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गोबर से लकड़ी बनाकर मोहित दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

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Published : Oct 20, 2020, 8:50 PM IST

Updated : Oct 21, 2020, 5:20 PM IST

काशीपुर के मोहित उपाध्याय गाय की गोबर से इन दिनों लकड़ी बना रहे हैं. साथ ही किसानों की आय दुगुनी करने और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

गोबर से लकड़ी बनाकर मोहित दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश

काशीपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल किसानों की आय दोगुनी करने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काशीपुर के मोहित उपाध्याय ने एक ऐसा कदम बढ़ाया है, जिससे ना केवल पेड़ों का कटान रुकने से पर्यावरण संरक्षित होगा. वहीं, किसानों की आय दोगुनी होगी.

मूल रूप से चौखुटिया मासी के रहने वाले मोहित उपाध्याय का जन्म काशीपुर में हुआ है. उन्होंने काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नाकोत्तर डिग्री कॉलेज से पीजी तक की पढ़ाई की है. शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के बाद करीब 11 वर्षों तक वह सऊदी में प्रोडक्शन मैनेजर की नौकरी करने वाले मोहित उपाध्याय 2017 में भारत वापस लौटे. जिसके एक साल बाद उन्होंने रामनगर में गौ सेवा फार्म हाउस गौशाला में काम शुरू किया.

मोहित दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश.

मोहित उपाध्याय गौशाला में ही डेयरी का काम शुरू किया. डेयरी का काम सही चलने पर मोहित ने गाय के गोबर का भी प्रयोग करने की सोची. मोहित को यूट्यूब पर पंजाब में बायोफ्यूल प्लांट नाम की एक मशीन के आविष्कार की जानकारी मिली. जिससे गोबर से लकड़ी तैयार की जाती है.

ये भी पढ़ें: त्योहारों के मद्देनजर पुलिस हुई अलर्ट, बनाया ट्रैफिक प्लान

जिसके बाद मोहित ने बायोफ्यूल प्लांट मशीन खरीदी और गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू किया है. इस मशीन के जरिए 3 क्विंटल गोबर से 1 क्विंटल लकड़ी तैयार की जा सकती है. जिसे 600 से ₹700 प्रति क्विंटल में बेचा जाता है. मोहित के अनुसार उनके इस काम में उनकी पत्नी भारती उपाध्याय तथा बेटा भी सहयोग करते हैं. मोहित के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है.

काशीपुर
गोबर से बना हुई लकड़ी.

मोहित की मानें तो एक पेड़ काटने पर करीब 5 से 6 क्विंटल जलौनी लकड़ी मिलती है, अगर गोबर से 6 क्विंटल जलावन लकड़ी तैयार की जाए तो एक पेड़ को बचाया जा सकता है. इससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी. इस लकड़ी को शवदाह संस्कार में इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ऐसे क्षेत्रों में इसका उपयोग शवदाह में किया जा सकता है, जहां आमतौर पर पेड़ों का कटान और पेड़ों की लकड़ी प्रतिबंधित है.

मोहित के अनुसार उनकी आधुनिक गौशाला में अनेक प्रजाति की 3 दर्जन गायें हैं. जिनके दूध के साथ ही गोबर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. वह वर्तमान में रामनगर रोड स्थित सोना फार्म में प्रोडक्शन मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं.

काशीपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल किसानों की आय दोगुनी करने तथा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काशीपुर के मोहित उपाध्याय ने एक ऐसा कदम बढ़ाया है, जिससे ना केवल पेड़ों का कटान रुकने से पर्यावरण संरक्षित होगा. वहीं, किसानों की आय दोगुनी होगी.

मूल रूप से चौखुटिया मासी के रहने वाले मोहित उपाध्याय का जन्म काशीपुर में हुआ है. उन्होंने काशीपुर के राधे हरि राजकीय स्नाकोत्तर डिग्री कॉलेज से पीजी तक की पढ़ाई की है. शिक्षा दीक्षा ग्रहण करने के बाद करीब 11 वर्षों तक वह सऊदी में प्रोडक्शन मैनेजर की नौकरी करने वाले मोहित उपाध्याय 2017 में भारत वापस लौटे. जिसके एक साल बाद उन्होंने रामनगर में गौ सेवा फार्म हाउस गौशाला में काम शुरू किया.

मोहित दे रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश.

मोहित उपाध्याय गौशाला में ही डेयरी का काम शुरू किया. डेयरी का काम सही चलने पर मोहित ने गाय के गोबर का भी प्रयोग करने की सोची. मोहित को यूट्यूब पर पंजाब में बायोफ्यूल प्लांट नाम की एक मशीन के आविष्कार की जानकारी मिली. जिससे गोबर से लकड़ी तैयार की जाती है.

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जिसके बाद मोहित ने बायोफ्यूल प्लांट मशीन खरीदी और गोबर से लकड़ी बनाने का काम शुरू किया है. इस मशीन के जरिए 3 क्विंटल गोबर से 1 क्विंटल लकड़ी तैयार की जा सकती है. जिसे 600 से ₹700 प्रति क्विंटल में बेचा जाता है. मोहित के अनुसार उनके इस काम में उनकी पत्नी भारती उपाध्याय तथा बेटा भी सहयोग करते हैं. मोहित के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है.

काशीपुर
गोबर से बना हुई लकड़ी.

मोहित की मानें तो एक पेड़ काटने पर करीब 5 से 6 क्विंटल जलौनी लकड़ी मिलती है, अगर गोबर से 6 क्विंटल जलावन लकड़ी तैयार की जाए तो एक पेड़ को बचाया जा सकता है. इससे पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी. इस लकड़ी को शवदाह संस्कार में इस्तेमाल किया जा सकता है. साथ ही ऐसे क्षेत्रों में इसका उपयोग शवदाह में किया जा सकता है, जहां आमतौर पर पेड़ों का कटान और पेड़ों की लकड़ी प्रतिबंधित है.

मोहित के अनुसार उनकी आधुनिक गौशाला में अनेक प्रजाति की 3 दर्जन गायें हैं. जिनके दूध के साथ ही गोबर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. वह वर्तमान में रामनगर रोड स्थित सोना फार्म में प्रोडक्शन मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं.

Last Updated : Oct 21, 2020, 5:20 PM IST
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