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उत्तरकाशी: चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना का रात्रि अभ्यास कैंसिल, वनाग्नि का धुआं बना वजह

रविवार सुबह करीब दस बजे वायु सेना का हेलीकॉप्टर बरेली एयरबेस से गौचर और फिर चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचा. यहां नाइट सिग्नल लाइटें उतारीं. इन्हीं लाइटों की मदद से वायु सेना यहां रात्रि अभ्यास शुरू करने जा रही थी. इस अभ्यास को वायुसेना ने वनाग्नि के कारण उठते धुएं के चलते कैंसिल कर दिया है.

Air force exercise canceled due to forest fire in uttarkashi
चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर वायुसेना का अभ्यास कैंसिल
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Published : Apr 12, 2022, 12:55 PM IST

उत्तरकाशी: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहली बार अब वायुसेना रात के समय में भी अभ्यास करने जा रही थी. जिसके लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने हवाई अड्डे पर नाइट सिग्नल लाइट्स भी उतार दी थीं. वायुसेना का यह अभ्यास शाम 7 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक चलना था. लेकिन उत्तरकाशी के जंगलों में लगी आग और उससे उठते धुएं के चलते वायुसेना ने अपने अभ्यास कार्यक्रम को कैंसिल कर दिया है.

भारत-चीन सीमा से सटे सीमांत उत्तरकाशी जनपद में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि सेना इसे अपना एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाने की कवायद में लगी हुई है. इसके साथ ही यहां अपने मल्टीपर्पज विमान एएन-32, चिनूक, अपाचे, डोनियर, एमआई 17 और हरक्यूलिस की सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास कर चुकी है. लिहाजा, अब वायु सेना ने यहां आपातकाल के लिए रात्रि अभ्यास करने की तैयारियां शुरू कर दी थी.

रविवार सुबह करीब दस बजे वायु सेना का हेलीकॉप्टर बरेली एयरबेस से गौचर और फिर चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचा. जिसने यहां नाइट सिग्नल लाइट्स उतारीं. इन्हीं लाइटों की मदद से वायु सेना यहां रात्रि अभ्यास शुरू करने जा रही थी. हालांकि, वनाग्नि के चलते वायुसेना ने अपना यह अभ्यास कैंसिल कर दिया है. यूपी निर्माण निगम के इंजीनियर घनश्याम सिंह ने बताया कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने नाइट सिग्नल लाइट्स उतारी हैं. ऐसे में दिन के बाद अब रा‌त के समय में भी यह हवाई अड्डा वायुसेना के विमानों के काम आ सकेगा.

पढ़ें- कभी भी डोल सकती है उत्तराखंड की धरती, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

लटका हुआ है हवाई अड्डे का विस्तारीकरण: चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना बजट के अभाव में लटकी हुई है. साल 1992-93 में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा अस्तित्व में आया था. वहीं, साल 2013-14 में उत्तराखंड सरकार ने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की योजना तैयार की थी. जिसके लिए लगभग 46 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए. जिसमें से 40 करोड़ रुपए से यूपी निर्माण निगम ने रनवे की लंबाई 1165 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर बढ़ाई.

इसके साथ एटीसी टावर, टर्मिनल भवन, बिजली घर का भी निर्माण हुआ. लेकिन स्वीकृत बजट में से शेष धनराशि अवमुक्त नहीं होने के कारण अन्य काम अटके हुए हैं. वहीं, वायुसेना रनवे की लंबाई 150 मीटर बढ़ाने की मांग कर रही है. लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित है.

उत्तरकाशी से लगती है चीन की 117 किमी सीमा: उत्तराखंड राज्य के साथ चीन की 345 किमी लंबी सीमा लगती है. इसमें से 117 किमी सीमा उत्तरकाशी जनपद से लगी हुई है. जिसकी निगरानी का जिम्मा सेना के साथ आईटीबीपी के हिमवीरों के कंधों पर है. पिछले कुछ सालों से भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से खासतौर पर चीन के साथ सीमावर्ती इलाकों में सड़क और वायुसेना की पहुंच बढ़ाने में लगी हुई है. जिसमें उत्तरकाशी का चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा भी शामिल है. वायु सेना की जरूरतों के अनुसार यह हवाई अड्डा तैयार होता है तो इससे आपात काल में वायु सेना को सीधा लाभ मिलेगा.

उत्तरकाशी: सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहली बार अब वायुसेना रात के समय में भी अभ्यास करने जा रही थी. जिसके लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने हवाई अड्डे पर नाइट सिग्नल लाइट्स भी उतार दी थीं. वायुसेना का यह अभ्यास शाम 7 बजे से शुरू होकर रात 10 बजे तक चलना था. लेकिन उत्तरकाशी के जंगलों में लगी आग और उससे उठते धुएं के चलते वायुसेना ने अपने अभ्यास कार्यक्रम को कैंसिल कर दिया है.

भारत-चीन सीमा से सटे सीमांत उत्तरकाशी जनपद में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा सेना के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि सेना इसे अपना एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाने की कवायद में लगी हुई है. इसके साथ ही यहां अपने मल्टीपर्पज विमान एएन-32, चिनूक, अपाचे, डोनियर, एमआई 17 और हरक्यूलिस की सफलतापूर्वक लैंडिंग और टेक ऑफ का अभ्यास कर चुकी है. लिहाजा, अब वायु सेना ने यहां आपातकाल के लिए रात्रि अभ्यास करने की तैयारियां शुरू कर दी थी.

रविवार सुबह करीब दस बजे वायु सेना का हेलीकॉप्टर बरेली एयरबेस से गौचर और फिर चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर पहुंचा. जिसने यहां नाइट सिग्नल लाइट्स उतारीं. इन्हीं लाइटों की मदद से वायु सेना यहां रात्रि अभ्यास शुरू करने जा रही थी. हालांकि, वनाग्नि के चलते वायुसेना ने अपना यह अभ्यास कैंसिल कर दिया है. यूपी निर्माण निगम के इंजीनियर घनश्याम सिंह ने बताया कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर ने नाइट सिग्नल लाइट्स उतारी हैं. ऐसे में दिन के बाद अब रा‌त के समय में भी यह हवाई अड्डा वायुसेना के विमानों के काम आ सकेगा.

पढ़ें- कभी भी डोल सकती है उत्तराखंड की धरती, वैज्ञानिकों ने बताई वजह

लटका हुआ है हवाई अड्डे का विस्तारीकरण: चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना बजट के अभाव में लटकी हुई है. साल 1992-93 में चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा अस्तित्व में आया था. वहीं, साल 2013-14 में उत्तराखंड सरकार ने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण व सौंदर्यीकरण की योजना तैयार की थी. जिसके लिए लगभग 46 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए. जिसमें से 40 करोड़ रुपए से यूपी निर्माण निगम ने रनवे की लंबाई 1165 मीटर और चौड़ाई 30 मीटर बढ़ाई.

इसके साथ एटीसी टावर, टर्मिनल भवन, बिजली घर का भी निर्माण हुआ. लेकिन स्वीकृत बजट में से शेष धनराशि अवमुक्त नहीं होने के कारण अन्य काम अटके हुए हैं. वहीं, वायुसेना रनवे की लंबाई 150 मीटर बढ़ाने की मांग कर रही है. लेकिन अभी तक इस दिशा में कार्रवाई केवल कागजों तक ही सीमित है.

उत्तरकाशी से लगती है चीन की 117 किमी सीमा: उत्तराखंड राज्य के साथ चीन की 345 किमी लंबी सीमा लगती है. इसमें से 117 किमी सीमा उत्तरकाशी जनपद से लगी हुई है. जिसकी निगरानी का जिम्मा सेना के साथ आईटीबीपी के हिमवीरों के कंधों पर है. पिछले कुछ सालों से भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से खासतौर पर चीन के साथ सीमावर्ती इलाकों में सड़क और वायुसेना की पहुंच बढ़ाने में लगी हुई है. जिसमें उत्तरकाशी का चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डा भी शामिल है. वायु सेना की जरूरतों के अनुसार यह हवाई अड्डा तैयार होता है तो इससे आपात काल में वायु सेना को सीधा लाभ मिलेगा.

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