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खटीमा में 25 लाख रुपए की कीड़ा जड़ी के साथ दो गिरफ्तार

हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाली इस कीड़ा जड़ी को हिमालयन वायग्रा या यार्सागुम्बा भी कहा जाता है. इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है. इसीलिए इसकी बड़ी मात्रा में तस्करी की जाती है.

Khatima
वन विभाग की गिरफ्त में आरोपी.
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Published : Jul 26, 2021, 10:46 PM IST

खटीमा/हल्द्वानी: वन विभाग की टीम ने डेढ़ किलो कीड़ाजड़ी (यार्सागुम्बा) के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है. जब्त कीड़ा जड़ी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 20 से 25 लाख रुपए आंकी गई है. खटीमा वन रेंजर राजेंद्र मनराल के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ छह लाख की चालानी कार्रवाई कर दंडित किया गया है.

रेंजर राजेंद्र मनराल ने बताया कि नानकमत्ता डेम के पास वन विभाग की टीम चेकिंग कर रही थी. इसी दौरान नानकमत्ता की तरफ से आ रहे कार चालकों ने वन विभाग की टीम देखकर कार मोड कर भागने लगे. हालांकि टीम ने उनका पीछा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पढ़ें- पहाड़ों में कीड़ा जड़ी की जोरदार मांग, खोजने के लिए बर्फीले तूफान से हो रही 'जंग'

पकड़े गए आरोपी ने बताया कि जो व्यक्ति कीड़ा जड़ी लाया था, उसे बरा एवं किच्छा उतार दिया था. टीम ने पकड़े गए व्यक्ति से मिले मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया, जिसके आधार पर वन विभाग की टीम ने दूसरे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. दूसरे आरोपी का नाम धर्मा है, जो नेपाल का रहने वाला है. धर्मा के पास से करीब डेढ़ किलो कीड़ा जड़ी बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 20 से 25 लाख रुपए बताई जा रही है.

क्या है कीड़ा जड़ी

हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाली इस कीड़ा जड़ी को हिमालयन वायग्रा या यार्सागुम्बा भी कहा जाता है. पहाड़ों पर 3500 मीटर ऊंचाई पर मिलने वाली यह जड़ी बहुत ही कीमती होती हैं. बताया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत तकरीबन 20 लाख रुपए प्रति किलो है. मार्केट में इसकी बहुत अधिक डिमांड होने की वजह से इसकी तस्करी तक की जाती है.

दरअसल, यह जड़ी कैटरपिलर के प्यूपा से बनती है. यह प्यूपा लगभग 5 सालों तक हिमालय या तिब्बत के पठारों में दबा रहता है. इसकी सूंडी बनने के दौरान इस पर ओफियोकार्डिसिपिटैसियस वंश की फफूंदी लग जाती है जो धीरे-धीरे इसके शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसके बाद यह उस कीट की सूंडी से ऊर्जा लेती है और कीट के सिर से बाहर निकल जाती है. किसी कीड़े की तरह ही दिखाई देने की वजह से इसका लोकप्रिय नाम कीड़ा जड़ी रखा गया है.

खटीमा/हल्द्वानी: वन विभाग की टीम ने डेढ़ किलो कीड़ाजड़ी (यार्सागुम्बा) के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया है. जब्त कीड़ा जड़ी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करीब 20 से 25 लाख रुपए आंकी गई है. खटीमा वन रेंजर राजेंद्र मनराल के मुताबिक आरोपियों के खिलाफ छह लाख की चालानी कार्रवाई कर दंडित किया गया है.

रेंजर राजेंद्र मनराल ने बताया कि नानकमत्ता डेम के पास वन विभाग की टीम चेकिंग कर रही थी. इसी दौरान नानकमत्ता की तरफ से आ रहे कार चालकों ने वन विभाग की टीम देखकर कार मोड कर भागने लगे. हालांकि टीम ने उनका पीछा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

पढ़ें- पहाड़ों में कीड़ा जड़ी की जोरदार मांग, खोजने के लिए बर्फीले तूफान से हो रही 'जंग'

पकड़े गए आरोपी ने बताया कि जो व्यक्ति कीड़ा जड़ी लाया था, उसे बरा एवं किच्छा उतार दिया था. टीम ने पकड़े गए व्यक्ति से मिले मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया, जिसके आधार पर वन विभाग की टीम ने दूसरे आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. दूसरे आरोपी का नाम धर्मा है, जो नेपाल का रहने वाला है. धर्मा के पास से करीब डेढ़ किलो कीड़ा जड़ी बरामद हुई, जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 20 से 25 लाख रुपए बताई जा रही है.

क्या है कीड़ा जड़ी

हिमालय के दुर्गम इलाकों में पाए जाने वाली इस कीड़ा जड़ी को हिमालयन वायग्रा या यार्सागुम्बा भी कहा जाता है. पहाड़ों पर 3500 मीटर ऊंचाई पर मिलने वाली यह जड़ी बहुत ही कीमती होती हैं. बताया जाता है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत तकरीबन 20 लाख रुपए प्रति किलो है. मार्केट में इसकी बहुत अधिक डिमांड होने की वजह से इसकी तस्करी तक की जाती है.

दरअसल, यह जड़ी कैटरपिलर के प्यूपा से बनती है. यह प्यूपा लगभग 5 सालों तक हिमालय या तिब्बत के पठारों में दबा रहता है. इसकी सूंडी बनने के दौरान इस पर ओफियोकार्डिसिपिटैसियस वंश की फफूंदी लग जाती है जो धीरे-धीरे इसके शरीर में प्रवेश कर जाती है. इसके बाद यह उस कीट की सूंडी से ऊर्जा लेती है और कीट के सिर से बाहर निकल जाती है. किसी कीड़े की तरह ही दिखाई देने की वजह से इसका लोकप्रिय नाम कीड़ा जड़ी रखा गया है.

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