उत्तरकाशी: फाल्गुन माह की होली (Holi in the month of Falgun) के रंगों में तो सभी सराबोर होते हैं, लेकिन उपला टकनौर क्षेत्र में मक्खन और मट्ठा के साथ खेली जाने वाली होली अंढूड़ी उत्सव (andhuri festival uttarkashi) हर्षोल्लास से मनाया जाता है. यह होली अपनी विशेष पहचान रखती है. आज दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल की ओर से दूध, मक्खन व मट्ठे की होली खेली की गई. जिसके साथ ही बटर फेस्टिवल की शुरुआत (Butter Festival of Uttarkashi) हो गई.
रैथल गांव में ग्रामीण हर साल भाद्रपद की संक्रांति को प्रकृति का आभार जताने के लिए दयारा बुग्याल में दूध, मक्खन, मट्ठा की होली (Holi with milk and buttermilk) का आयोजन करते हैं. स्थानीय स्तर पर अंढूड़ी पर्व के नाम से जाना जाने वाले इस उत्सव को इसकी अनूठी मक्खन की होली (Butter Holi Played in dayara bugyal) से बटर फेस्टिवल का नाम मिला.
होल्यारों ने जमकर खेली होली: बटर फेस्टिवल में स्थानीयों के साथ पर्यटकों ने भी मक्खन और मट्ठा की होली का आनंद लिया. यहां राधा और कृष्ण के साथ होल्यारों ने मक्खन एवं मट्ठे की होली खेलते हुए बुग्याल का चक्कर लगाया और मक्खन से भरी मटकी फोड़ी. अंढूड़ी उत्सव (बटर फेस्टिवल) के दौरान स्थानीय महिला और पुरूषों ने ढोल दमाऊ की थाप पर रासौं सहित अन्य लोक नृत्य और लोकगीत की प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया.
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मक्खन और मट्ठे की होली: बता दें कि जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किलोमीटर दूर स्थित दयारा बुग्याल 28 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. दयारा पर्यटन उत्सव समिति रैथल के अध्यक्ष मनोज राणा ने बताया कि पहले इस अंढूड़ी उत्सव को गाय के गोबर से भी खेलते थे, लेकिन अब ग्रामीणों ने मक्खन और मट्ठे की होली खेलना शुरू किया है. इस उत्सव में ग्रामीण प्रकृति की पूजा करते हैं और प्रकृति देवता का धन्यवाद करते हैं.
गोबर से खेली जाती थी होली: पहले इस होली को गाय के गोबर से खेला जाता था. बाद में अंढूड़ी उत्सव को पर्यटन से जोड़ने के बाद ग्रामीणों ने मक्खन और मट्ठे की होली (Holi with milk and buttermilk) खेलना शुरू कर दिया. इस वजह से अंढूड़ी उत्सव को बटर फेस्टिवल के रूप में पहचान मिली है. इस बटर फेस्टिवल में ग्रामीण प्रकृति के प्रति कृतज्ञता जताते हैं.
दयारा बुग्याल: जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 42 किलोमीटर की सड़क दूरी और भटवाड़ी ब्लॉक के रैथल गांव से 9 किलोमीटर पैदल दूरी पर दयारा बुग्याल स्थित है. यह दयारा बुग्याल 28 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. बता दें कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही रैथल समेत आसपास के गांवों के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्याली क्षेत्रों में स्थित अपनी छानियों में चले जाते हैं. पूरे गर्मी के मौसम में वो वहीं रहते हैं. यहां ग्रामीण अंढूड़ी उत्सव (बटर फेस्टिवल) मनाकर ही गांव लौटते हैं. लेकिन, लौटने से पहले वो प्रकृति का शुक्रिया अदा करने को इस मेले का आयोजन करते हैं. कहते हैं कि सदियों से अंढूड़ी उत्सव मनाया जाता आ रहा है.
सीएम धामी ने दी बधाई: इस बटर फेस्टिवल कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) को भी पहुंचना था, लेकिन मौसम अनुकूल न होने के कारण मुख्यमंत्री कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाए. उन्होंने वीडियो संदेश के जरिये सभी प्रदेशवासियों को बटर फेस्टिवल की बधाई दी है.