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काशीपुर से रवाना होती है 'मौत की ट्रेन', जान जोखिम में डालकर छत पर सफर कर रहे मुसाफिर

काशीपुर स्टेशन से मुरादाबाद को रवाना होने वाली इस मौत की ट्रेन में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. किसी भी यात्री के लिए ये उसका आखिरी सफर बन सकता है क्योंकि इस ट्रेन में यात्रियों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि यात्री ट्रेन की बोगी की छत पर यात्रा करते हैं.

मौत की ट्रेन
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Published : May 10, 2019, 8:11 PM IST

काशीपुरः ट्रेन की छत पर सफर करना न केवल जान को जोखिम में डालना है. बल्कि रेलवे के नियमों का साफतौर पर उल्लंघन भी है. काशीपुर रेलवे स्टेशन पर भी यह नजारा आम होता जा रहा है जहां हजारों यात्री प्रतिदिन धड़ल्ले से ट्रेन की छत पर सवार होकर यात्रा करते हैं. इन यात्रियों का ये सफर कभी भी मौत का सफर साबित हो सकता है.

काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेन में लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.

बता दें कि काशीपुर स्टेशन से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेन में लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. ऐसे में पलक झपकते ही कोई भी मौत के मुंह में समा सकता है, लेकिन रेलवे प्रशासन इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. देखिए काशीपुर से खास रिपोर्ट.

काशीपुर स्टेशन से मुरादाबाद को रवाना होती इस मौत की ट्रेन में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. किसी भी यात्री के लिए ये उसका आखिरी सफर बन सकता है. क्योंकि इस ट्रेन में यात्रियों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि यात्री ट्रेन की बोगी के डाले पर लटककर यात्रा करते हैं.

दरअसल, काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी होती है. इसका कारण यह भी है कि मुरादाबाद के पास के गांवों से काफी मात्रा में मजदूर वर्ग मजदूरी करने रोजाना आता है और शाम को साढे़ पांच बजे वाली ट्रेन से वापस जाता है.

बस के मुकाबले रेल किराया सस्ता होने की वजह से अधिकतर मजदूर वर्ग ट्रेन से ही वापस लौटता है. जिससे ट्रेन में यात्रियों की भीड़ काफी हो जाती है.

यह भी पढ़ेंः गंगोत्री हाईवे का निरीक्षण करने पहुंची NGT की टीम, भागीरथी नदी में मलबा गिराने पर होगी कार्रवाई

ऐसे में मुसाफिर ट्रेन की छतों पर चढ़कर भी यात्रा करने में गुरेज नहीं करते. यात्री ट्रेन के इंजन तथा बोगियों को जोड़ने वाले जंपरों पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं.

ये एक दिन का नहीं बल्कि रोजाना का काम है, लेकिन आरपीएफ के जवान भी इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते. इस मामले में आरपीएफ इंचार्ज ओपी मीना ने कहा कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए समय-समय पर चालान के साथ ही सख्त अभियान चलाये जाते हैं.

ताकि, किसी भी प्रकार की दुर्घटना को रोका जा सके. बहरहाल, रेलवे प्रशासन की हीलाहवाली और मुसाफिरों की लापरवाही कभी भी उनकी जान पर भारी पड़ सकती है. ऐसे में आरपीएफ जवानों को भी सतर्क रहना होगा. ताकि किसी भी हादसे को रोका जा सके.

काशीपुरः ट्रेन की छत पर सफर करना न केवल जान को जोखिम में डालना है. बल्कि रेलवे के नियमों का साफतौर पर उल्लंघन भी है. काशीपुर रेलवे स्टेशन पर भी यह नजारा आम होता जा रहा है जहां हजारों यात्री प्रतिदिन धड़ल्ले से ट्रेन की छत पर सवार होकर यात्रा करते हैं. इन यात्रियों का ये सफर कभी भी मौत का सफर साबित हो सकता है.

काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेन में लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.

बता दें कि काशीपुर स्टेशन से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेन में लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. ऐसे में पलक झपकते ही कोई भी मौत के मुंह में समा सकता है, लेकिन रेलवे प्रशासन इस मामले में बिल्कुल भी गंभीर नहीं है. देखिए काशीपुर से खास रिपोर्ट.

काशीपुर स्टेशन से मुरादाबाद को रवाना होती इस मौत की ट्रेन में कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. किसी भी यात्री के लिए ये उसका आखिरी सफर बन सकता है. क्योंकि इस ट्रेन में यात्रियों की भीड़ इतनी ज्यादा हो जाती है कि यात्री ट्रेन की बोगी के डाले पर लटककर यात्रा करते हैं.

दरअसल, काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी होती है. इसका कारण यह भी है कि मुरादाबाद के पास के गांवों से काफी मात्रा में मजदूर वर्ग मजदूरी करने रोजाना आता है और शाम को साढे़ पांच बजे वाली ट्रेन से वापस जाता है.

बस के मुकाबले रेल किराया सस्ता होने की वजह से अधिकतर मजदूर वर्ग ट्रेन से ही वापस लौटता है. जिससे ट्रेन में यात्रियों की भीड़ काफी हो जाती है.

यह भी पढ़ेंः गंगोत्री हाईवे का निरीक्षण करने पहुंची NGT की टीम, भागीरथी नदी में मलबा गिराने पर होगी कार्रवाई

ऐसे में मुसाफिर ट्रेन की छतों पर चढ़कर भी यात्रा करने में गुरेज नहीं करते. यात्री ट्रेन के इंजन तथा बोगियों को जोड़ने वाले जंपरों पर जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं.

ये एक दिन का नहीं बल्कि रोजाना का काम है, लेकिन आरपीएफ के जवान भी इन लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते. इस मामले में आरपीएफ इंचार्ज ओपी मीना ने कहा कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए समय-समय पर चालान के साथ ही सख्त अभियान चलाये जाते हैं.

ताकि, किसी भी प्रकार की दुर्घटना को रोका जा सके. बहरहाल, रेलवे प्रशासन की हीलाहवाली और मुसाफिरों की लापरवाही कभी भी उनकी जान पर भारी पड़ सकती है. ऐसे में आरपीएफ जवानों को भी सतर्क रहना होगा. ताकि किसी भी हादसे को रोका जा सके.

Intro:स्पेशल खबर।

संबंधित खबर के विजुअल और बाइट लाइव से भेजे जा चुके हैं।

काशीपुर रेलवे स्टेशन पर यात्री रोजाना करते हैं मौत का सफर। मौत का सफर ऐसा कि पलक झपकते ही कोई भी समा सकता है मौत के मुंह में लेकिन रेलवे सुरक्षा बल नहीं दे पा रहा इस ओर कोई भी ध्यान। काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेन में कभी भी हो सकता है कोई भी हादसा। कोई भी यात्री कभी भी समा सकता है काल के गाल में। क्या है पूरा मांजरा। इसी का जायजा लेती पेश है काशीपुर से एक रिपोर्टः- 




Body:वीओ- काशीपुर स्टेशन पर से मुरादाबाद को रवाना हो रही ये है मौत की ट्रेन। इस ट्रेन में काशीपुर स्टेशन पर चलते वक्त तथा आगे चलकर कभी भी हो सकता है बडा हादसा। किसी भी यात्री की जा सकती है जान। किसी भी यात्री के लिए यह सफर बन सकता है आखिरी सफर। क्योंकि इस ट्रेन में यात्रियों की भीड इतनी ज्यादा हो जाती है कि यात्री ट्रेन की बोगी के डाले पर लटककर यात्रा करते हैं।    

वीओ- दरअसल काशीपुर से मुरादाबाद जाने वाली ट्रेनों में यात्रियों की संख्या काफी होती है। इसका कारण यह भी है कि मुरादाबाद के पास के गांवों से काफी मात्रा में मजदूर वर्ग मजदूरी करने रोजाना आता है तथा शाम को साढे पांच बजे वाली ट्रेन से वापस जाता है। बस के मुकाबले रेल किराया सस्ता होने की वजह से अधिकतर मजदूर वर्ग ट्रेन से ही वापस लौटता है। जिससे ट्रेन में यात्रियों की भीड काफी हो जाती है। 

वीओ- आलम ये बन जाता है कि मुसाफिर ट्रेन की छतों पर चढकर यात्रा करने में भी नहीं हिचकते। यात्री ट्रेन के इंजन पर तथा बोगियों को जोडने वाले जंपरों पर अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रा करते हैं। ये हाल एक दिन का नहीं बल्कि रोजाना का है। लेकिन आरपीएफ के जवान इन लोगों को कुछ भी कहने में अपनी नामोशी समझते हैं। वहीं कुछ यात्री ऐसे हालात में ट्रेन में नहीं जाकर बसों से यात्रा करना पसंद करते हैं। 

वीओ- इस मामले में आरपीएफ इंचार्ज ओ पी मीना ने इस बाबत कहा कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए समय समय पर चालान के साथ ही सख्त अभियान चलाके जाते हैं ताकि असमय होने वाली घटनाओं को रोका जा सके।


Conclusion:इस तरह से आरपीएफ की लापरवाही भरी कार्यप्रणाली के चलते वो दिन दूर नहीं जब इस ट्रेन से सफर करने वाले यात्रियों के लिए यह सफर बन जाएगा आखिरी सफर। कब किसकी जान की दुश्मन बन जाएगी यह ट्रेन किसी को नहीं मालूम। रेलवे के अधिकारियों को इस ओर देना होगा ध्यान और बढाने होंगे इस ट्रेन के कोच। तो वहीं आरपीएफ के जवानों को भी रहना होगा अलर्ट जिससे किसी भी होने वाले हादसे को रोका जा सके।

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