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इन शख्सियतों ने उत्तराखंड को किया गौरवान्वित, उच्च पदों पर हैं आसीन

संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कमान अल्मोड़ा के रहने वाले डॉ. प्रदीप जोशी को सौंपी गई है. जबकि, कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी कमल पंत बेंगलुरु के नए पुलिस कमिश्नर बनाए गए हैं. वहीं, बागेश्वर के डॉ. दीवान सिंह रावत दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन बनकर प्रदेश का नाम रोशन किया है.

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Published : Aug 13, 2020, 4:36 PM IST

Updated : Aug 13, 2020, 10:57 PM IST

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उत्तराखंड के लाल

रुद्रपुरः उत्तराखंड के लिए अगस्त का महीना गौरवांवित करने वाला रहा है. देवभूमि के लाल आज अपने अथक प्रयास, मेहनत और लग्न से देश व अन्य राज्यों के शीर्ष पदों पर विराजमान हैं. जिनमें अल्मोड़ा के रहने वाले डॉक्टर प्रदीप जोशी, पिथौरागढ़ आईपीएस अधिकारी कमल पंत और डॉ. दीवान सिंह रावत शामिल हैं. आइए आपको उनके बारे में बताते हैं.

डॉ. प्रदीप जोशी को मिली संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कमान
उत्तराखंड के लोग देश के साथ-साथ कई राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिसमें एक नाम डॉ. प्रदीप जोशी का है, जो मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. प्रदीप जोशी को संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है. करीब 21 सालों का अध्यापन कार्य कराने के बाद डॉ. प्रदीप जोशी को यह मुकाम हासिल हुआ है. इससे पहले भी डॉ. प्रदीप जोशी अपनी लग्न से ईई के महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर चुके हैं. साल 1977 में उन्होंने वाणिज्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी.

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साल 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य में पीएचडी की कई सालों के अध्यापन के बाद उन्हें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. साथ ही वो राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान के निदेशक भी रहे. मई 2000 से 12 जून 2006 तक रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में प्रोफेसर अध्यक्ष और टीम प्रबंधन अध्ययन संकाय के पद पर कार्य भी किया. मई 2015 में उन्हें यूपीएससी का मेंबर बनाया गया. अब उन्हें संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. वो इस पद पर 2022 तक बने रहेंगे.

कर्नाटक कैडर के IPS अधिकारी कमल पंत बने बेंगलुरु के नए पुलिस कमिश्नर
सैनिक धाम से जाने जाने वाले उत्तराखंड के एक और लाल ने उत्तराखंड का मान बढ़ाया है. जी हां, यह नाम है, 1990 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी कमल पंत का. कमल पंत मूल रूप से पिथौरागढ़ बेरीनाग विकासखंड हपखेत के रहने वाले हैं. आईपीएस कलम पंत को बेंगलुरु के नए पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. बेंगलुरु के नए कमिश्नर बनने के बाद से ही पिथौरागढ़ समेत उत्तराखंड में खुशी की लहर है.

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आईपीएस कमल पंत कर्नाटक राज्य में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अपने कैरियर की शुरुआत उन्होंने गुलबर्गा में एक परिवीक्षाधीन एएसपी पुलिस सेवा के रूप में की थी. जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने उन्हें शिवमोगा और भैरव पति में एसपी नियुक्त किया. इसके अलावा उन्हें सेंट्रल जोन के आईजीपी और बंगलुरू में कानून और व्यवस्था का अतिरिक्त आयुक्त की जिमेदारी भी सौंपी गई थी.

उनकी कर्तव्य निष्ठा और कार्यप्रणाली को देखते हुए उन्हें आंतरिक सुरक्षा प्रभात और खुफिया विभाग के एडीजीपी की भी जिमेदारी सौंपी गई थी. अब उन्हें कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर के रूप में दी है. जिसके बाद से ही उत्तराखंड और उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन बने डॉ. दीवान सिंह रावत
अगस्त महीने में ही उत्तराखंड के लिए तीसरी बार उस वक्त खुशी का पल आया. जब उत्तराखंड के एक और लाल को दूसरे राज्य में एक अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. जिसमें मूल रूप से बागेश्वर जिले की रेखोली के रहने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन डॉ. दीवान सिंह रावत शामिल हैं. डॉ. दीवान सिंह को दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन बनाने के बाद प्रदेशभर और बागेश्वर जिले में खुशी का माहौल है. प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने अपनी प्राथमिक शिक्षा रैखोली से शुरू की. आठवीं के बाद वो शिक्षा के लिए नैनीताल पहुंचे.

साल 1993 में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से मास्टर डिग्री करने के बाद वो पीएचडी के लिए केंद्रीय औषधि अनुसंधान लखनऊ चले गए. जहां पर उन्होंने औषधि रसायन विज्ञान फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में 2 साल काम किया. इसके अलावा उन्होंने इंडियन यूनिवर्सिटी और पईयू यूनिवर्सिटी यूएसए में बतौर पोस्ट डॉक्टोरियल काम किया. इसके अलावा उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली में औषधि रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी.

ये भी पढ़ेंः भारत-चीन तल्खी के बीच उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम, गृह मंत्री को भेजा प्रस्ताव

जुलाई 2003 में एक रीडर के रूप में वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में शामिल हुए. मार्च 2010 में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत हुए. जिसके बाद अब उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी की कमान सौंपते हुए डीन बनाया गया है. डॉ. दीवान सिंह रावत अपने कैरियर में लाइलाज बीमारी पार्किंसन की दवा की खोज भी कर चुके हैं.

प्रो. रावत के अब तक 148 शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं. साल 2019 से 2020 तक वो भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अनुभागीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जबकि, साल 2007 ओर 2010 में उन्हें युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, प्रोफेसर डीपी चक्रवर्ती, वीसी प्रतीक चिह्न समेत कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

रुद्रपुरः उत्तराखंड के लिए अगस्त का महीना गौरवांवित करने वाला रहा है. देवभूमि के लाल आज अपने अथक प्रयास, मेहनत और लग्न से देश व अन्य राज्यों के शीर्ष पदों पर विराजमान हैं. जिनमें अल्मोड़ा के रहने वाले डॉक्टर प्रदीप जोशी, पिथौरागढ़ आईपीएस अधिकारी कमल पंत और डॉ. दीवान सिंह रावत शामिल हैं. आइए आपको उनके बारे में बताते हैं.

डॉ. प्रदीप जोशी को मिली संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कमान
उत्तराखंड के लोग देश के साथ-साथ कई राज्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिसमें एक नाम डॉ. प्रदीप जोशी का है, जो मूल रूप से अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. प्रदीप जोशी को संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कमान सौंपी गई है. करीब 21 सालों का अध्यापन कार्य कराने के बाद डॉ. प्रदीप जोशी को यह मुकाम हासिल हुआ है. इससे पहले भी डॉ. प्रदीप जोशी अपनी लग्न से ईई के महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर चुके हैं. साल 1977 में उन्होंने वाणिज्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की थी.

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साल 1981 में कानपुर विश्वविद्यालय से वाणिज्य में पीएचडी की कई सालों के अध्यापन के बाद उन्हें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. साथ ही वो राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान के निदेशक भी रहे. मई 2000 से 12 जून 2006 तक रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में प्रोफेसर अध्यक्ष और टीम प्रबंधन अध्ययन संकाय के पद पर कार्य भी किया. मई 2015 में उन्हें यूपीएससी का मेंबर बनाया गया. अब उन्हें संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. वो इस पद पर 2022 तक बने रहेंगे.

कर्नाटक कैडर के IPS अधिकारी कमल पंत बने बेंगलुरु के नए पुलिस कमिश्नर
सैनिक धाम से जाने जाने वाले उत्तराखंड के एक और लाल ने उत्तराखंड का मान बढ़ाया है. जी हां, यह नाम है, 1990 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी कमल पंत का. कमल पंत मूल रूप से पिथौरागढ़ बेरीनाग विकासखंड हपखेत के रहने वाले हैं. आईपीएस कलम पंत को बेंगलुरु के नए पुलिस कमिश्नर बनाया गया है. बेंगलुरु के नए कमिश्नर बनने के बाद से ही पिथौरागढ़ समेत उत्तराखंड में खुशी की लहर है.

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आईपीएस कमल पंत कर्नाटक राज्य में कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं. अपने कैरियर की शुरुआत उन्होंने गुलबर्गा में एक परिवीक्षाधीन एएसपी पुलिस सेवा के रूप में की थी. जिसके बाद कर्नाटक सरकार ने उन्हें शिवमोगा और भैरव पति में एसपी नियुक्त किया. इसके अलावा उन्हें सेंट्रल जोन के आईजीपी और बंगलुरू में कानून और व्यवस्था का अतिरिक्त आयुक्त की जिमेदारी भी सौंपी गई थी.

उनकी कर्तव्य निष्ठा और कार्यप्रणाली को देखते हुए उन्हें आंतरिक सुरक्षा प्रभात और खुफिया विभाग के एडीजीपी की भी जिमेदारी सौंपी गई थी. अब उन्हें कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु की जिम्मेदारी पुलिस कमिश्नर के रूप में दी है. जिसके बाद से ही उत्तराखंड और उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन बने डॉ. दीवान सिंह रावत
अगस्त महीने में ही उत्तराखंड के लिए तीसरी बार उस वक्त खुशी का पल आया. जब उत्तराखंड के एक और लाल को दूसरे राज्य में एक अहम जिम्मेदारी सौंपी गई. जिसमें मूल रूप से बागेश्वर जिले की रेखोली के रहने वाले दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन डॉ. दीवान सिंह रावत शामिल हैं. डॉ. दीवान सिंह को दिल्ली यूनिवर्सिटी के नए डीन बनाने के बाद प्रदेशभर और बागेश्वर जिले में खुशी का माहौल है. प्रोफेसर दीवान सिंह रावत ने अपनी प्राथमिक शिक्षा रैखोली से शुरू की. आठवीं के बाद वो शिक्षा के लिए नैनीताल पहुंचे.

साल 1993 में कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से मास्टर डिग्री करने के बाद वो पीएचडी के लिए केंद्रीय औषधि अनुसंधान लखनऊ चले गए. जहां पर उन्होंने औषधि रसायन विज्ञान फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री में 2 साल काम किया. इसके अलावा उन्होंने इंडियन यूनिवर्सिटी और पईयू यूनिवर्सिटी यूएसए में बतौर पोस्ट डॉक्टोरियल काम किया. इसके अलावा उन्होंने नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली में औषधि रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दी.

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जुलाई 2003 में एक रीडर के रूप में वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में शामिल हुए. मार्च 2010 में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत हुए. जिसके बाद अब उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी की कमान सौंपते हुए डीन बनाया गया है. डॉ. दीवान सिंह रावत अपने कैरियर में लाइलाज बीमारी पार्किंसन की दवा की खोज भी कर चुके हैं.

प्रो. रावत के अब तक 148 शोध पत्र भी प्रकाशित हो चुके हैं. साल 2019 से 2020 तक वो भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अनुभागीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जबकि, साल 2007 ओर 2010 में उन्हें युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, प्रोफेसर डीपी चक्रवर्ती, वीसी प्रतीक चिह्न समेत कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

Last Updated : Aug 13, 2020, 10:57 PM IST
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