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उत्तरकाशी की स्योरी पट्टी में सेब की पैदावार में भारी गिरावट, बागवानों के माथे पर पड़ी शिकन

Uttarkashi Apple Farming उत्तरकाशी जिला सेब उत्पादन के लिए अपनी अलग पहचान रखता है, लेकिन इस बार मौसम सेब के लिए मुफीद नहीं रहा. जिसके चलते स्योरी पट्टी में सेब के उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है. आलम ये है कि बागवानों को खाद, दवाई आदि का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. सेब की पैदावार में गिरावट का असर तुड़ान और पैकिंग करने वाले मजदूरों समेत घोड़े खच्चरों से पेटियों का ढुलान करने वालों पर भी पड़ा है.

Apple Farming In Uttarkashi
उत्तरकाशी में सेब उत्पादन
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 8, 2023, 5:00 PM IST

उत्तरकाशीः समय पर बारिश और बर्फबारी न होने से स्योरी पट्टी में सेब के उत्पादन में भारी कमी आई है. जिससे सेब उत्पादक मायूस नजर आ रहे हैं. बागवानों की मानें तो करीब दो दशक बाद उन्हें बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है. इस सीजन में करीब 80 फीसदी उत्पादन कम हुआ है. जिससे साल भर बगीचों की देख रेख और खाद दवाई पर हुए खर्चे की भी भरपाई नहीं हो पाई है.

Apple Farming In Uttarkashi
सेब की ग्रेडिंग और पैकिंग का काम

बागवानों का कहना है कि साल 2022 में उत्तरकाशी की स्योरी फल पट्टी में करीब दो लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था. इस समय मुश्किल से 20 हजार पेटियों का अंदाजा है. स्योरी फल पट्टी में सेब के करीब 500 बगीचे हैं. जहां हर साल डेढ़ से दो लाख सेब की पेटियों का उत्पादन होता है. इस बार समय पर बारिश और बर्फबारी न होने से सेब की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
ये भी पढ़ेंः आराकोट बंगाण क्षेत्र में सेब की पैदावार पर मौसम की मार, 50 फीसदी फसल को नुकसान

बगीचे का खर्च भी निकालना हुआ मुश्किलः सेब उत्पादक गजेंद्र नौटियाल का कहना है कि साल 2022 में उनकी 2 हजार सेब की पेटियों का उत्पादन हुआ था, जो इस समय घट कर 200 पर आ गई, जिनकी कीमत से साल भर बगीचों के देखभाल, दवाई, आदि पर किए खर्चे की भी कीमत नहीं उठ पाई है.
ये भी पढ़ेंः पारंपरिक खेती छोड़ पूनम ने लगाए सेब के बाग, सफलता देख CM धामी ने दी बधाई

विजय प्रकाश बंधानी का कहना है कि पिछले साल उनकी 2400 पेटियों का उत्पादन हुआ था. इस समय 300 पेटियां निकली हैं. बगीचे की देखभाल के लिए रखे लोगों की मजदूरी देना मुश्किल हो गया है. वहीं, कृपाल सिंह का कहना है कि करीब दो दशक बाद उन्हें बगीचे से इतना बड़ा नुकसान हुआ है. बीते सीजन में उनकी 1900 सौ पेटियों का उत्पादन हुआ था, इस सीजन में सिर्फ पौने 300 पेटियां निकली हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड का सेब, नाम कमा रहा हिमाचल! ऐसे मिलेगी पहचान?

सेब की पैदावार घटने से इन पर भी पड़ा असरः उनका कहना है कि साल भर का खर्चा जोड़ें तो काफी बड़ा नुकसान हुआ है. उधर, उत्पादन कम होने से सेब सीजन में तुड़ान और पैकिंग करने वाले मजदूर समेत घोड़े खच्चरों से पेटियों का ढुलान करने वालों को भी खासा नुकसान हुआ है. वहीं, ट्रांसपोर्टरों के लिए भी यह सीजन घाटे वाला रहा है.
ये भी पढ़ेंः Uttarakhand Kiwi Farming: सेब में पिछड़ा लेकिन कीवी से टक्कर देगा उत्तराखंड, किसान भी होंगे मालामाल

उत्तरकाशीः समय पर बारिश और बर्फबारी न होने से स्योरी पट्टी में सेब के उत्पादन में भारी कमी आई है. जिससे सेब उत्पादक मायूस नजर आ रहे हैं. बागवानों की मानें तो करीब दो दशक बाद उन्हें बड़े नुकसान का सामना करना पड़ा है. इस सीजन में करीब 80 फीसदी उत्पादन कम हुआ है. जिससे साल भर बगीचों की देख रेख और खाद दवाई पर हुए खर्चे की भी भरपाई नहीं हो पाई है.

Apple Farming In Uttarkashi
सेब की ग्रेडिंग और पैकिंग का काम

बागवानों का कहना है कि साल 2022 में उत्तरकाशी की स्योरी फल पट्टी में करीब दो लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था. इस समय मुश्किल से 20 हजार पेटियों का अंदाजा है. स्योरी फल पट्टी में सेब के करीब 500 बगीचे हैं. जहां हर साल डेढ़ से दो लाख सेब की पेटियों का उत्पादन होता है. इस बार समय पर बारिश और बर्फबारी न होने से सेब की फसल बुरी तरह से प्रभावित हुई है.
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बगीचे का खर्च भी निकालना हुआ मुश्किलः सेब उत्पादक गजेंद्र नौटियाल का कहना है कि साल 2022 में उनकी 2 हजार सेब की पेटियों का उत्पादन हुआ था, जो इस समय घट कर 200 पर आ गई, जिनकी कीमत से साल भर बगीचों के देखभाल, दवाई, आदि पर किए खर्चे की भी कीमत नहीं उठ पाई है.
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विजय प्रकाश बंधानी का कहना है कि पिछले साल उनकी 2400 पेटियों का उत्पादन हुआ था. इस समय 300 पेटियां निकली हैं. बगीचे की देखभाल के लिए रखे लोगों की मजदूरी देना मुश्किल हो गया है. वहीं, कृपाल सिंह का कहना है कि करीब दो दशक बाद उन्हें बगीचे से इतना बड़ा नुकसान हुआ है. बीते सीजन में उनकी 1900 सौ पेटियों का उत्पादन हुआ था, इस सीजन में सिर्फ पौने 300 पेटियां निकली हैं.
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सेब की पैदावार घटने से इन पर भी पड़ा असरः उनका कहना है कि साल भर का खर्चा जोड़ें तो काफी बड़ा नुकसान हुआ है. उधर, उत्पादन कम होने से सेब सीजन में तुड़ान और पैकिंग करने वाले मजदूर समेत घोड़े खच्चरों से पेटियों का ढुलान करने वालों को भी खासा नुकसान हुआ है. वहीं, ट्रांसपोर्टरों के लिए भी यह सीजन घाटे वाला रहा है.
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