिवार्य कर दी गई जो भारत की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं.