गदरपुर: दुनिया में सबसे महंगे पौधे के तौर पर जाने जाने वाले केसर की खेती इन दिनों गदरपुर के सावगड़ गांव में हो रही है. यहां के एक किसान ने राजस्थान से केसर का बीज लाकर इसे अपने घर में ही उगाना शुरू किया. फसल 3-4 महीनों में ही पूरी तरह से तैयार हो चुकी है. तीस हजार की रुपए की लागत से किसान करीब 13-14 लाख रुपए कमा रहा है.
जम्मू-कश्मीर की ठंडी वादियों में उगने वाली केसर की पैदावार ऊधम सिंह नगर जिले के गदरपुर में भी शुरू हो गई है. इससे क्षेत्र में केसर का उपयोग करने वाले लोगों में खुशी का माहौल है. यहां केसर की खेती करने वाले विक्की सिंह के घर पर लोग आये दिन इसकी जानकारी लेने के साथ ही केसर देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
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बता दें कि केसर की खेती करना बहुत ही आसान है. इसमें ज्यादा मेहनत नहीं लगती है और इसमें कमाई भी ज्यादा होती है. इसकी कीमत लाखों में होती है, जिसके कारण किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. केसर की फसल 3-4 महीनों में ही तैयार हो जाती है.
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केसर की खेती आमतौर पर पहले ठंडी जगहों की रेतीली, चिकनी, बलुई और दोमट मिट्टी में होती थी. लेकिन अब अन्य मिट्टियों में भी इसे आसानी से उगाया जा सकता है. इसके लिए भूमि में पानी की निकासी होनी चाहिए. सावगड़ के विक्की सिंह ने केसर की उपयोगिता और फायदों को समझते हुए राजस्थान से 100 ग्राम बीज खरीदे. बीजों को उसने उन्हें घर के पास की कैनाल में लगाया. विक्की ने सिर्फ गोबर की खाद, दही, नीम के पत्ते, गोमूत्र का स्प्रे किया. करीब तीस हजार रुपए खर्च करने के बाद विक्की की केसर की फसल 3-4 महीनों में तैयार हो गई. इन महीनों में करीब 6 किलो केसर के फूल तोड़े. इनकी बाजार कीमत करीब छ लाख रुपए है. जबकि अभी भी करीब 2 किलो केसर के फूल बचे हुए हैं.
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कुल मिलाकर कहा जाये तो विक्की ने केसर की फसल के उत्पादन में कुछ ही हजार रुपए लगाकर लाखों का मुनाफा कमाया. विक्की का कहना है कि हर किसान को ज्यादा से ज्यादा इसे लगाना चाहिए. विक्की को देखते हुए इलाके के अन्य किसान भी अब केसर की खेती में रुचि दिखा रहे हैं.