काशीपुर: रुद्रपुर जिले के काशीपुर में स्थित मां बाल सुंदरी देवी मंदिर लोगों की अटूट आस्था का केन्द्र है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु शीश नवाने आते हैं. वहीं माता के मंदिर को चैती मंदिर के रूप में भी पहचाना जाता है. मंदिर प्रांगण में लगे पंच पल्लव वृक्ष की कहानी भी लोगों को यहां आने के लिए आकर्षित करती है. वहीं मंदिर प्रांगण में एक ऐसा वृक्ष है जो नवग्रह शांति और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए काफी शुभ माना जाता है. वहीं मां बाल सुंदरी मंदिर के ऊपर इस वृक्ष की छाया हमेशा रहती है. जिसे बहुत पुराना वृक्ष माना जाता है.
मंदिर के मुख्य पुजारी विकास अग्निहोत्री ने बताया कि मंदिर परिसर में पंच पल्लव यानी पांच प्रकार के पेड़ों का पंचांग है. जिसका अर्थ वृक्ष की पांच चीजें जैसे फल, फूल, पत्ती, जड़ और तने की छाल है. विकास अग्निहोत्री ने आगे बताया कि पंच पल्लव वृक्ष नवग्रहों की शांति में विशेष काम आता है. मां बाल सुंदरी देवी मंदिर में पंच पल्लव वृक्ष काफी पुराना है. मंदिर के मुख्य पंडा ने बताया कि मान्यता के अनुसार ये वृक्ष मां के अलौकिक और शक्ति पीठ स्थान है. मां की कृपा से मठ के ऊपर अन्य चार पेड़ और हैं. नवग्रह शांति और विभिन्न पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में पंच पल्लव वृक्ष के पत्तों, फूलों और डालों का प्रयोग शुभ माना जाता है.
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मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री का कहना है कि मनुष्य के जीवन में कुछ ऐसे भी संकट आते हैं, जिससे परिवार में अचानक से आर्थिक संकट के साथ ही अन्य कष्ट आने लगते हैं. जिसके कारण उसे काफी कठिनाइयां होने लगती हैं. ऐसा माना जाता है कि ये सब ग्रहों की चाल से होता है. पुजारी का कहना है, कि जब इंसान की कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से वर्तमान गोचर की स्थिति, एकदम उलट हो जाती है, तो इस प्रकार की स्थितियां बनने लगती हैं. ऐसे में नवग्रह की शांति के लिए पंच पल्लव के वृक्ष से धार्मिक अनुष्ठान करना सर्वोत्तम उपाय है.