काशीपुर: जिले में मां-बाल सुंदरी देवी का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर के ऊपर पंच पल्लव वृक्ष की छाया हमेशा पड़ती रहती है. बताया जाता है कि ये पंच पल्लव वृक्ष सदियों पुराना है.
मंदिर के पुजारी विकास अग्निहोत्री ने बताया, कि पंच पल्लव यानी पांच प्रकार के पेड़ों का पंचांग. इसका मतलब उसकी पांच वस्तुएं फल, फूल, पत्ती, जड़ और तने की छाल. उन्होंने बताया कि पंच पल्लव वृक्ष के प्रयोग से नव ग्रहों की शांति होती है. काशीपुर के मां बाल सुंदरी देवी का काफी पुराना मंदिर है, जिसमें पंच पल्लव वृक्ष लगा हुआ है. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडा ने बताया कि मान्यता के अनुसार ये वृक्ष मां के अलौकिक और शक्ति पीठ स्थान हैं. मां की कृपा से मठ के ऊपर अन्य चार पेड़ और हैं. पुजारी ने बताया कि नव ग्रह शांति और विभिन्न पूजा-पाठ और अनुष्ठानों में पंच पल्लव वृक्ष के पत्तों, फूलों और डालों का प्रयोग शुभ माना जाता है.
ये भी पढ़ें: टिहरी बांध परियोजना पर कोरोना का असर, मजदूरों की सुरक्षा को देखते पीएसपी निर्माण कार्य हुआ बंद
पुजारी पंडा विकास अग्निहोत्री का कहना है कि मनुष्य के जीवन में कुछ ऐसे भी संकट आते हैं, जिसका उसे जरा भी आभास नहीं होता है. परिवार में अचानक से आर्थिक संकट या मनुष्य को शारीरिक कष्ट होने लगते हैं, जिसके कारण उसे काफी कठियाइयां होने लगती हैं. ये सब ग्रहों की चाल से होता है. पुजारी का कहना है, कि जब इंसान की कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति से वर्तमान गोचर की स्थिति, एकदम उलट हो जाती है, तो इस प्रकार की स्थितियां बनने लगती हैं. ऐसे में नवग्रह की शांति के लिए पंच पल्लव का वृक्ष से धार्मिक अनुष्ठान करना सर्वोत्तम उपाय है.