रुद्रपुर: उत्तराखंड में खत्म होते जंगलों को बचाने के लिए वैज्ञानिक आगे आए हैं ताकि उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र हरे भरे हो सकें. इसके लिए उन्होंने एक डिस्क तैयार की है. इस डिस्क में ऐसे बीजों को डाला गया है जो पहाड़ों पर पाए जाते हैं. वन विभाग ड्रोन की मदद से इस डिस्क को उन क्षेत्रों में भी गिराएंगे जहां लोगों का जाना मुश्किल है.
पंतनगर स्थित उत्तराखंड बायोटेक हल्दी के वैज्ञानिकों ने टिशू कल्चर के वेस्ट से एक ऐसी डिस्क तैयार की है जिसमें कई तरह के बीजों को डाला गया है. इस डिस्क को ऊंचाई वाले स्थानों पर फेंककर आसानी से पेड़ पौधे उगाए जा सकते हैं. इसके लिए वैज्ञानिकों ने डिस्क की खेप तैयार भी कर ली है.
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वैज्ञानिक डॉ. सुमित पुरोहित की मानें तो इस डिस्क की खासियत ये है कि इसे जिस स्थान में फेंका या गिराया जाएगा, वहां नमी के संपर्क में आते ही इसमें डाले गए बीज अंकुरित हो जाएंगे. धीरे-धीरे पौधे और फिर पेड़ का रूप ले लेंगे. इसके साथ ही इस डिस्क में बीज कई सालों तक खराब भी नहीं होगे. इस दौरान पौधे को पेड़ होने तक वह सभी पोषक तत्व उस मिट्टी से मिलते रहेंगे.
दरअसल, वैज्ञानिकों द्वारा टिशू कल्चर के वेस्ट को फेंक दिया जाता था, लेकिन अब इसे चिकनी मिट्टी के साथ मिलाकर कूड़े से बनी बायो कम्पोस्ट खाद के साथ इस्तेमाल किया जा रहा है. वैज्ञानिक इस वेस्ट से पहाड़ों के जंगलों को दोबारा हरा भरा करने का प्रयास करने जा रहे हैं.
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फिलहाल वैज्ञानिकों की टीम ने इस डिस्क में पाकड़, बरगद, पीपल, नीम, जामुन, बाज़, जमैका चेरी, काफल, किलमोड़, हिसालु, ट्री टमाटो, तीमुर और पहाड़ों पर पाए जाने वाली अन्य प्रजातियों के बीजों को डाला है.
डिस्क को पहाड़ों के जंगलों तक पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने वन विभाग से संपर्क किया है. वन विभाग भी इसके लिए तैयार है. उच्च हिमालय क्षेत्रों में जहां मानव नहीं जा सकते है, वहां वन विभाग ड्रोन की मदद से डिस्क को गिराएगा ताकि ऊंचाई वाले पहाड़ों में खत्म होते जंगलों को दोबारा गुलजार किया जा सके. इसके अलावा टीम स्कूल, कॉलेज व ग्रामवासियों के साथ मिल कर जंगलों को हरा भरा करने का काम करेगा.