रुद्रपुर: उत्तराखंड एसटीएफ को वन्य जीव जन्तुओं के अंगों की तस्करी में लिप्त कुख्यात अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्कर तोताराम को गिरफ्तार करने में बड़ी सफलता हाथ लगी है. कई मामलों में वांछित चल रहे अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्कर बीरबल उर्फ गोपी उर्फ तोताराम को एसटीएफ और वन विभाग की ने खटीमा के जंगल से गिरफ्तार किया है. आरोपी बीरबल उर्फ गोपी उर्फ तोताराम के ऊपर उत्तराखंड सहित कई राज्यों में वन अधिनियम के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
स्पेशल टास्क फोर्स और वन विभाग की संयुक्त टीम ने 12 वर्षों से कई मामलों में वांछित चल रहे अंतरराष्ट्रीय वन्य जीव तस्कर को गिरफ्तार किया है. दरअसल, एसटीएफ और वन विभाग को सूचना मिली थी कि खटीमा के जंगल में वन्य जीवों के शिकार के लिए कुछ तस्कर घुसे हैं. इसके बाद एसटीएफ और वन विभाग की टीम ने सर्च ऑपरेशन चलाया.
टीम द्वारा खटीमा वन प्रभाग क्षेत्र नखाताल ब्लॉक कंपर्ट संख्या 1 से बीरबल उर्फ तोताराम को गिरफ्तार किया गया है. पूछताछ में आरोपी ने बताया गया कि विगत कुछ वर्षों से वह पंजाब, हरियाणा एवं नेपाल के जंगलों में छिपा हुआ था. कोविड-19 महामारी के दौरान वह अपने गैंग को फिर से सक्रिय कर जंगलों में वन्य जीवों का शिकार कर उनके अंग अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचना चाहता था.
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार ने बताया कि तोताराम नाम के अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्कर को टीम द्वारा गिरफ्तार किया गया है. आरोपी पिछले 12 सालों से कई मुकदमों में वांछित चल रहा था. फिलहाल एसटीएफ और वन विभाग की टीम तोताराम से पूछताछ कर रही है. इसके बाद पुलिस उसे कोर्ट में पेश करेगी.
कुख्यात शिकारी संसार चंद के गिरोह में था शामिल
बीरबल उर्फ गोपी उर्फ तोता पूर्व में अंतरराष्ट्रीय तस्कर संसार चंद के गिरोह में काम किया करता था. वर्ष 2012 में संसार चंद की मौत के बाद तोताराम ने भीमा के साथ मिलकर अपना गिरोह बनाया और उत्तराखंड के जंगलों में वन्यजीवों का शिकार करने लगा.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में शिकार का आरोपी
मई 2012 में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में दो बाघों का शिकार हुआ था. जिसके बाद वन विभाग की टीम ने दबिश देते हुए हरियाणा से बावरिया गिरोह के 8 सदस्यों को गिरफ्तार किया था. तोताराम का सहयोगी भीमा भी उस घटना में वांछित था. पुलिस पूछताछ में भीमा ने बताया था कि साल 2011-12 में उसने बीरबल उर्फ गोपी उर्फ तोताराम के साथ मिलकर लैंसडाउन के जंगलों में दो बाघों का शिकार किया था.
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तोता राम के खिलाफ यूपी और उत्तराखंड में दर्ज मुकदमे
- रेंज केस संख्या 57/31/91/92 दुधवा नेशनल पार्क, उत्तर प्रदेश.
- रेंज केस संख्या 25/2006-2007 उत्तर प्रदेश.
- रेंज केस संख्या दिनांक 14/10/2011 शारदा रेंज, उत्तराखंड.
- मु.अ.स. 1223/12 धारा 51 वन्य जीव जंतु संरक्षण अधिनियम, उधमसिंहनगर.
- दिनांक 21/05/2013 थाना बनबसा, उधमसिंहनगर.
हाईकोर्ट के आदेश पर गठित की गई स्पेशल टास्क फोर्स
वन्य जीवों के बढ़ते शिकार को देखते हुए साल 2012 में नैनीताल हाईकोर्ट ने हिमालय युवा ग्रामीण संस्थान की याचिका पर सुनवाई करते हुए शिकारियों को पकड़ने के लिए एसटीएफ की एक विशेष टीम का गठन करने का निर्देश दिया था. अपने गठन के बाद से टीम ने अब तक वन्य जीवों के शिकार के आरोपी 8 तस्करों को गिरफ्तार किया है.
कौन है तोताराम ?
बावरिया गिरोह का खासमखास सदस्य तोताराम के इतिहास पर नजर डालें तो वह दो बार वन विभाग के हत्थे तो चढ़ा, लेकिन जमानत में छूटने के बाद फरार हो गया. पहली बार वह 10 अगस्त 2004 को बनबसा की झोपड़ पट्टी से बाघ की खाल के साथ पकड़ा गया था. अंतरराष्ट्रीय गिरोह के तस्कर के पकड़े जाने के बाद से वन विभाग खासा चौकन्ना रहा. दूसरी बार 5 मार्च 2010 को तोताराम को छीनी कंपार्टमेंट-14 में कड़का के साथ दबोचा गया था. वह कड़का गुलदार को पकड़ने के लिए लगा रहा था. तभी वन विभाग के हत्थे चढ़ गया था. हालांकि इसके बाद से तोताराम फरार चल रहा था.