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सितारगंज में धान खरीद में गड़बड़ी की आशंका, कहीं उगाई नहीं फिर भी बेच डाली!

उधम सिंह नगर के सिंतारगंज में धान तौल और खरीद में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. यहां 108 हेक्टेयर भूमि में 6520 क्विंटल धान बेचा गया है. जबकि, यह धान कहीं उगाया नहीं गया है. बल्कि, धान उगाने में जो जमीन दिखाई गई है. वो किसानों के नाम पर न होकर एनएच, कब्रिस्तान, श्मशान आदि की जमीन है.

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Published : Mar 19, 2023, 3:27 PM IST

Updated : Mar 19, 2023, 3:32 PM IST

Paddy scam in Khatima
खटीमा धान खरीद
सितारगंज में धान खरीद में गड़बड़ी की आशंका.

खटीमाः उधम सिंह नगर जिले में एनएच भूमि मुआवजा घोटाला के बाद एक और गड़बड़ी सामने आई है. इस बार सितारगंज के नकटपुरा गांव में एनएच की भूमि पर धान की फसल उगा कर अधिकारियों की मिलीभगत से उत्तराखंड कोआपरेटिव फेडरेशन को ही बेच डाला है. जिसके तहत 108 हेक्टेयर भूमि पर 46 किसानों की ओर से 6520 क्विंटल धान बेचना दिखाया गया है. जबकि, हकीकत में कहीं धान उगाया ही नहीं गया था. इस धान की कीमत करीब एक करोड़ 27 लाख रुपए बताया जा रहा है. मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ और जांच शुरू कर दी गई है.

बता दें कि उत्तराखंड में समर्थन मूल्य योजना के तहत बीते साल धान खरीद की गई थी. क्रय एजेंसी उत्तराखंड सहकारिता संघ (यूसीएफ) के माध्यम से संचालित सितारगंज तहसील के धान क्रय केंद्र नकटपुरा में मानक से ज्यादा तौल की गई. उधम सिंह नजर जिले के एक अकेले धान खरीद केंद्र नकटपुरा की जांच में 46 किसानों का 6520 क्विंटल अतिरिक्त धान तौला गया है. जो वास्तव में कहीं उगाया ही नहीं गया था. इसकी कीमत करीब एक करोड़ 27 लाख रुपए आंकी गई है. जिले में साल 2021-22 में ऐसे करीब 200 धान खरीद केंद्र हैं, जिनकी जांच होनी बाकी है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में धान खरीद का लक्ष्य पूरा, किसानों का 130 करोड़ रुपया है बकाया

जानकारी के मुताबिक, अभी तक उप निबंधक स्तर पर 9 सेंटरों की जांच हो चुकी है. जबकि, जिला स्तर पर एक ही सेंटर की जांच पूरी हो पाई है. एक हेक्टेयर भूमि पर करीब 60 क्विंटल धान की पैदावार होती है, लेकिन यहां करीब 108 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर धान उगाना दिखाया गया है. इस पर उप निबंधक सहकारी समितियां कुमाऊं मंडल की ओर से उधम सिंह नगर डीएम को पत्र लिखा गया. जिसके बाद संबंधित किसानों की राजस्व अभिलेखों में दर्ज कुल भूमि का सत्यापन कराया गया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.

किसानों की ओर से जिस भूमि पर यह धान उगाना दिखाया गया, वो भूमि राजस्व अभिलेखों में उनके नाम दर्ज ही नहीं है. सरकार के भूलेख पोर्टल पर कतिपय किसानों की ओर से पोर्टल पर अपलोड की गई भूमि, जिसके आधार पर धान खरीद की गई है. वो भूमि कब्रिस्तान, शमशान और स्कूल भवन के नाम पर दर्ज है. उपनिबंधक सहकारी समितियां के अनुरोध पर डीएम की ओर से कराई गई जांच में इसकी पुष्टि हुई है. एडीएम जय भारत ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आते ही जांच के आदेश दे दिए हैं. जो दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.

सितारगंज में धान खरीद में गड़बड़ी की आशंका.

खटीमाः उधम सिंह नगर जिले में एनएच भूमि मुआवजा घोटाला के बाद एक और गड़बड़ी सामने आई है. इस बार सितारगंज के नकटपुरा गांव में एनएच की भूमि पर धान की फसल उगा कर अधिकारियों की मिलीभगत से उत्तराखंड कोआपरेटिव फेडरेशन को ही बेच डाला है. जिसके तहत 108 हेक्टेयर भूमि पर 46 किसानों की ओर से 6520 क्विंटल धान बेचना दिखाया गया है. जबकि, हकीकत में कहीं धान उगाया ही नहीं गया था. इस धान की कीमत करीब एक करोड़ 27 लाख रुपए बताया जा रहा है. मामले की सूचना उच्चाधिकारियों को मिलने के बाद हड़कंप मचा हुआ और जांच शुरू कर दी गई है.

बता दें कि उत्तराखंड में समर्थन मूल्य योजना के तहत बीते साल धान खरीद की गई थी. क्रय एजेंसी उत्तराखंड सहकारिता संघ (यूसीएफ) के माध्यम से संचालित सितारगंज तहसील के धान क्रय केंद्र नकटपुरा में मानक से ज्यादा तौल की गई. उधम सिंह नजर जिले के एक अकेले धान खरीद केंद्र नकटपुरा की जांच में 46 किसानों का 6520 क्विंटल अतिरिक्त धान तौला गया है. जो वास्तव में कहीं उगाया ही नहीं गया था. इसकी कीमत करीब एक करोड़ 27 लाख रुपए आंकी गई है. जिले में साल 2021-22 में ऐसे करीब 200 धान खरीद केंद्र हैं, जिनकी जांच होनी बाकी है.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में धान खरीद का लक्ष्य पूरा, किसानों का 130 करोड़ रुपया है बकाया

जानकारी के मुताबिक, अभी तक उप निबंधक स्तर पर 9 सेंटरों की जांच हो चुकी है. जबकि, जिला स्तर पर एक ही सेंटर की जांच पूरी हो पाई है. एक हेक्टेयर भूमि पर करीब 60 क्विंटल धान की पैदावार होती है, लेकिन यहां करीब 108 हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर धान उगाना दिखाया गया है. इस पर उप निबंधक सहकारी समितियां कुमाऊं मंडल की ओर से उधम सिंह नगर डीएम को पत्र लिखा गया. जिसके बाद संबंधित किसानों की राजस्व अभिलेखों में दर्ज कुल भूमि का सत्यापन कराया गया तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए.

किसानों की ओर से जिस भूमि पर यह धान उगाना दिखाया गया, वो भूमि राजस्व अभिलेखों में उनके नाम दर्ज ही नहीं है. सरकार के भूलेख पोर्टल पर कतिपय किसानों की ओर से पोर्टल पर अपलोड की गई भूमि, जिसके आधार पर धान खरीद की गई है. वो भूमि कब्रिस्तान, शमशान और स्कूल भवन के नाम पर दर्ज है. उपनिबंधक सहकारी समितियां के अनुरोध पर डीएम की ओर से कराई गई जांच में इसकी पुष्टि हुई है. एडीएम जय भारत ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आते ही जांच के आदेश दे दिए हैं. जो दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा.

Last Updated : Mar 19, 2023, 3:32 PM IST
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