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उत्तरकाशी: गंगोत्री हाईवे पर दरक रही चट्टानें, BRO भी सुरक्षा मानकों का उड़ा रहा मखौल

बुधवार देर रात हेलगुगाड़ के समीप बोल्डर आने के कारण गंगोत्री हाईवे गुरुवार सुबह करीब 2 घण्टे बन्द रहा. यह स्थिति मॉनसून खत्म होने के बाद पहली बार नहीं आई है. बल्कि बीती 16 सितम्बर को भी सुनगर के समीप चट्टान दरकने के कारण एक पोकलैंड दब गया था.

गंगोत्री हाई-वे पर मौत बनकर दरक रही चट्टानें
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Published : Oct 17, 2019, 4:58 PM IST

उत्तरकाशी: मॉनसून सीजन खत्म होने के बाद भी गंगोत्री हाइवे पर भूस्खलन लगातार जारी है. भटवाड़ी से लेकर गंगनानी के बीच का 12 किमी. का सफर यात्रियों के लिए अभी भी किसी जंग से कम नहीं है. बीआरओ की ओर से भटवाड़ी से लेकर गंगनानी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है. जिसके कारण भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा सड़क चौड़ीकरण के काम में बीआरओ की ओर से सुरक्षा के मानकों की अनदेखी के चलते भी यहां कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

गंगोत्री हाई-वे पर मौत बनकर दरक रही चट्टानें,

बुधवार देर रात हेलगुगाड़ के समीप बोल्डर आने के कारण गंगोत्री हाईवे गुरुवार सुबह करीब 2 घण्टे बन्द रहा. यह स्थिति मॉनसून खत्म होने के बाद पहली बार नहीं आई है. बल्कि बीती 16 सितम्बर को भी सुनगर के समीप चट्टान दरकने के कारण एक पोकलैंड दब गया था. जिसमें बड़ी मुश्किल से चालक की जान बची थी. ऐसी स्थिति में चारधाम यात्रा पर आये यात्रियों को आये दिन समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है.

पढ़ें-मोटर साइकिल सवार का कटा 13 हजार का चालान, 15 वाहनों पर की गई कार्रवाई

प्राकृतिक आपदा और बीआरओ का लगातार सुरक्षा मानको में अनदेखी करना गंगोत्री हाईवे पर हादसों की वजह बन रहा है. गंगोत्री हाईवे पर सड़क चौड़ीकरण के दौरान काटी जा रही चट्टानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है. खुदी पड़ी चट्टानों पर किसी भी प्रकार का ट्रीटमेंट कार्य भी नहीं किया जा रहा है. गत वर्ष भटवाड़ी और गंगनानी के बीच संगलाई के समीप अचानक पहाड़ी टूटने से 14 लोग काल के गाल में समा गए थे.

उत्तरकाशी: मॉनसून सीजन खत्म होने के बाद भी गंगोत्री हाइवे पर भूस्खलन लगातार जारी है. भटवाड़ी से लेकर गंगनानी के बीच का 12 किमी. का सफर यात्रियों के लिए अभी भी किसी जंग से कम नहीं है. बीआरओ की ओर से भटवाड़ी से लेकर गंगनानी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है. जिसके कारण भी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा सड़क चौड़ीकरण के काम में बीआरओ की ओर से सुरक्षा के मानकों की अनदेखी के चलते भी यहां कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है.

गंगोत्री हाई-वे पर मौत बनकर दरक रही चट्टानें,

बुधवार देर रात हेलगुगाड़ के समीप बोल्डर आने के कारण गंगोत्री हाईवे गुरुवार सुबह करीब 2 घण्टे बन्द रहा. यह स्थिति मॉनसून खत्म होने के बाद पहली बार नहीं आई है. बल्कि बीती 16 सितम्बर को भी सुनगर के समीप चट्टान दरकने के कारण एक पोकलैंड दब गया था. जिसमें बड़ी मुश्किल से चालक की जान बची थी. ऐसी स्थिति में चारधाम यात्रा पर आये यात्रियों को आये दिन समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है.

पढ़ें-मोटर साइकिल सवार का कटा 13 हजार का चालान, 15 वाहनों पर की गई कार्रवाई

प्राकृतिक आपदा और बीआरओ का लगातार सुरक्षा मानको में अनदेखी करना गंगोत्री हाईवे पर हादसों की वजह बन रहा है. गंगोत्री हाईवे पर सड़क चौड़ीकरण के दौरान काटी जा रही चट्टानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है. खुदी पड़ी चट्टानों पर किसी भी प्रकार का ट्रीटमेंट कार्य भी नहीं किया जा रहा है. गत वर्ष भटवाड़ी और गंगनानी के बीच संगलाई के समीप अचानक पहाड़ी टूटने से 14 लोग काल के गाल में समा गए थे.

Intro:उत्तरकाशी। मानसून निपटने के बाद भी गंगोत्री हाइवे पर भूस्खलन लगातार जारी है। भटवाड़ी से लेकर गंगनानी के बीच का 12 किमी का सफर अभी भी यात्रियों के लिए किसी मौत की जंग से लड़ने से कम भी नहीं है। बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) की और से भटवाड़ी से लेकर गंगनानी तक सड़क चौड़ीकरण का कार्य कर रही है। जहां पर मौत 24 घण्टे आवाजाही कर रहे यात्रियों और मजदूरों के सिर पर मंडरा रही है। लेकिन उसके बावजूद भी बीआरओ की और से सुरक्षा के मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा है। चट्टानों को खोदने के बाद उसके दुष्परिणामो और निकट भविष्य में उससे होने वाले खतरे के लिए कोई योजना नहीं है। Body:वीओ-1, बुधवार देर रात हेलगुगाड़ के समीप बोल्डर आने के कारण गंगोत्री हाईवे गुरुवार सुबह करीब 2 घण्टे बन्द रहा। यह स्थिति मानसून निपटने के बाद पहली बार नहीं आई है। बल्कि बीती 16 सितम्बर को भी सुनगर के समीप चट्टान दरकने के कारण उसमें एक पोकलैंड दब गई थी। जिसमें चालक बाल-बाल बचा था। ऐसी स्थिति में यात्रा के अंतिम चरण में चारधाम यात्रा अपने चरम पर है। इसी प्रकार सुरक्षा मानकों की अनदेखी होती रही,तो यह कभी भी चारधाम यात्रियों के साथ स्थानीय लोगों के लिए कभी भी बड़े हादसे का रूप ले सकती है। Conclusion:वीओ-2, बीआरओ की और से चौड़ीकरण के दौरान काटी जा रही चट्टानों को उनके हाल पर छोड़ दिया जा रहा है। बल्कि खुदी पड़ी चट्टानों के लिए किसी भी प्रकार का ट्रीटमेंट कार्य नहीं किया जा रहा है। जबकि गत वर्ष भटवाड़ी और गंगनानी के बीच संगलाई के समीप अचानक पहाड़ी टुटने से 14 लोग काल के गाल में समा गए थे। शायद जिला प्रशासन और बीआरओ एक इसी प्रकार के हादसे का इंतजार कर रहा है। बाइट- राजेश रावत, स्थानीय निवासी।
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