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टमाटर का नहीं मिल रहा दाम, पलायन करने को मजबूर किसान

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Published : Jul 19, 2021, 4:32 PM IST

Updated : Jul 19, 2021, 7:16 PM IST

उत्तराखंड में इस बार टमाटर की अच्छी फसल हुई है. लेकिन अफसोस इस बात का है कि मंडियों में काश्तकारों को टमाटर का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. काश्तकारों को टमाटर का मूल्य 2 से 10 रुपये प्रति किलो मिल रहा है.

Uttarkashi
उत्तरकाशी

उत्तरकाशी/विकासनगरः उत्तरकाशी जिले में टमाटर की फसल ही पुरोला, नौगांव और मोरी के 500 से ज्यादा काश्तकारों की आजीविका का साधन है. लेकिन लगातार दूसरे साल कोरोना की मार के चलते काश्तकारों को टमाटर की फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है. इस कारण काश्तकार अब खेती-किसानी छोड़ कंपनियों में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

पुरोला के चंदेली गांव के काश्तकार सोबत सिंह का कहना है कि इस साल टमाटर की फसल अच्छी हुई है. लेकिन काश्तकारों को उनकी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसानों को टमाटर की खेती छोड़ कंपनियों में नौकरी का सहारा लेना पड़ रहा है. इसके अलावा एक कारण ये भी है कि पहाड़ों में मंडियां नहीं होने के कारण काश्तकार बिचौलिए के जरिए टमाटर शहरी मंडियों तक पहुंचा रहे हैं. जिस कारण बिचौलिए काश्तकारों के सामने मूल्यों को उजागर नहीं करते.

टमाटर का नहीं मिल रहा दाम, पलायन करने को मजबूर किसान

पुरोला के नेत्री गांव के काश्तकार का कहना है कि टमाटर का मूल्य मात्र 2 से 3 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. काश्तकारों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हालांकि, कृषि मंडी के लिए विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक घोषणा कर चुके हैं. लेकिन आज तक मंडी न होने के कारण हर साल काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ता है.

ये भी पढ़ेंः देहरादून में आज ये हैं फल, सब्जियों और राशन के दाम

दूसरी तरफ विकासनगर के जौनसार बावर की एकमात्र मंडी साया में इन दिनों किसानों को टमाटर का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे किसान काफी मायूस नजर आ रहे हैं. जौनसार बावर क्षेत्र में किसानों ने कई हेक्टेयर में टमाटर की पैदावार की है. लेकिन मंडी में टमाटर की प्रति कैरेट का मूल्य मात्र ₹150 से ₹250 रुपये ही मिल पा रहा है. एक कैरेट में 22 से 25 किलो टमाटर होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काश्तकार मात्र ₹8 से ₹10 प्रति किलो ही टमाटर मंडियों में बेच पा रहे हैं.

काश्तकार हुकुम सिंह का कहना है कि मंडी में टमाटर की 28 कैरेट लेकर आए हैं. जिसकी बिक्री ₹150 से ₹250 के करीब हुई है. टमाटर के उत्पादन में दवाई का छिड़काव, खाद, बीज व सड़क मार्ग से मंडी तक पहुंचाने में एक कैरेट पर ₹50 से ₹60 का खर्च आ रहा है. इसके अलावा मंडी में मजदूरी के ₹10 अलग से देने पड़ते हैं.

किसान परम सिंह ने बताया कि टमाटर की 18 कैरेट लेकर मंडी आए हैं. जिसकी बिक्री ₹150 से लेकर ₹200 प्रति कैरेट हुई. टमाटर काफी मंदा बिक रहा है. किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. जबकि इस बार टमाटर की अच्छी फसल हुई है.

इसके अलावा मंडियों में हरा धनिया मात्र ₹10 से ₹15 किलो बिक रहा है. जिससे किसान काफी परेशान और मायूस नजर आ रहे हैं. किसान कई किलोमीटर दूर से खच्चर व ट्रांसपोर्टेशन कर मंडी तक अपनी फसलों को पहुंचा रहे हैं. जिस पर काश्तकारों को फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है.

उत्तरकाशी/विकासनगरः उत्तरकाशी जिले में टमाटर की फसल ही पुरोला, नौगांव और मोरी के 500 से ज्यादा काश्तकारों की आजीविका का साधन है. लेकिन लगातार दूसरे साल कोरोना की मार के चलते काश्तकारों को टमाटर की फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है. इस कारण काश्तकार अब खेती-किसानी छोड़ कंपनियों में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.

पुरोला के चंदेली गांव के काश्तकार सोबत सिंह का कहना है कि इस साल टमाटर की फसल अच्छी हुई है. लेकिन काश्तकारों को उनकी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. इस कारण किसानों को टमाटर की खेती छोड़ कंपनियों में नौकरी का सहारा लेना पड़ रहा है. इसके अलावा एक कारण ये भी है कि पहाड़ों में मंडियां नहीं होने के कारण काश्तकार बिचौलिए के जरिए टमाटर शहरी मंडियों तक पहुंचा रहे हैं. जिस कारण बिचौलिए काश्तकारों के सामने मूल्यों को उजागर नहीं करते.

टमाटर का नहीं मिल रहा दाम, पलायन करने को मजबूर किसान

पुरोला के नेत्री गांव के काश्तकार का कहना है कि टमाटर का मूल्य मात्र 2 से 3 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. काश्तकारों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हालांकि, कृषि मंडी के लिए विधायक से लेकर मुख्यमंत्री तक घोषणा कर चुके हैं. लेकिन आज तक मंडी न होने के कारण हर साल काश्तकारों को नुकसान उठाना पड़ता है.

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दूसरी तरफ विकासनगर के जौनसार बावर की एकमात्र मंडी साया में इन दिनों किसानों को टमाटर का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. जिससे किसान काफी मायूस नजर आ रहे हैं. जौनसार बावर क्षेत्र में किसानों ने कई हेक्टेयर में टमाटर की पैदावार की है. लेकिन मंडी में टमाटर की प्रति कैरेट का मूल्य मात्र ₹150 से ₹250 रुपये ही मिल पा रहा है. एक कैरेट में 22 से 25 किलो टमाटर होता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि काश्तकार मात्र ₹8 से ₹10 प्रति किलो ही टमाटर मंडियों में बेच पा रहे हैं.

काश्तकार हुकुम सिंह का कहना है कि मंडी में टमाटर की 28 कैरेट लेकर आए हैं. जिसकी बिक्री ₹150 से ₹250 के करीब हुई है. टमाटर के उत्पादन में दवाई का छिड़काव, खाद, बीज व सड़क मार्ग से मंडी तक पहुंचाने में एक कैरेट पर ₹50 से ₹60 का खर्च आ रहा है. इसके अलावा मंडी में मजदूरी के ₹10 अलग से देने पड़ते हैं.

किसान परम सिंह ने बताया कि टमाटर की 18 कैरेट लेकर मंडी आए हैं. जिसकी बिक्री ₹150 से लेकर ₹200 प्रति कैरेट हुई. टमाटर काफी मंदा बिक रहा है. किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. जबकि इस बार टमाटर की अच्छी फसल हुई है.

इसके अलावा मंडियों में हरा धनिया मात्र ₹10 से ₹15 किलो बिक रहा है. जिससे किसान काफी परेशान और मायूस नजर आ रहे हैं. किसान कई किलोमीटर दूर से खच्चर व ट्रांसपोर्टेशन कर मंडी तक अपनी फसलों को पहुंचा रहे हैं. जिस पर काश्तकारों को फसल की लागत भी नहीं मिल पा रही है.

Last Updated : Jul 19, 2021, 7:16 PM IST
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