खटीमा: यूपी और उत्तराखंड सीमा पर स्थित शारदा सागर डैम की मुख्य सुरक्षा दीवार की भीतरी सतह और पिचिंग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है. जिससे डैम के आसपास बसे गांव के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. डैम की पिचिंग क्षतिग्रस्त होने से ग्रामीणों में बना भय का माहौल. सूचना पर पहुंचे यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने मौके का निरीक्षण किया. इस दौरान यूपी सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने डैम में पानी कम करने और क्षतिग्रस्त पिचिंग की मरम्मत करने की बात कही.
बता दें कि भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे यूपी-उत्तराखंड बॉर्डर पर 22 किलोमीटर लंबा शारदा सागर बांध मिट्टी से बना एशिया का सबसे बड़ा बांध है. जो उत्तराखंड बनने के बाद दो हिस्सों में बंट गया, लेकिन इसकी देखरेख अभी भी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के अधीन है. वहीं उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग के उदासीन रवैया और विभागीय लापरवाही के चलते डैम की हालत जर्जर और इसके किनारे बसे गांव का अस्तित्व खतरे में है. डैम की दीवार टूटने से उत्तराखंड के मेलघाट, अशोक फार्म, झनकईया गावं सहित यूपी के भी कई गांव प्रभावित होंगे.
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डैम में लगातार पानी के साथ आने वाले सिल्ट जमा होने और डैम की साफ सफाई ना होने से सीवर ड्रेन चोक हो चुका है. वहीं, लहरों के थपेड़ों के चलते यूपी और उत्तराखंड सीमा पर बसे बूंदीभूड़ गांव के सामने डैम की मुख्य बॉडी की पिचिंग टूटने लगी है. डैम के मुख्य सुरक्षा दीवार की भीतरी सतह पर बड़ी-बड़ी दरारें और गड्ढे बन गए हैं. लगातार मिट्टी कटाव भी जारी है. जिससे डैम की सुरक्षा दीवार टूटने का खतरा बना हुआ है.
डैम की दीवार टूटने से कभी भी गांव के अस्तित्व खत्म हो सकता है. डैम टूटने से यूपी उत्तराखंड के अनेकों गांव प्रभावित हो सकते हैं, जिसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों में जहां भय का माहौल है. ग्रामीणों में सरकार और सिंचाई विभाग के खिलाफ भारी आक्रोश है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार पोरवल और सहायक अधिशासी अभियंता राजकुमार ने अपनी टीम के साथ मौके का निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि डैम में पानी कम करने और क्षतिग्रस्त पिचिंग की मरम्मत का प्रयास किया जा रहा है. इस पर हमारी बराबर निगरानी बनी हुई है.