उत्तरकाशी: विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम और गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की तिथि दोनों मंदिर समितियों की ओर से तय की गई है. यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज के अवसर पर दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर 6 नवंबर को शीतकाल के 6 माह के लिए बंद हो जाएंगे. वहीं गंगोत्री धाम के कपाट 5 नवंबर को अन्नकूट पर्व पर दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर 6 माह के शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद कर दिए जाएंगे. वहीं, 20 नवंबर को भगवान बदरी विशाल के कपाट विधि विधान से बंद किये जाएंगे.
शीतकाल में मां यमुना जी के दर्शन शीतकालीन प्रवास खरसाली और मां गंगा के दर्शन मुखबा में होंगे. यमुनोत्री धाम मन्दिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि 6 नवंबर को भैयादूज के अवसर पर 11 बजकर 45 मिनट पर विधि-विधान के साथ यमुनोत्री धाम के कपाट 6 माह के शीतकाल के लिए बंद होने की विधि शुरू होगी. इसमें मां का श्रृंगार, विशेष पूजा-अर्चना शामिल है. इसके बाद अभिजीत मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर 6 माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इसके बाद मां यमुना जी की भोगमूर्ति अपने भाई शनि महाराज की डोली के साथ शीतकालीन प्रवास खरसाली के लिए रवाना होगी. उसी दिन शाम को अपने शीतकालीन प्रवास पहुंचेगी.
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गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव दीपक सेमवाल ने बताया कि मां गंगा के गंगोत्री धाम के कपाट 5 नवंबर को विधि-विधान के साथ अन्नकूट पर्व पर दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर 6 माह शीतकाल के लिए बन्द कर दिए जाएंगे. उसके बाद 11 बजकर 50 मिनट शुभ बेला में मां गंगा की भोगमूर्ति शीतकालीन प्रवास मुखबा के लिए रवाना होगी. मां गंगा जी की भोगमूर्ति 5 नवंबर को रात्रि विश्राम मार्कण्डेयपुरी में करेंगी और 6 नवंबर को भैयादूज के अवसर पर मां गंगा मुखबा में विराजमान होंगी. वहीं, भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल के लिए बन्द होने की तिथि की भी घोषित हो गई है. 20 नवंबर को 6 बजकर 45 मिनट पर भगवान बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए विधिविधान से बंद कर दिये जाएंगे.